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11 साल पहले भी VRS ले चुके थे गुप्तेश्वर पांडे, टिकट नहीं मिला तो फिर पहन ली वर्दी

बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने ऐसे समय में वीआरएस लिया है जब बिहार विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. ऐसे में उनके चुनाव लड़ने की चर्चाएं तेज हैं. हालांकि, गुप्तेश्वर पांडे ने चुनावी मैदान में उतरने के लिए 11 साल पहले भी वीआरएएस लिया था, लेकिन उस समय बीजेपी से टिकट नहीं मिलने के बाद वो पुलिस सर्विस में वापसी कर गए थे.

बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 23 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 10:02 AM IST
  • बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने वीआरएस लिया
  • 2009 में चुनाव लड़ने के लिए पांडे ने वीआरएस लिया था
  • बक्सर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे

बिहार के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) गुप्तेश्वर पांडे ने समय से पहले सेवानिवृत्ति (वीआरएस) लिया है, जिसे राज्यपाल ने स्वीकार भी कर लिया है. पांडे ने ऐसे समय में वीआरएस लिया है जब बिहार विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. ऐसे में उनके चुनाव लड़ने की चर्चाएं तेज हैं. माना जा रहा कि वह एनडीए के उम्मीदवार के तौर पर सियासी पिच पर किस्मत आजमा सकते हैं. हालांकि, गुप्तेश्वर पांडे ने चुनावी मैदान में उतरने के लिए 11 साल पहले भी वीआरएएस लिया था, लेकिन बीजेपी से टिकट नहीं मिलने के बाद वो 'घर वापसी' कर गए थे.

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दरअसल 1987 बैच के आईपीएस ऑफिसर गुप्तेश्वर पांडे को जनवरी 2019 में बिहार का डीजीपी बनाया गया. बतौर डीजीपी उनका कार्यकाल 28 फरवरी 2021 तक था, लेकिन उन्होंने मंगलवार को कार्यकाल पूरा होने से पहले वीआरएस ले लिया है. ऐसे में पांडे के वीआरएस के राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं, क्योंकि इससे पहले भी गुप्तेश्वर पांडे ने वीआरएस लिया था, वह लोकसभा चुनाव का मौसम था और इस बार बिहार विधानसभा का बिगुल बज गया है. 

गुप्तेश्वर पांडे ने 2009 में वीआरएस लिया था और उस समय भी उनके लोकसभा चुनाव लड़ने की चर्चाएं तेज थीं. कहा जाता है कि गुप्तेश्वर पांडे बिहार की बक्सर लोकसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते थे. गुप्तेश्वर पांडे को उम्मीद थी कि बक्सर से बीजेपी के तत्कालीन सांसद लालमुनि चौबे को पार्टी दोबारा से प्रत्याशी नहीं बनाएगी. ऐसे में वह पुलिस की नौकरी से इस्तीफा देकर सियासी गोटियां सेट करने लगे थे. 

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बीजेपी नेताओं के साथ पांडे ने अपने समीकरण भी बना लिए थे और टिकट मिलने का पूरा भरोसा हो गया भी हो गया था. गुप्तेश्वर पांडे के नाम की घोषणा होती उससे पहले ही बीजेपी नेता लालमुनि चौबे ने बागी रुख अख्तियार कर लिया. इससे बीजेपी ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए लालमुनि चौबे को भी मैदान में उतारने का फैसला किया. पुलिस सर्विस से इस्तीफा दे चुके पांडे को न खुदा मिला न विसाले सनम. सियासी अरमानों पर पानी फिरने के बाद गुप्तेश्वर पांडे ने दोबारा से सर्विस में वापसी का रास्ता तलाशा. 

गुप्तेश्वर पांडे ने इस्तीफा देने के 9 महीने बाद बिहार सरकार से कहा कि वे अपना इस्तीफा वापस लेना चाहते हैं और नौकरी करना चाहते हैं. बिहार में नीतीश कुमार की सरकार ने उनकी अर्जी को स्वीकार करते इस्तीफा वापस कर दिया था. इस तरह से गुप्तेश्वर पांडे की पुलिस सर्विस में नौकरी में वापसी हो गई. 2009 में जब पांडे ने वीआरएस लिया था तब वो आईजी थे और 2019 में उन्हें बिहार का डीजीपी बनाया गया था. अब उन्होंने एक बार फिर वीआरएस ऐसे समय में लिया है जब बिहार में चुनावी सरगर्मियां तेज हैं. 

 

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