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अमित शाह की वर्चुअल रैली, विपक्ष ने कहा-बिहार की जमीन पर नहीं उतर पाई

कोरोना संकट के बीच अमित शाह ने रविवार को वर्चुअल रैली के जरिए बिहार विधानसभा चुनाव का बिगुल फूंक दिया है. इस दौरान मोदी सरकार 2.0 के एक साल की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए सवा लाख करोड़ के पैकेज का हिसाब दिया. वहीं, आरजेडी ने तंज कसते हुए कहा कि अमित शाह की वर्चुअल रैली वर्चुअल ही रह गई बिहार के जमीनी मुद्दे पूरी तरह से गायब रहे.

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 08 जून 2020,
  • अपडेटेड 9:26 AM IST

  • अमित शाह ने वर्चुअल रैली के जरिए बिहार चुनाव का फूंका बिगुल
  • आरजेडी ने शाह की रैली पर खड़े किए सवाल, कहा- हवा-हवाई रैली

बिहार विधानसभा चुनाव प्रचार का बीजेपी ने शंखनाद कर दिया है. बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष व केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को देश की पहली वर्चुअल रैली 'बिहार जनसंवाद' को संबोधित किया. इस दौरान शाह ने मोदी सरकार 2.0 के एक साल की उपलब्धियां का जिक्र करते हुए दावा किया कि बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में दो-तिहाई बहुमत से सरकार बनेगी. वहीं, आरजेडी ने अमित शाह की रैली को हवा-हवाई करार दिया.

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आरजेडी के राष्ट्रीय महासचिव और विधान परिषद सदस्य कमर आलम ने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा कि अमित शाह की बिहार जनसंवाद वर्चुअल रैली हवा हवाई रही. बिहार की जमीनी मुद्दों से दूर वर्चुअल तक ही सीमित रही. शाह अपनी रैली में मोदी सरकार की उपलब्धियों का बखान करते रहे, लेकिन कोरोना संकट में बिहार के गरीब-मजदूरों की तकलीफ का कोई जिक्र तक नहीं किया.

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कमल आलम ने आरोप लगाते हुए कहा, 'बिहार के क्वारनटीन सेंटरों की हालत बहुत ही खराब है, वहां पर लोगों को खाने-पीने को नहीं मिल रहा है. कोरोना संकट के चलते बिहार के करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए हैं और डंबल इंजन की सरकार चुनाव तैयारी में जुटी है. अमित शाह केंद्र सरकार के कामकाज गिनाते रहे, लेकिन पिछले 15 साल से बीजेपी और जेडीयू सरकार की उपलब्धियां नहीं बता सके, क्योंकि उनके पास बताने के लिए कुछ नहीं है.' उन्होंने कहा कि अमित शाह के बिहार जनसंवाद में बिहार के लोगों से बिहार की बात नहीं की गई और न ही बिहार के विकास की चर्चा की गई. इसीलिए यह वर्चुअल रैली वर्चुअल ही रह गई और जमीन पर नहीं उतर सकी.

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अमित शाह की रैली के बाद आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर निशाना साधा. उन्होंने कहा, 'वर्चुअल रैली में खोली नोटों की थैली, लेकिन खाली है गरीबों की थाली. जनता आपको घर बैठाएगी हाथ खाली, तब करना हजारों डिजिटल चुनावी रैली.' उन्होंने आगे लिखा, 'किसान, नौजवान व गरीब विरोधी सरकार के विरुद्ध आज बिहार ने थाली बजाकर विरोध प्रकट किया, क्योंकि गरीबों का पेट और थाली, है खाली.'

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वहीं, बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता जफर इस्लाम ने कहा कि कोरोना संकट में बीजेपी के कार्यकर्ता से लेकर पार्टी के छोटे-बड़े नेता तक जनता के बीच हैं. अमित शाह ने बिहार जनसंवाद के जरिए प्रदेश के लोगों से संवाद कर कोरोना वॉरियर्स के हौसले को बढ़ाने का काम किया है, जो इस संकट की घड़ी में लोगों की मदद करने का काम कर रहे थे. मोदी सरकार 2.0 के एक साल का रिपोर्ट कार्ड भी उन्होंने जनता के सामने रखने का काम किया है.

जफर इस्लाम ने कहा कि अमित शाह ने प्रधानमंत्री द्वारा बिहार में दिए गए स्पेशल पैकेज का हिसाब लोगों के सामने रखा है. हर विभाग के लिए प्रधानमंत्री पैकेज की तरफ से दी गई राशि का विस्तृत आंकड़ा पेश किया. केंद्र सरकार बिहार को विकसित बनाने के लिए हर संभव मदद दे रही है. ऐसे में विपक्ष का यह कहना है कि बिहार के विकास का जिक्र नहीं किया गया यह पूरी तरह से गलत है. विपक्ष अमित शाह की रैली से परेशान हो गया है. इसीलिए झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं.

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वरिष्ठ पत्रकार अरविंद मोहन ने कहा कि अमित शाह ने वर्चुअल रैली के जरिए चुनावी अभियान की शुरूआत कर दी है. प्रवासी मजदूरों के मुद्दे से लेकर सवा लाख करोड़ के पैकेज पर वो महज सफाई ही देते रहे हैं. बिहार के असल मुद्दे का अमित शाह ने जानबूझ कर जिक्र नहीं किया है, क्योंकि इस पर बात करेंगे तो उन्हें ही जवाब देना पड़ेगा. इसीलिए वे मोदी सरकार की उपलब्धियों को गिनाते रहे.

अरविंद मोहन ने कहा कि बीजेपी की ओर से बिहार विधानसभा चुनाव की पिछली बार कमान अमित शाह के हाथ में ही थी लेकिन नतीजे बीजेपी के पक्ष में नहीं रहे. इस बार अमित शाह बिहार की सियासत में न उलझकर खुद को राष्ट्रीय मुद्दों पर सीमित रखते दिखे. बीजेपी के वर्तमान अध्यक्ष जेपी नड्डा लंबे समय तक बिहार में रहे हैं और वहां के राजनीतिक हालात और मुद्दों को बेहतर जानते हैं. हो सकता है कि आने वाले दिनों में नड्डा वहां ज्यादा सक्रिय दिखें.

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