
बिहार विधानसभा से पहले महागठबंधन में मचा भूचाल थमने का नाम नहीं ले रहा है. राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) नेता तेजस्वी यादव के अड़ियल रवैये की वजह से पहले जीतन राम मांझी ने और उसके बाद उपेंद्र कुशवाहा ने महागठबंधन को अलविदा कह दिया है.
जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा जहां एनडीए में शामिल हो चुकी है वहीं दूसरी तरफ उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने मायावती की बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन करके तीसरा मोर्चा बनाया है.
मांझी और कुशवाहा के महागठबंधन से अलग होने के बाद यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या अब तेजस्वी के निशाने पर कांग्रेस है? सीट शेयरिंग के मुद्दे पर जिस तरीके से तेजस्वी यादव ने कांग्रेस को आईना दिखाया है उससे सवाल खड़े हो रहे हैं कि तेजस्वी अब महागठबंधन से कांग्रेस को भी निपटाना चाहते हैं?
कांग्रेस को ज्यादा सीट नहीं
महागठबंधन में सीटों की बातचीत बिल्कुल नाजुक दौर पर पहुंच चुकी है जहां पर तेजस्वी ने कांग्रेस से कह दिया है कि विधानसभा चुनाव में इस बार 58 सीट से ज्यादा नहीं मिलेगा. 58 विधानसभा सीटों के साथ तेजस्वी ने कांग्रेस को वाल्मीकि नगर लोकसभा सीट भी देने का प्रस्ताव रखा है जहां पर विधानसभा चुनाव के साथ उपचुनाव भी होने हैं.
बताया जा रहा है कि कांग्रेस ने तेजस्वी यादव के इस ऑफर को सिरे से खारिज कर दिया है. कांग्रेस की मांग है कि उन्हें विधानसभा में कम से कम 75 सीटें मिलनी चाहिए.
कांग्रेस के रुख को देखते हुए तेजस्वी यादव ने एक और ऑफर दिया है जहां पर उन्हें 63 सीटें मिलेगी लेकिन वाल्मीकि नगर लोकसभा सीट आरजेडी के कोटे में जाएगा.
राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा, “आरजेडी और कांग्रेस का गठबंधन का प्राकृतिक है. कई चुनाव हमने साथ लड़ा है और सरकार भी चलाया है. चुनाव में आरजेडी कांग्रेस को 58 सीट और एक लोकसभा सीट भी दे रही है. कांग्रेस को उदारता दिखानी चाहिए क्योंकि वह राष्ट्रीय पार्टी है और आरजेडी क्षेत्रीय पार्टी. कांग्रेस पार्टी को जमीनी हकीकत समझनी पड़ेगी और हम साथ में चुनाव लड़ेंगे.”
कांग्रेस ने तेजस्वी के इस ऑफर को ठुकरा दिया है क्योंकि वाल्मीकि नगर लोकसभा सीट पर 2019 में कांग्रेस चुनाव लड़ी थी और उपचुनाव में भी उन्हीं का दावा बनता है. तेजस्वी यादव के अड़ियल रुख को देखते हुए बिहार प्रदेश कांग्रेस के आला नेताओं से बातचीत करने के लिए कांग्रेस आलाकमान ने उन्हें आज दिल्ली बुलाया है.
कांग्रेस पीछलग्गू पार्टीः जेडीयू
2015 विधानसभा चुनाव में महागठबंधन में जो सीटों का बंटवारा हुआ था उसके अनुसार आरजेडी और जेडीयू 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और कांग्रेस के खाते में 41 सीटें गई थीं. तब चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करते हुए कांग्रेस ने 27 सीटें जीती थी.
जनता दल यूनाइटेड प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा, “कांग्रेस ने बैसाखी के सहारे पिछले तीन दशक बिहार में बिताए हैं. कांग्रेस आरजेडी की पीछलग्गू पार्टी है और इसी कारण से कांग्रेस का अस्तित्व आज खतरे में है. एनडीए को बिहार में महागठबंधन से कोई चुनौती नहीं है.”