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बिहार: दूसरे चरण में बागी बिगाड़ सकते हैं खेल, एक दर्जन सीटों पर दलबदलू मैदान में उतरे

बिहार चुनाव के दूसरे चरण में एक दर्जन से ज्यादा ऐसे नेताओं की किस्मत का फैसला होना है, जो दल बदलकर चुनावी मैदान में उतरे हैं. वहीं, बदले हुए समीकरण में बागी नेताओं के सामने अपनी सीट बचाए रखने की चुनौती है. बता दें कि 94 सीटों पर मंगलवार को वोटिंग होनी है, जहां पर 1463 प्रत्याशी मैदान में हैं.

जेडीयू के बागी रवि ज्योति कांग्रेस से चुनावी मैदान में है जेडीयू के बागी रवि ज्योति कांग्रेस से चुनावी मैदान में है
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली ,
  • 02 नवंबर 2020,
  • अपडेटेड 8:27 PM IST
  • बिहार: दूसरे चरण की 94 सीटों पर 1463 प्रत्याशी
  • दूसरे चरण में कई सीटों पर बागी बिगाड़ रहे खेल
  • जेडीयू और बीजेपी के लिए बागी चुनौती बन गए हैं

बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण की 94 सीटों पर मंगलवार को वोटिंग होगी. यह चरण बिहार की सियासत के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, जिनमें नीतीश सरकार के तीन मंत्रियों सहित कई दिग्गज नेताओं की साख दांव पर लगी है. इसके अलावा इस चरण में एक दर्जन से ज्यादा ऐसे नेताओं के किस्मत का फैसला होना है, जो दल बदलकर चुनावी मैदान में उतरे हैं. वहीं, बदले हुए समीकरण में बागी नेताओं के सामने अपनी सीट बचाए रखने की चुनौती है. 

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राजगीर से रवि ज्योति 
बिहार चुनाव में इस बार कई बागी नेता अपने पुराने दल को छोड़कर नए दल के साथ चुनावी मैदान में उतरे हैं. जेडीयू के बागियों में विधायक रवि ज्योति इस बार कांग्रेस के टिकट पर राजगीर सीट से ताल ठोक रहे हैं, जिनके खिलाफ जेडीयू ने आठ बार के विधायक रहे एसएन आर्या के पुत्र कौशल किशोर को प्रत्याशी बनाया है. 2015 में पुलिस इंस्पेक्टर पद छोड़कर राजनीति में आए रवि ज्योति विधायक चुने गए थे, लेकिन इस बार पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया. इसके चलते वो बगावत कर कांग्रेस से चुनावी किस्मत आजमाने मैदान में है. 


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अलौली से रामचंद्र और रामवृक्ष 
अलौली सीट एक दौर में राम विलास पासवान के भाई पशुपति पारस की परंपरागत सीट रही है. यहां से वो सात बार विधायक रहे हैं, लेकिन 2015 में आरजेडी के चंदन कुमार ने यहां से जीत दर्ज की थी. पार्टी ने इस बार चंदन कुमार की जगह पूर्व विधायक रामवृक्ष सादा को उतारा है. जेडीयू ने साधना देवी को उतारा तो पूर्व विधायक रामचंद्र सादा ने पार्टी से बगवात एलजेपी से मैदान में उतरे हैं जबकि बसपा ने जगनंदन साधा को टिकट दिया है. इस तरह से जेडीयू के दो पूर्व विधायक बागवत करके अलौली सीट से किस्मत आजमा रहे हैं.  

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कुटुंबा सीट पर ललन भुइयां 
कुटुंबा सीट एनडीए के शेयरिंग में जीतनराम मांझी की हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के खाते में गई है. ऐसे में ललन भुइयां ने पार्टी से बागवत कर निर्दलीय चुनावी मैदान में हैं. HAM ने श्रवण भुइंया, कांग्रेस ने मौजूदा विधायक राजेश कुमार को चुनाव मैदान में उतारा है. वहीं, एलजेपी ने सुरुण पासवान, बसपा से कृष्ण कुमार पासवान को अपना प्रत्याशी बनाया है. 

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डिहरी और तरैया सीट पर बागी बने मुसीबत
डिहरी सीट पर बीजेपी विधायक सत्यनारायण सिंह पर पार्टी ने फिर विश्वास जताया है. वहीं, आरजेडी से कुशवाहा समाज से फतेबहादुर सिंह है तो बसपा से सोना देवी हैं. ऐसे में जेडीयू के जिला संगठन प्रभारी रहे राजीव रंजन उर्फ राजू गुप्ता पार्टी से बगावत कर निर्दलीय चुनावी मैदान में है. ऐसे ही तरैया सीट पर आरजेडी ने अपने मौजूदा विधायक मुद्रिका सिंह का टिकट काटकर सिपाही लाल महतो पर दांव लगाया तो बीजेपी के जनक सिंह चुनाव लड़ रहे हैं. यही वजह है कि जेडीयू के नेता रहे शैलेंद्र सिंह निर्दलीय मैदान में उतरकर एनडीए के मुसीबत का सबब बन गए हैं. 

बीजेपी के बागी जेडीयू के लिए बने चुनौती

बैकुंठपुर सीट पर बीजेपी के मिथिलेश तिवारी फिर से मैदान में हैं तो मंजीत कुमार सिंह जेडीयू से बगावत कर निर्दलीय ताल ठोक रहे हैं. वहीं, आरजेडी की टिकट पर पूर्व विधायक स्वर्गीय देवदत्त प्रसाद के पुत्र प्रेमशंकर राय मैदान में किस्मत आजमा रहे हैं. ऐसे ही पूर्व मंत्री और भारतीय सबलोग पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष रणु कुशवाहा एलजेपी के टिकट पर खगड़िया से मैदान में हैं. इसी तरह से बीजेपी के बागियों में मनोज कुमार सिंह रघुनाथपुर, कामेश्वर सिंह मुन्ना एकमा, प्रदीप ठाकुर दरभंगा ग्रामीण, राजीव ठाकुर गौड़ाबौराम से चुनावी मैदान में किस्मत आजमा रहे हैं, जो जेडीयू के लिए चिंता का सबब बन गए हैं. 

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