
बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर नीतीश कुमार हरसंभव समीकरण बनाने में जुटे हैं. ऐसे में नीतीश के पुराने सारथी रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव की घर वापसी की कवायद तेज हो गई है. शरद यादव की जेडीयू में वापसी को लेकर पार्टी के कई नेता उनके संपर्क में हैं. माना जा रहा है जल्द ही इसे अमलीजामा पहनाया जा सकता है.
बता दें कि नीतीश कुमार के साथ राजनीतिक मनमुटाव के चलते शरद यादव ने 2018 में जेडीयू से बगावत कर लोकतांत्रिक जनता दल नाम से अपनी अलग राजनीतिक पार्टी का गठन किया था. शरद यादव के साथ अली अनवर सहित कई बड़े नेताओं ने पार्टी छोड़ दी थी. इसके बाद शरद यादव 2019 लोकसभा चुनाव में आरजेडी के टिकट पर मधेपुरा से चुनाव भी लड़े लेकिन जेडीयू के दिनेश्वर यादव से 1 लाख वोटों से हार गए.
पिछले कुछ दिनों से शरद यादव की तबीयत ठीक नहीं है. वह दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती हैं, जहां उनका इलाज चल रहा है. सूत्रों के मुताबिक शरद यादव की तबीयत को लेकर जेडीयू के कई बड़े नेताओं ने उनका हालचाल जानने के लिए उनसे संपर्क साधा. इसी दौरान पार्टी में दोबारा वापसी पर बात आगे बढ़ाई गई. माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव से पहले शरद यादव जेडीयू में शामिल हो सकते हैं.
वैसे शरद यादव फिलहाल महागठबंधन का हिस्सा हैं, लेकिन आरजेडी की ओर से उन्हें कोई खास तवज्जो नहीं मिल रही है. इस बात से भी शरद यादव खफा हैं. ऐसे में शरद यादव की जेडीयू में वापसी की संभावना बढ़ गई है.
जेडीयू के प्रवक्ता राजीव रंजन शरद यादव की जेडीयू में सीधे एंट्री के तौर पर कुछ नहीं बोल रहे, लेकिन इशारों में संकेत जरूर दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि शरद समाजवादी आंदोलन के एक बड़े नेता हैं, पर आधिकारिक तौर पर अभी फिलहाल हमारे पास उनके पार्टी में वापस शामिल होने की कोई जानकारी नहीं है. इस बात को नकारा नहीं जा सकता है कि महागठबंधन में शरद यादव घुटन महसूस कर रहे हैं और ऐसे में वह कोई निर्णय लेते हैं तो वह चौंकाने वाला नहीं होगा.
दरअसल, नीतीश कुमार की नजर आरजेडी के परंपरागत वोटर में सेंध लगाने की है. इसी के मद्देनजर पिछले दिनों आरजेडी के कई नेताओं की एंट्री जेडीयू में हुई है, जिनमें यादव और मुस्लिम विधायक शामिल रहे हैं. इसी कड़ी में अब जेडीयू की कोशिश शरद यादव की एंट्री को लेकर है ताकि लालू के परंपरागत वोटर्स यानी यादवों के वोट बैंक में सेंध लगाई जा सके.
शरद यादव की बिहार की चुनावी राजनीति में 1991 में इंट्री हुई थी, जब वे मधेपुरा संसदीय सीट पर चुनाव लड़ की लोकसभा पहुंचे थे. वे यहां से 1996,1999 और 2009 में भी चुने गये. 1999 में शरद ने लालू प्रसाद को करीब 30हजार वोटों से हराया था. 1998 व 2004 में लालू प्रसाद ने उन्हें हरा दिया था.