
सदानंद सिंह की गिनती बिहार के सबसे अनुभवी कांग्रेसी नेताओं में होती है. वह भागलपुर की कहलगांव विधानसभा सीट से 12 बार चुनाव लड़ चुके हैं जिसमें से 9 बार जीत दर्ज की है. उनके नाम सबसे ज्यादा बार विधानसभा चुनाव जीतने का रिकॉर्ड दर्ज है. साल 2015 में वह कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के बावजूद अपनी सीट बचाने में सफल रहे थे.
कैसा रहा शुरुआती सफर
साल 1969 में सदानंद सिंह पहली बार कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने थे. हालांकि 1985 में कांग्रेस ने उनका टिकट काट दिया, जिसके बाद उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. सदानंद को 1990 और 1995 के चुनाव में जनता दल और 2005 में जेडीयू प्रत्याशी के सामने हार का सामना करना पड़ा था.
सदानंद सिंह 1990 से 93 तक जिला कांग्रेस कमेटी, भागलपुर के अध्यक्ष रह चुके हैं. वह बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष भी रहे हैं. वह करीब 10 साल से कांग्रेस विधायक दल के नेता हैं. सदानंद सिंह बिहार सरकार में सिंचाई और ऊर्जा राज्यमंत्री रह चुके हैं.
कहलगांव को बनाया सियासी गढ़
कहलगांव में कांग्रेस को 1985,1990 और 1995 के चुनाव में लगातार शिकस्त मिली थी. लेकिन साल 2000 में कांग्रेस की एक बार फिर यहां पर वापसी होती है. कांग्रेस के सदानंद सिंह ने 2000 और 2005 के चुनाव में जीत हासिल की. वह 9 मार्च 2000 से 28 जून 2005 तक विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे. लेकिन 2005 के ही उपचुनाव में उन्हें जेडीयू के अजय कुमार मंडल से शिकस्त मिली.
कहलगांव की जनता इसके बाद के चुनाव में सदानंद को एक बार विधानसभा भेजा. उन्होंने 2010 और 2015 के चुनावों में जीत हासिल की थी. पिछले चुनाव में उन्होंने एलजेपी के नीरज कुमार को 20 हजार वोटों के अंतर से चुनाव हराया था. इस तरह से वह 9 बार इस सीट से विधायक चुने गए हैं.
इस बार सदानंद सिंह ने चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है और उनके बेटे शुभानंद के सामने अपने पिता की विरासत को संभालने की जिम्मेदारी होगी. सुभानंद लगातार कहलगांव विधानसभा क्षेत्र में जनसंपर्क अभियान चला रहे हैं और अपने के लिए समर्थन जुटा रहे हैं.