
बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी समीकरण बनाए जाने लगे हैं. महागठबंधन से नाता तोड़कर अलग हो चुके हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की है. इसके साथ ही जीतन राम मांझी की एनडीए में दोबारा से एंट्री की तस्वीर साफ हो गई है. हालांकि, उनके एनडीए के सहयोगी के तौर पर अभी औपचारिक घोषणा होना बाकी है. माना जा रहा है कि 30 अगस्त को बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के पटना आने के बाद इसका ऐलान किया जाएगा.
बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा 30 अगस्त को बिहार के मुख्यमंत्री व जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार से मुलाकात करेंगे. माना जा रहा है कि इस दौरान जीतन राम मांझी के एनडीए में एंट्री की औपचारिक ऐलान होगा. इसके साथ ही एनडीए के सीट बंटवारे को लेकर अंतिम रूप दिया जा सकता. हालांकि, दोनों पार्टियों के बीच अबतक कई दौर की बातचीत हो चुकी है. बताया जा रहा है कि बिहार के सीट शेयरिंग पर बीजेपी और जेडीयू के बीच सहमति बन गई है, जिसका ऐलान होना बाकी है.
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एनडीए का कौन सा घटक दल कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगा, इसकी औपचारिक घोषणा होना बाकी है. जीतन रामा मांझी की एनडीए में वापसी की पठकथा नीतिश कुमार ने लिखी है. ऐसे में मांझी को साधने की जिम्मेदारी भी नीतीश के कंधो पर होगी और जेडीयू कोटे से उन्हें सीट देनी होगी जबकि बीजेपी अपने कोटे से चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी को देगी. इस तरह से एनडीए को दोनों प्रमुख दल अपने-अपने नजदीकी दलों को साधने का काम करेंगे.
2010 का फॉर्मूला पर सीट बंटवारा संभव नहीं
नीतीश कुमार के अलग होने के बाद ही एनडीए में एलजेपी की एंट्री हुई है. बिहार में बीजेपी नीतीश कुमार के नेतृत्व में 2005 और 2010 में सरकार बना चुकी है, लेकिन 2015 में नीतीश कुमार ने महागठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ा और सरकार बनाई है. हांलाकि, सियासत ने ऐसी करवट ली कि जेडीयू 2017 में फिर महागठबंधन से अलग होकर एनडीए में शामिल हो गई, ऐसे में चिराग पासवान ज्यादा से ज्यादा सीटों को लेकर डिमांड कर रहे हैं.
नए फॉर्मूल पर होगी सीट शेयरिंग
बीजेपी के साथ 2010 तक जेडीयू बिहार में 142 सीटों पर चुनाव लड़ती थी, लेकिन महागठबंधन में जेडीयू ने 2015 में 101 सीटों पर ही चुनाव लड़ी थी. इस बार के चुनाव में जेडीयू चाहता है कि वो फिर से 2010 कि स्थिति में चुनाव लड़े, जो संभव नही हैं. एलजेपी के एनडीए में आने के बाद से अब एनडीए में दो नहीं बल्कि तीन सहयोगी हो गए हैं और अब मांझी के एंट्री के साथ ही चार दल हो जाएंगे. इस तरह से सीट शेयरिंग का पुराना फॉर्मूल पर पर बात नहीं बन सकेगी.
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एनडीए 2015 के महागठबंधन के फार्मूले में चुनाव लड़ती है तो सीटों का बंटवारा कुछ इस तरह से हो सकता है. बीजेपी 101, जेडीयू 101 और एलजेपी 41. हालांकि, इस फार्मूले पर जेडीयू 2020 के चुनाव में राजी नहीं है. जेडीयू हमेशा से चाहती है कि वो सबसे अधिक सीटों पर लड़े यानी 120 सीटों से कम पर समझौता मुश्किल हो सकता है.
इस तरह से कुल 243 सीटों में से जेडीयू और बीजेपी के बीच बराबर सीटों का बंटवार हो सकता है और फिर ये दोनों दल अपने-अपनी नजदीकी सहयोगी को अपने कोटे से सीटें देना का काम करेंगी. ऐसे में माना जा रहा कि जेडीयू मांझी की पार्टी को करीब 10 सीटें दे सकते हैं वहीं बीजेपी पासवान की पार्टी को करीब 23 सीटें दे सकती है. इस तरह से सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय हो सकता है.