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बिहार चुनाव: तीन दर्जन सीटें मुस्लिम बहुल, 5 सीटों पर मुस्लिम कैंडिडेट्स में भिड़ंत

बिहार की राजनीति में मुस्लिम वोटर काफी अहम माने जाते हैं. ऐसे में बिहार के दूसरे और तीसरे चरण की तीन दर्जन सीटें मुस्लिम बहुल हैं, जहां मुस्लिम प्रत्याशी किस्मत आजमा रहे हैं. पांच सीटें ऐसी हैं, जहां एनडीए और महागठबंधन दोनों से मुस्लिम प्रत्याशी आमने-सामने हैं. इसके चलते यहां का मुकाबला काफी रोचक है.

नीतीश कुमार नीतीश कुमार
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली ,
  • 02 नवंबर 2020,
  • अपडेटेड 1:40 PM IST
  • बिहार की तीन दर्जन सीटों पर मुस्लिम वोटर अहम
  • बिहार की 5 सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशी आमने-सामने
  • महागठबंधन के मुस्लिम प्रत्याशियों के सामने बीजेपी

बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे और तीसरे चरण की तीन दर्जन विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जो मुस्लिम बहुल मानी जाती हैं. इनमें से 32 सीटें ऐसी हैं, जहां पर मुस्लिम प्रत्याशियों के बीच सियासी मुकाबला माना जा रहा है. ऐसे में पांच सीटें तो ऐसी हैं, जिन पर एनडीए और महागठबंधन दोनों से मुस्लिम कैंडिडेट आमने-सामने है जबकि 20 सीटें ऐसी भी हैं, जिन्हें असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के प्रत्याशी से दो-दो हाथ करना पड़ रहा है. 

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बिहार में 17 फीसदी मुस्लिम मतदाता है, जो काफी अहम माने जाते हैं. बिहार के पहले चरण में मुस्लिम बहुल कुछ खास सीटें नहीं थीं जबकि दूसरे फेज की जिन 17 जिलों की 94 सीटों पर चुनाव होने हैं, उनमें भागलपुर, दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, सिवान, गोपालगंज और बेगूसराय जिले मुस्लिम वोटों के लिहाज से महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं. इन जिलों में दो दर्जन विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां पर मुस्लिम वोट का प्रतिशत 20 फीसदी से ज्यादा है. इसके अलावा तीसरे चरण में सीमांचल इलाकों के वोटिंग होनी है, जहां मुस्लिम वोटर उम्मीदवारों की जीत में निर्णायक भूमिका निभाते हैं. यहां 30 से लेकर 60 फीसदी तक मुस्लिम वोटर कई सीटों पर हैं. 

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बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे और तीसरे चरण में 32 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम प्रत्याशियों के बीच सीधी टक्कर मानी जा रही है. महागठबंधन के अधिकतर मुस्लिम प्रत्याशी का चुनावी मुकाबला बीजेपी प्रत्याशियों से माना जा रहा है. कांटी, अमौर, अररिया, ठाकुरगंज और कोचाधामन सीटों पर एनडीए और महागठबंधन से मुस्लिम प्रत्याशी ताल ठोक रहे हैं. इसके चलते यहां का मुकाबला काफी दिलचस्प माना जा रहा है. 

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कांटी विधानसभा सीट पर इस बार जेडीयू के मो. जमाल और आरजेडी के मो. इसराइल मंसूरी एक दूसरे के खिलाफ ताल ठोक रहे हैं. हालांकि, 2015 में निर्दलीय अशोक कुमार चौधरी ने जीत दर्ज की थी. ऐसे ही पूर्णिया जिले की अमौर विधानसभा सीट पर कुल 11 प्रत्याशी हैं, लेकिन यहां तीन मुस्लिम कैंडिडेट के बीच मुख्य मुकाबला माना जा रहा है. इनमें कांग्रेस से अब्दुल जलील मस्तान, जेडीयू से सबा जफर और AIMIM से अख्तरउल इमान मैदान में किस्मत आजमा रहे हैं. 2015 में कांग्रेस के जलील मस्तान ने यह सीट बीजेपी से छीनी थी. 

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अररिया विधानसभा सीट पर भले ही 12 उम्मीदवार मैदान में हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला जेडीयू और कांग्रेस के मुस्लिम प्रत्याशियों के बीच है. जेडीयू से शगुफ्ता अजीम, कांग्रेस से वर्तमान विधायक आबिदुर्रहमान और एआईएमआईएम के राशिद अनवर मैदान में हैं. यह सीट जेडीयू के खाते में जाने से बीजेपी से बगावत कर पूर्व जिला अध्यक्ष चंद्रशेखर सिंह बब्बन एलजेपी से ताल ठोक रहे हैं. ऐसे ही ठाकुरगंज सीट पर भी मुस्लिम प्रत्याशियों के बीत ही सियासी मुकाबला है. जेडीयू से मौजूदा विधायक नौशाद आलम, आरजेडी से सऊद आलम और AIMIM से महबूब आलम मैदान में किस्मत आजमाने के लिए मैदान में उतरे हैं. 

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कोचाधामन मुस्लिम बहुल सीट मानी जाती है और यहां से 15 प्रत्याशी मैदान में उतरे हैं. जेडीयू से  मुजाहिद आलम, आरजेडी से शाहिद आलम और AIMIM से मोहम्मद इजहार मैदान में हैं. 2015 में यहां से जेडीयू के मुजाहिद आलाम विधायक बने थे और AIMIM के अख्तारुल इमान 37 हजार वोट पाकर दूसरे नंबर रहे थे, लेकिन इस बार पार्टी ने इजहार पर दांव लगाया. वहीं, आरजेडी ने शाहिद आलम को उतारकर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है. 

बिहार के सियासी रण में एनडीए और महागठबंधन के 20 मुस्लिम प्रत्याशियों के खिलाफ AIMIM ने अपने प्रत्याशी उतारे हैं. इनमें नौतन, शिवहर, बरौली, गोपालगंज, दरभंगा ग्रामीण, मढ़ौरा, गौड़ा बौराम, ढाका, बिस्फी, फारबिसगंज, जोकीहाट, किशनगंज, बायसी, प्राणपुर , केवटी, जाले, औराई, सिकटा, नरकटिया, सुरसंड, सुपौल, कदवा, समस्तीपुर, बहादुरगंज, कसवा, बलरामपुर, सिमरी बख्तियारपुर और नाथनगर में मुस्लिम प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं. इनमें 30 सीटों पर महागठबंधन ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं. महागठबंधन के अधिकतर मुस्लिम प्रत्याशियों के खिलाफ बीजेपी के प्रत्याशी ताल ठोक रहे हैं.

 

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