
बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार एनडीए और महागठबंधन सहित छह राजनीतिक फ्रंट बने हैं. ऐसे में बीजेपी, जेडीयू, कांग्रेस और आरजेडी से टिकट न मिलने वाले नेताओं के पास इस बार सियासी विकल्पों की भरमार है. इसके बाद भी बागी नेताओं की पहली पसंद चिराग पासवान की एलजेपी बन रही है, जिन्हें वहां एंट्री नहीं मिल रही है वो उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी का दामन थामकर सियासी मैदान में ताल ठोकते नजर आ रहे हैं.
नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए में मनमुताबिक सीट न मिलने के बाद अकेले चुनाव लड़ने उतरी एलजेपी बिहार में बागियों की पहली पसंद बन चुकी है. चिराग पासवान ने पहले चरण की 6 सीटों पर बीजेपी से आने वाले नेताओं को टिकट दिया है. एलजेपी ने बीजेपी के नेता रहे राजेंद्र सिंह को दिनारा से, उषा विद्यार्थी को पालीगंज से मैदान में उतारने के साथ-साथ बीजेपी के झाझा के विधायक रवींद्र यादव, घोसी से बीजेपी नेता राकेश सिंह, नोखा से तीन बार के विधायक रहे बीजेपी नेता रामेश्वर चौरसिया, बांका के बीजेपी नेता मृणाल शेखर को टिकट दिया है.
जेडीयू नेता भगवान सिंह कुशवाहा ने भी एलजेपी का दामन थाम लिया और उन्हें चिराग पासवान ने जगदीशपुर से टिकट दिया है. इसके अलावा दूसरे चरण के लिए बीजेपी के जवाहर प्रसाद, देवेश शर्मा, रामअवतार सिंह जैसे नेता भी एलजेपी के टिकट पर चुनावी ताल ठोकने की तैयारी में हैं, क्योंकि इनकी परंपरागत सीटें जेडीयू के खाते में चली गई हैं. ऐसे ही जेडीयू के जिन नेताओं की सीट बीजेपी के कोटे में चली गई है, वो भी एलजेपी का दामन थामकर चुनावी मैदान में उतरने की जुगत में हैं. हालांकि, एलजेपी ने पहले चरण में बीजेपी के खिलाफ अपने प्रत्याशी नहीं उतारे हैं.
वहीं, दूसरी तरफ आरएलएसपी प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने असदुद्दीन औवसी की AIMIM और बसपा के साथ मिलकर नया गठबंधन बनाया है, जो जेडीयू और बीजेपी ही नहीं आरजेडी के बागियों का सियासी ठिकाना भी बन रहा है. आरएलएसपी ने जमुई विधानसभा क्षेत्र से अजय प्रताप सिंह को टिकट दिया है. अजय प्रताप सिंह पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह के बेटे हैं और जेडीयू से विधायक रह चुके हैं. आरएलएसपी ने भी पहले चरण के 42 उम्मीदवारों की सूची जारी की है, जिसमें करीब एक दर्जन ऐसे नेताओं को टिकट दिया है जो दूसरी पार्टियां छोड़कर आए हैं.
दरअसल, बिहार में इस बार सीट शेयरिंग में ऐसा फॉर्मूला है कि हर एक सीट पर बागी ताल ठोकने को तैयार बैठे हैं. जेडीयू 115 और बीजेपी 110 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, ऐसे में जाहिर तौर पर करीब सौ सीटें ऐसी हैं जहां कई दावेदार टिकट का इंतजार कर रहे थे. इसी प्रकार आरजेडी को वाम दलों और कांग्रेस से समझौते के कारण महज 144 सीटें मिली हैं और जो सीटें सहयोगियों के कोटे में गई हैं उन सीटों पर पार्टी के दावेदार खफा हैं और राजनीतिक विकल्प के तौर पर अपने हिसाब से पार्टी चुन रहे हैं. ऐसे में देखना है कि यह बागी नेता चुनावी मैदान में किसका खेल बनाते हैं और किसका बिगाड़ते हैं.