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बिहार में जीत मिलने के बाद 'माननीयों' पर मेहरबान होती है लक्ष्‍मी

आप यकीन करें या न करें, सच ये है कि बिहार में सांसद हों या विधायक, चुनाव जीतने के बाद लक्ष्‍मी उन पर कुछ ज्‍यादा ही मेहरबान हो जाती है. ऐसा हम नहीं कह रहे. ये कहना है कि इलेक्‍शन वॉच और एडीआर यान‍ी द एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म्‍स संस्‍था का

Currency Notes (Photo: PTI) Currency Notes (Photo: PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 12 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 9:28 PM IST
  • प्रत्याशी चुनाव जीतने के बाद अमीर हो जाते हैं
  • पढ़े-लिखे पर आपराधिक आरोप ज्‍यादा

आप यकीन करें या न करें, सच ये है कि बिहार में सांसद हों या विधायक, चुनाव जीतने के बाद लक्ष्‍मी उन पर कुछ ज्‍यादा ही मेहरबान हो जाती है. ऐसा हम नहीं कह रहे. ये कहना है कि इलेक्‍शन वॉच और एडीआर यान‍ी द एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म्‍स संस्‍था का. ये संस्‍थाएं देश और राज्‍यों में होने वाले चुनावों में शामिल होने वाले नेताओं का अध्‍ययन करती हैं. नामांकन पत्र में व्‍यक्तिगत, शैक्षिक, आर्थिक व आपराधिक सूचनाओं के आधार पर अपनी रिपोर्ट तैयार करती हैं. 

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औसत संपत्ति में दोगुने से ज्‍यादा इजाफा 

इलेक्‍शन वॉच और एडीआर की ताजा रिपोर्ट बिहार को लेकर है. 2005 से लेकर अब तक हुए चुनावों में यहां 10785 नेता हिस्‍सा ले चुके हैं. इन सभी के बारे में विश्‍लेषण करने पर चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई हैं.  जैसे कि बीते 15 वर्षों में चुनाव लड़ने वालों की औसत संपत्ति 1.09 करोड़ थी. इसमें चुनाव जीतने वाले सांसद और विधायकों की संपत्ति बाद में दो गुने से ज्‍यादा बढ़ी है. इसका औसत 2.25 करोड़ है. यान‍ी अगर किसी नेता के पास चुनाव लड़ने से पहले 1.09 करोड़ की संपत्ति थी तो चुनाव जीतने के बाद अगले चुनाव तक वह बढ़कर 2.25 करोड़ हो गई.

जितने मुकदमे, जीत की संभावना उतनी ज्‍यादा 

रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2005 से अब तक 10785 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे हैं. इन उम्मीदवारों में 30 प्रतिशत ऐसे थे, जिन्होंने खुद पर लगे आपराधिक आरोपों की घोषणा नामांकन के दौरान की. इन दागी लोगों में 20 प्रतिशत ऐसे हैं, जिनके ऊपर गंभीर अपराध के आरोप हैं. जीत हासिल करने वाले 820 सांसद व विधायकों का विश्लेषण हुआ तो इनमें 57 प्रतिशत पर आपराधिक आरोप थे. इसमें भी 36 प्रतिशत पर गंभीर अपराध के आरोप थे. यानी वही उम्मीदवार ज्यादा जीते जिन पर आपराधिक घटनाओं में लिप्त होने का आरोप है.  

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पढ़े-लिखे उम्मीदवारों पर आपराधिक आरोप ज्‍यादा 

इस रिसर्च में शिक्षा और अपराध का तुलनात्‍मक अध्‍ययन भी किया गया. इसके नतीजे और ज्‍यादा रोचक निकले. चुनाव मैदान में उतरे स्नातक या उसके अधिक की शिक्षा ग्रहण करने वालों में 33 प्रतिशत पर आपराधिक मामले  हैं. इनमें 21 प्रतिशत शिक्षित उम्मीदवारों पर गंभीर आपराधिक मामलों का आरोप है. कम शिक्षित यानी 12वीं तक की शिक्षा ग्रहण करने वाले उम्मीदवारों में 29 प्रतिशत पर ही आपराधिक घटनाओं के आरोप हैं जबकि गंभीर आपराधिक घटनाओं के आरोपी 20 प्रतिशत हैं. स्‍पष्‍ट है कि जो ज्‍यादा पढ़े-लिखे थे, उन पर आपराधिक आरोप ज्‍यादा हैं.

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