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आरजेडी के वो छह उम्मीदवार, जिनके चलते दिख रही है पार्टी में बदलाव की बयार

तेजस्वी यादव ने इस बार के चुनावी मैदान में छह ऐसे उम्मीदवारों को उतारा है, जिनका न तो किसी सियासी परिवार से ताल्लुक है और न ही उनका कोई राजनीतिक गॉडफाडर है. हालांकि, ये जरूर है कि इन छह नेताओं ने संघर्ष के दम पर अपनी पहचान जरूर बनाई है. ऐसे में तेजस्वी ने उन्हें टिकट देकर आरजेडी में बदलाव की नई इबारत लिखने की कोशिश की है. 

तेजस्वी यादव ने आरजेडी से अविनाश मंगलम ऋषिदेव मांझी को प्रत्याशी बनाया तेजस्वी यादव ने आरजेडी से अविनाश मंगलम ऋषिदेव मांझी को प्रत्याशी बनाया
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली ,
  • 12 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 1:19 PM IST
  • आरजेडी ने नियोजित शिक्षक को दिया टिकट
  • तेजस्वी यादव ने मुखिया रितु को बनाया प्रत्याशी
  • बिहार में पहली बार किसी मंसूरी को टिकट मिला

बिहार की सियासत में राष्‍ट्रीय जनता दल (आरजेडी) प्रमुख लालू प्रसाद के राजनीतिक सपने को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी उनके छोटे बेटे तेजस्वी यादव के कंधों पर है. तेजस्वी यादव ने इस बार के चुनावी मैदान में छह ऐसे उम्मीदवारों को उतारा है, जिनका न तो किसी सियासी परिवार से ताल्लुक हैं और न ही उनका कोई राजनीतिक गॉडफाडर है. हालांकि, ये जरूर है कि इन छह नेताओं ने संघर्ष के दम पर अपनी पहचान जरूर बनाई है. ऐसे में तेजस्वी ने उन्हें टिकट देकर आरजेडी में बदलाव की नई इबारत लिखने की कोशिश की है. 

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1. ऋषिदेव मांझी (नियोजित शिक्षक)
तेजस्वी यादव ने इस बार एक और बड़ा दांव चलते हुए एक नियोजित शिक्षक को उम्मीदवार घोषित किया है. आरजेडी ने महादलित परिवार से आने वाले 33 वर्षीय अविनाश मंगलम ऋषिदेव मांझी को रानीगंज सीट से अपना प्रत्याशी बनाया है. ऋषिदेव मांझी बिहार की मुसहर जाति के बेहद साधारण परिवार से आते हैं और नियोजित शिक्षक से नौकरी छोड़कर राजनीति में आए हैं. ऋषिदेव साफ सुथरी छवि के साथ जमीनी स्तर पर पकड़ होने के चलते टिकट लेने में सफल रहे हैं. 

हालांकि, अविनाश ऋषिदेव के पिता भी रानीगंज सीट से समता पार्टी से चुनाव लड़ चुके हैं. ऋषिदेव ने 12 जनवरी 2007 को बिहार सरकार में नियोजित शिक्षक के रूप में ज्वाइन की थी, लेकिन अब सियासी पारी के लिए चुनावी मैदान में उतरे हैं, जहां उनका मुकाबला जेडीयू के अचमित ऋषिदेव से हैं. ऐसे में देखना है कि महादलित बहुल सीट पर कौन मांझी भारी पड़ता है. 

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2. बिहार में पहली बार धुनिया समाज को टिकट 
मुजफ्फरपुर की कांटी विधानसभा क्षेत्र से आरजेडी ने इसराइल मंसूरी को टिकट दिया है. इसराइल मुस्लिम समुदाय के अत्यंत पिछड़े वर्ग के धुनिया जाति से आते हैं. आजादी के बाद बिहार में पहली बार किसी मंसूरी समाज के नेता को टिकट मिला है. तेजस्वी यादव के द्वारा सामाजिक न्याय के प्रयासों का यह अंतिम कतार तक विस्तार माना जा रहा है. बिहार में कुल 16 प्रतिशत मुसलमानों की आबादी है जिसमें मंसूरी समाज की करीब साढ़े तीन फीसदी संख्या है. सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक रूप से यह बिरादरी मुस्लिमों में काफी वंचित रही है, ऐसे में आरजेडी ने उन्हें टिकट देकर बड़ा राजनीतिक संदेश देने की कवायद की है. 

3. मांझी के दमाद के खिलाफ सतीश दास 
मखदुमपुर सीट से आरजेडी ने सतीश दास चुनावी मैदान में उतरे है, जो कि एक साधारण परिवार के साथ-साथ महादलित समुदाय के रविदास समाज से आते हैं. सतीश दास का मुकाबला जीतनराम मांझी के दमाम देवेंद्र कुमार मांझी से है, जो हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के उम्मीदवार हैं. आरजेडी ने यहां से अपने मौजूदा विधायक सुबेदार दास का टिकट काटकर सतीश दास के संघर्ष को देखते हुए उन्हें प्रत्याशी बनाया है. उन्होंने जवाहर नवोदय विद्यालय से पढ़ाई की और मगध विश्वविद्यालय से स्नातक व एलएलबी किया. आरजेडी के छात्र संगठन से जुड़े रहे हैं. मखदूमपुर सीट पर आरजेडी का अच्छा खासा जनाधार है, जिसके चलते 2015 में आरजेडी के सुबेदार दास ने जीतनराम को 48777 वोटों से हराया था.
 

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4. मुखिया रितु जायसवाल
आरजेडी ने सीतामढ़ी के परिहार विधानसभा सीट से मुखिया रितु जायसवाल को टिकट देकर सबको चौंका दिया है. दिल्ली के एक पब्लिक स्कूल की नौकरी छोड़ने और अपने आईएएस पति के साथ आरामदायक जीवन को छोड़कर रितु जायसवाल ने 2016 में पंचायत चुनाव में हिस्सा लेने का फैसला किया था. इसके बाद वो सीतामढ़ी के सिंहवाहिनी गांव से चुनाव जीतने वाली पहली महिला थीं, जिसके बाद से लगातार सुर्खियों में रही है.

तेजस्वी यादव मुखिया रितु जायसवाल को टिकट देते हुए

मुखिया रितु जायसवाल ने पंचायत में किए अपने काम से प्रसिद्धि हासिल की. पंचायत में किये काम के दम पर देश के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने उनको चैंपियंस ऑफ चेंज अवार्ड से सम्मानित भी किया. जेडीयू की महिला प्रकोष्ठ की जिला अध्यक्ष थीं, जिसे छोड़कर आरजेडी ज्वाइन किया. मुखिया पति एक आईएएस अधिकारी थे, जिन्होंने 2018 में ही वीआरएस ले लिया था. इसी सीट पर उनका मुकाबला बीजेपी की गायत्री देवी से है. परिहार सीट से अभी तक आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष रहे रामचंद्र पुरवे लड़ा करते थे, लेकिन इस बार तेजस्वी ने अलग फैसला लिया है. 
 

5.गौतम कृष्णा (पूर्व बीडीओ ) 
सहरसा जिले के नवहट्टा प्रखंड में बीडीओ की नौकरी कर रहे डॉ. गौतम कृष्ण ने त्यागपत्र देकर आरजेडी की सदस्यता ग्रहण की थी. तेजस्वी यादव ने अब उन्हें महिषी विधानसभा से चुनावी मैदान में उतरा है. वो साधारण परिवार से आते हैं. महिषी सीट पर आरजेडी प्रत्याशी गौतम कृष्ण कहते हैं कि भय, भूख, भ्रष्टाचार से यहां की पटकथा लिखी गई है और इन्हीं तीनों चीजों से मुकाबला करने के लिए हम जनता के बीच आए हैं. वो कहते हैं कि आरजेडी ने हमारे जैसे एक आम कार्यकर्ता को टिकट देकर जो भरोसा जताया है, उस पर पूरी तरह से खरा उतरने की कोशिश करूंगा और अपने क्षेत्र के विकास की नई इबारत लिखने के लिए नौकरी छोड़कर आया हूं. 
 

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6.रणविजय साहू ( राष्ट्रीय अध्यक्ष साहू समाज) 
बिहार की समस्तीपुर जिले की मोरवा सीट से आरजेडी ने रणविजय साहू को प्रत्याशी बनाया है. वो साहू समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और आरजेडी के व्यावसायिक प्रकोष्ठ का प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी निभा रहे हैं. तेजस्वी यादव ने अति पिछड़ा समुदाय से आने वाले युवा नेता रणविजय साहू को प्रत्याशी बनाकर बड़ा राजनीतिक संदेश देने की कोशिश की है, क्योंकि साहू समाज बीजेपी का परंपरागत वोटर माना जाता है. ऐसे में एक बड़ा दांव तेजस्वी ने चला है. 

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