
बिहार की बगहा विधानसभा सीट पर 55.10 फीसदी मतदान हुआ. पुरुषों की तुलना में महिलाओं ने ज्यादा वोट डाले. बगहा विधानसभा सीट से कुल 15 उम्मीदवार मैदान में है जिसमें मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के राम सिंह और कांग्रेस के जयेश मंगलम सिंह के बीच है.
बगहा विधानसभा सीट पर इस बार कुल 36 लोगों ने नामांकन दाखिल किया था और 16 आवेदन ही सही पाए गए जबकि 20 आवेदन खारिज हो गए. यहां से किसी भी उम्मीदवार ने नाम वापस नहीं लिया. इस तरह से इस सीट पर 15 उम्मीदवारों के बीच मुकाबला है. बगहा सीट पर तीसरे चरण में 7 नवंबर को मतदान कराए गए.
बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 28 अक्टूबर को 16 जिलों की 71 सीटों पर मतदान हुआ तो दूसरे चरण में 3 नवंबर को 17 जिलों की 94 विधानसभा सीटों पर वोटिंग हुई जबकि तीसरे चरण में 7 नवंबर को 78 सीटों पर मतदान हुआ. वोटों की गिनती 10 नवंबर को की जाएगी.
बगहा विधानसभा सीट बिहार विधानसभा में क्रम संख्या में चौथे नंबर की सीट है. यह क्षेत्र पश्चिम चंपारण जिले में पड़ता है और वाल्मीकि नगर संसदीय (लोकसभा) निर्वाचन क्षेत्र का एक हिस्सा है. 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिश के बाद इस सीट में बदलाव किया गया. इस बार कोरोना संकट के दौर में चुनाव होने जा रहे हैं इसलिए सभी दल खास तरीके की रणनीति के साथ मैदान में उतरने की योजना बना रहे हैं.
परिसीमन आयोग की सिफारिश के बाद बगहा विधानसभा सीट वाल्मीकि नगर संसदीय (लोकसभा) क्षेत्र के हिस्से में आ गया जबकि इससे पहले यह बगहा लोकसभा सीट का हिस्सा हुआ करती थी. साथ ही यह अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट हुआ करती थी. 2010 के बाद यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट नहीं रही और सामान्य वर्ग के कर दी गई.
कांग्रेस की परंपरागत सीट
एक समय में यह सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट हुआ करती थी. 1957 से लेकर 1985 तक इस सीट पर कांग्रेस की पकड़ रही और उसे एक भी चुनाव में हार नहीं मिली थी. नरसिंह भाटिया 6 बार चुनाव जीतने में कामयाब रहे. 1990 से सीट का इतिहास बदला और कांग्रेस फिर से इस सीट पर जीत हासिल नहीं कर सकी. कांग्रेस ने यहां से 9 बार जीत हासिल की.
1990 में जनता दल के पूर्णमासी राम ने कांग्रेस से यह सीट छीन ली और 2005 तक अलग-अलग पार्टियों के चिन्ह पर लगातार 5 बार चुनाव जीतने में कामयाब रहे. हालांकि 2010 में सामान्य वर्ग के लिए सीट खोल देने के बाद जनता दल यूनाइटेड के प्रभात रंजन सिंह ने सामान्य वर्ग से पहली जीत हासिल की. लेकिन 2015 में यह सीट बीजेपी के कब्जे में चली गई. जनता दल यूनाइटेड लगातार 4 बार चुनाव जीत चुकी है. आरजेडी और बीजेपी को एक-एक बार जीत मिली है.
2015 में बीजेपी ने खाता खोला
2015 में हुए विधानसभा चुनाव की बात करें तो बगहा विधानसभा सीट पर कुल 2,71,212 मतदाता थे जिसमें 1,47,207 पुरुष और 1,23,990 महिला मतदाता शामिल थे. 2,71,212 मतदाताओं में से 1,67,561 मतदाताओं ने वोट डाले जिसमें 1,64,808 वैध वोट पड़े. इस सीट पर 61.8 फीसदी मतदान हुआ था. 2,753 वोट नोटा के पक्ष में गए.
बगहा विधानसभा सीट पर 2015 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के राघव शरण पांडे ने जीत हासिल की थी. राघव ने जनता दल यूनाइटेड के भीष्म साहनी को 8,183 मतों के अंतर से हराया था. राघव को 44.5% वोट मिले तो भीष्म साहनी को 39.6% वोट मिले. तीसरे नंबर पर बसपा था.
जनता दल यूनाइटेड, राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस महागठबंधन के रूप में चुनाव लड़ रहे थे और यह सीट जनता दल यूनाइटेड को दी गई थी जिसमें उसे हार मिली थी. वैसे इस सीट पर कुल 15 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे जिसमें 7 उम्मीदवार निर्दलीय थे.
विधायक राघव शरण पांडे ग्रेजुएट हैं और 2015 के चुनाव में दाखिल हलफनामे के अनुसार उन पर एक भी आपराधिक केस दर्ज नहीं है. उनके पास 4,45,41,465 रुपये की संपत्ति है और उन पर कोई लाइबिलटीज नहीं है.