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बिहार चुनाव के रोचक किस्‍से: लहर के खिलाफ भी जनादेश दे चुका है ये 'राजमहल'

राजमहल के इतिहास पर नजर डालें तो यहां हमेशा से कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधी लड़ाई रही है. अब तक के चुनावी इतिहास में छह बार बीजेपी तो छह बार कांग्रेस का इस सीट पर कब्‍जा रहा.

बिहार चुनाव के नतीजे 10 नवंबर को घोषित होंगे (Photo: File) बिहार चुनाव के नतीजे 10 नवंबर को घोषित होंगे (Photo: File)
aajtak.in
  • साहिबगंज,
  • 06 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 10:18 PM IST
  • बिहार में तीन चरण में विधानसभा चुनाव
  • पहले चरण का मतदान 28 अक्टूबर को
  • दूसरे चरण का मतदान 3 नवंबर को
  • तीसरे चरण का मतदान 7 नवंबर को

बिहार में विधानसभा चुनावों का बिगुल बज चुका है. बिहार में तीन चरण में विधानसभा के चुनाव होंगे. पहले चरण का मतदान 28 अक्टूबर को होगा, दूसरे चरण का मतदान 3 नवंबर और तीसरे चरण का मतदान 7 नवंबर को होगा. चुनाव के नतीजे 10 नवंबर को घोषित होंगे. इसी कड़ी में हम आपको बिहार चुनाव के कुछ दिलचस्प किस्से बता रहे हैं.

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बिहार के साहिबगंज जिले में एक विधानसभा सीट है राजमहल. इस सीट की खूबी ये है कि जब देश में जनता दल की लहर थी तब भी और जब सूबे में कांग्रेस की लहर थी, तब भी यहां के वोटर्स ने लहर के खिलाफ जनादेश दिया.

1977 और 1980 के रिजल्‍ट ने चौंकाया था 

राजमहल विधानसभा सीट पर सर्वाधिक चौंकाने वाला रिजल्‍ट 1977 के चुनाव में देखने को मिला था. जब देश और राज्‍य में जनता दल की लहर थी तब यहां सभी संभावनाओं को धता बताते हुए जनता ने निर्दलीय उम्‍मीदवार ध्रुव भगत को विजयी बना दिया. कुछ ऐसा ही हैरान करने वाला रिजल्‍ट 1980 में हुए विधानसभा के मध्‍यावधि चुनाव में देखने मिला. इस बार लहर कांग्रेस के पक्ष में थी. राजमहल ने यहां फ‍िर लहर को दरकिनार कर बीजेपी के टिकट से मैदान में उतरे ध्रुव भगत को ही दोबारा विजयी बना दिया

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हमेशा बीजेपी-कांग्रेस में रही सीधी लड़ाई 

राजमहल के इतिहास पर नजर डालें तो यहां हमेशा से कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधी लड़ाई रही है. अब तक के चुनावी इतिहास में छह बार बीजेपी तो छह बार कांग्रेस का इस सीट पर कब्‍जा रहा. तीन ही ऐसे मौके थे जब ये सीट इन दोनों ही पार्टियों के हाथ से बाहर निकली.

इस सीट ने मुख्‍यमंत्री भी दिया

राजमहल बिहार की उन चुनिंदा सीटों में से एक है जिसने प्रदेश को मुख्‍यमंत्री भी दिया. 1957 में कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने विनोदानंद झा संयुक्‍त बिहार के मुख्‍यमंत्री भी बने. उन्‍होंने यहां दो बार जीत हासिल की. हालांकि इस सीट पर सबसे ज्‍यादा बार जीत का रिकॉर्ड ध्रुव भगत के नाम है. वह एक बार निर्दलीय और तीन बार बीजेपी के टिकट पर जीत चुके हैं. 

जेएमएम की है अब इस सीट पर नजर 

ये विधानसभा सीट जिस एरिया में पड़ता है, उसे झारखंड मुक्ति मोर्चा का गढ़ माना जाता है. हालांकि गढ़ होने के बावजूद जेएमएम के वजूद से लेकर अब तक राजमहल सीट कभी जेएमएम के हाथ नहीं आ सकी है. इतना जरूर है कि पिछले 4 बार के विधानसभा चुनावों में से तीन बार झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रत्‍याशियों ने कड़ी टक्‍कर देते हुए दूसरा स्‍थान प्राप्‍त किया है.

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