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बिहार चुनाव: BJP-JDU में सीट बंटवारा, बड़े मियां हुए छोटे, छोटे मियां सुभान अल्लाह

बिहार की कुल 243 सीट पर एनडीए के सीट शेयरिंग फॉर्मूले के तहत बीजेपी को 121 और जेडीयू को 122 सीटें मिली हैं. हालांकि, नीतीश कुमार अपने कोटे से सात सीटें जीतन राम मांझी की हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा को देंगे. इस तरह से जेडीयू 115 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. वहीं, बीजेपी अपनी 121 सीटों में से मुकेश साहनी की विकासशील इंसान पार्टी को कुछ सीटें देंगी, लेकिन कितनी सीटें देंगे यह साफ नहीं है.

सुशील मोदी और नीतीश कुमार, भूपेंद्र यादव, देवेंद्र फडणवीस सुशील मोदी और नीतीश कुमार, भूपेंद्र यादव, देवेंद्र फडणवीस
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली ,
  • 07 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 9:19 AM IST
  • बिहार में बीजेपी और जेडीयू में सीट बंटवारा हुआ
  • बिहार में अभी तक जेडीयू ज्यादा सीटों पर लड़ती थी
  • बीजेपी पहली बार जेडीयू से ज्यादा सीटों पर लड़ेगी

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 (Bihar Assembly Election 2020) के लिए एनडीए से एलजेपी के अलग होने के बाद आखिरकार मंगलवार (6 अक्टूबर) को बीजेपी और जेडीयू के बीच सीट बंटवारे का ऐलान हो गया है. 2015 को छोड़कर पिछले डेढ़ दशक में बीजेपी और जेडीयू ने मिलकर चुनाव लड़ा है, लेकिन यह पहली बार है जब सीट शेयरिंग में बीजेपी को बिहार में जेडीयू से ज्यादा विधानसभा सीटें मिली हैं जबकि इससे पहले तक नीतीश कुमार की पार्टी ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ा करती थी. 

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एनडीए में सीट शेयरिंग फॉर्मूला

बिहार की कुल 243 सीट पर एनडीए के सीट शेयरिंग फॉर्मूले के तहत बीजेपी को 121 और जेडीयू को 122 सीटें मिली हैं. हालांकि, नीतीश कुमार अपने कोटे से सात सीटें जीतन राम मांझी की हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा को देंगे. इस तरह से जेडीयू 115 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. वहीं, बीजेपी अपनी 121 सीटों में से मुकेश साहनी की विकासशील इंसान पार्टी को कुछ सीटें देंगी, लेकिन कितनी सीटें देंगे यह साफ नहीं है. इसके अलावा यह भी माना जा रहा है कि मुकेश सहनी के प्रत्याशियों को अपने चुनाव निशान पर भी लड़ा सकती है. इस तरह से बीजेपी सभी सीटों पर अपने चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ लेगी. 

तीन चुनाव लड़ चुके बीजेपी-जेडीयू साथ

नीतीश कुमार और बीजेपी का गठबंधन तो ऐसे ढाई दशक पुराना है. 1996 में दोनों पार्टियों ने हाथ मिलाया था, लेकिन बिहार में पहली बार 2005 में एक साथ आए थे. इस तरह से जेडीयू और बीजेपी ने बिहार में अभी तक मिलकर तीन बार चुनाव लड़े हैं और हर बार सीट बंटवारे में नीतीश कुमार की पार्टी को बीजेपी से ज्यादा सीटें मिली, लेकिन इस बार पासा पलट गया है. हालांकि, नीतीश कुमार ही एनडीए का चेहरा होंगे और चुनाव में बीजेपी और जेडीयू में सीट किसी को भी ज्यादा मिले, लेकिन सीएम नीतीश ही बनेंगे. इस पर भी नीतीश ने बीजेपी से मुहर लगवा ली है.

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बिहार की सियासत में जेडीयू-बीजेपी पिछले 15 साल से राज कर रहे हैं. बिहार विधानसभा चुनाव के आंकड़े बताते हैं कि कि जब-जब ये दोनों दल साथ मिलकर चुनाव लड़े हैं तो जेडीयू-बीजेपी को जबरदस्त सीटों के साथ-साथ वोट प्रतिशत का भी इजाफा हुआ है. जीतन राम मांझी के आठ महीने का कार्यकाल छोड़कर पिछले 15 सालों से नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री बनते आ रहे हैं. 

बीजेपी-जेडीयू गठबंधन का पहला चुनाव

फरवरी 2005 में बीजेपी-जेडीयू पहली बार एक साथ चुनाव लड़ी थी. बिहार की 243 सीटों में से जेडीयू ने 138 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे जबकि बीजेपी 105 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. जेडीयू को 57 सीटों पर विजय मिली थी जबकि बीजेपी ने 37 पर जीत दर्ज की थी. वहीं, आरजेडी ने 81 सीटें जीती थीं जबकि एलजेपी 178 सीटों पर चुनाव लड़कर 29 सीटें जीतकर किंगमेकर बन गई थी. उस वक्त रामविलास पासवान की यह बात बहुत मशहूर हुई थी कि सरकार बनाने की चाबी उनके पास है. हालांकि, एलजेपी ने 2005 में किसी भी दल को समर्थन नहीं दिया था, जिसके कारण राज्य में छह माह राष्ट्रपति शासन लागू करना पड़ा था. 

अक्टूबर 2005 का सीट बंटवारा 
बिहार में राष्ट्रपति शासन के बाद अक्टूबर 2005 में दोबारा से विधानसभा चुनाव हुए. ऐसे में 243 सीटों में से बीजेपी 104 सीटों पर चुनाव लड़ी जबकि जेडीयू ने 139 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे. इस तरह से जेडीयू बीजेपी से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ी थी. जेडीयू को 55 और बीजेपी को 88 सीटों पर जीत मिली थी. एनडीए गठबंधन ने 141 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाई थी और एलजेपी की सत्ता की चाबी की अहमियत खत्म कर दी थी. 

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2010 का सीट शेयरिंग फॉर्मूला
साल 2010 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू-बीजेपी एक साथ लड़े थे. इस चुनाव में बिहार की 243 सीटों में से जेडीयू 141 और बीजेपी 102 सीटों पर चुनावी मैदान में उतरी थी, जिनमें से जेडीयू 115 और बीजेपी 91 सीटें जीतने में सफल रही थी. बिहार में जेडीयू-बीजेपी गठबंधन का यह सबसे बेहतर नतीजा रहा है और मुख्यमंत्री पद का ताज नीतीश के सिर सजा था. 

बीजेपी और नीतीश की दोस्ती में 2013 में दरार पड़ी, जब बीजेपी ने प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी के नाम पर मुहर लगाई थी. नीतीश कुमार ने बीजेपी से नाता तोड़ लिया था और 2015 का चुनाव आरजेडी-कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ा. जेडीयू-आरजेडी बराबर 101-101 सीट पर चुनाव लड़ी थी जबकि 41 सीटें कांग्रेस को दी गई थीं. वहीं, बीजेपी 157 सीटों पर लड़कर 53 सीट जीती थी. 

नीतीश ही होंगे सीएम, बीजेपी ने लगाई मुहर

हालांकि, 2017 में नीतीश कुमार महागठबंधन से नाता तोड़कर एनडीए के साथ हाथ मिलाकर मुख्यमंत्री बन गए. अब 2020 में जेडीयू-बीजेपी एक साथ मिलकर चुनाव लड़ी रही है, लेकिन इस बार नीतीश कुमार पहले तीन चुनाव की तरह बड़े भाई की भूमिका में नहीं है बल्कि बीजेपी अब उनसे ज्यादा सीटों पर चुनाव में ताल ठोंकने जा रही है.

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इसके बावजूद बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व से लेकर बिहार के दिग्गज नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस से सार्वजनिक रूप से कह दिया है कि नीतीश कुमार ही एनडीए के सीएम का चेहरा हैं. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल और बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव ने दो टूक अंदाज में कहा कि जो बिहार में नीतीश कुमार को सीएम नहीं मानेगा वह एनडीए का हिस्सा नहीं होगा. साथ ही यह भी कह दिया कि चाहे सीटें किसी की भी ज्यादा आएं, लेकिन अगर एनडीए की सरकार बनती है तो नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री बनेंगे.

 

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