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कोरोना काल में भी जमकर वोटिंग, जानिए क्या कहते हैं बिहार में पहले चरण के वोटिंग ट्रेंड

बिहार विधानसभा चुनाव में बुधवार को पहले चरण में मतदाताओं के उत्साह के आगे कोरोना का डर फीका पड़ गया. चुनाव आयोग के मुताबिक पहले दौर की 71 सीटों पर 54.26 फीसदी रहा जबकि 2015 के विधानसभा चुनाव में इन सीटों पर 54.75 फीसदी वोटिंग हुई थी. 

बिहार चुनाव के पहले चरण की वोटिंग बिहार चुनाव के पहले चरण की वोटिंग
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली ,
  • 29 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 10:52 AM IST
  • बिहार के पहले चरण में 54.26 फीसदी वोटिंग
  • जेडीयू-बीजेपी एक साथ चुनावी मैदान में उतरी हैं
  • पहले चरण की 71 में से 27 सीटें RJD के पास हैं

बिहार विधानसभा चुनाव में पहले चरण के 16 जिलों की 71 सीटों पर 1066 उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम मशीन में कैद हो चुकी है. बुधवार को पहले चरण में मतदाताओं के उत्साह के आगे कोरोना का डर फीका पड़ गया. चुनाव आयोग के मुताबिक पहले दौर की 71 सीटों पर मतदान 54.26 फीसदी रहा जबकि 2015 के विधानसभा चुनाव में इन सीटों पर 54.75 फीसदी वोटिंग हुई थी. 

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बिहार चुनाव के पहले चरण के वोटिंग ट्रेंड को देखें तो पिछले चुनाव के बराबर ही लगभग मतदान नजर आ रहा है. हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में 53.92 फीसदी वोटिंग हुई थी जबकि 2010 के विधानसभा चुनाव में 50.67 फीसदी मतदान हुआ था. पिछले लोकसभा चुनाव और 2010 के चुनाव की तुलना में इस बार ज्यादा मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है. 

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पहले चरण की 71 सीटों में से 24 सीटों पर ही पिछली बार के मुकाबले वोटिंग बढ़ी है जबकि 2015 में 71 में से 68 सीटों पर मतदान बढ़ा था. वोटिंग फीसदी के घटने-बढ़ने का सीधा-सीधा असर चुनावी नतीजों पर भी पड़ता है. 2015 के चुनाव में पहले चरण की 71 सीटों में से एनडीए को 14 सीटें मिली थीं, जिनमें से 13 बीजेपी और एक जीतनराम मांझी ने जीती थी. 2015 के चुनाव में जेडीयू और बीजेपी अलग-अलग लड़ी थीं. 

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वहीं, 2015 के चुनाव में लालू यादव और नीतीश कुमार साथ थे, जिसके सहारे महागठबंधन को 53 सीटें मिली थीं, जिनमें 27 सीटें आरजेडी, 18 सीटें जेडीयू और 8 सीटें कांग्रेस को मिली थी. 2010 के चुनाव में एनडीए को 61 सीटें मिली थी, जिनमें से बीजेपी 22 और जेडीयू 39 सीटें जीती थी जबकि आरजेडी दहाई का अंक क्रॉस नहीं कर सकी थी.

2010 के चुनाव में नीतीश कुमार की जेडीयू और बीजेपी साथ मिलकर 243 सीटों में से 206 सीटें जीती थीं. ऐसे में 71 सीटों पर एनडीए को 61 सीटें मिली थीं. 2010 में बीजेपी ने जो 22 सीटें जीती थीं, उनमें से सिर्फ 5 सीटें ही बचाने में कामयाब रही जबकि बाकी 17 सीटें उसने गंवा दीं थी. इन 17 सीटों में से 12 सीटें आरजेडी ने छीन ली थी जबकि 4 सीटों पर कांग्रेस और 1 सीट पर जेडीयू ने कब्जा जमाया था. वहीं, बीजेपी ने 8 नई सीटें जीती थी, जो 2010 में आरजेडी ने जीती थी. इसके अलावा बीजेपी ने दो सीटें जेडीयू और एक सीट एलजेपी ने छोड़ी थी. 

हालांकि, इस बार के समीकरण बदल गए हैं और बीजेपी और जेडीयू फिर एक साथ मैदान में उतरी हैं. बिहार चुनाव के पहले चरण की 71 सीटों में से तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन की ओर से आरजेडी 42 सीटों पर चुनाव लड़ रही है जबकि उसके सहयोगी कांग्रेस 21 और सीपीआई माले 8 सीटों पर चुनावी मैदान में हैं. वहीं, नीतीश की अगुवाई वाले एनडीए की ओर से जेडीयू 35 सीटों पर चुनावी मैदान में उतरी है जबकि उसकी सहयोगी बीजेपी 29, जीतनराम मांझी की हिंदुस्तान आवाम मोर्चा 6 और वीआईपी एक सीट पर चुनाव लड़ रही है. 

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पहले चरण में उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी 43 सीटों पर मैदान में है और उसकी सहयोगी बसपा 27 सीटों पर किस्मत आजमा रही है. एनडीए से अलग होकर बिहार के सियासी रण में अकेले चुनाव लड़ने वाले चिराग पासवान की एलजेपी पहले चरण की महज 42 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जिसमें एलजेपी ने जेडीयू के खिलाफ 35 प्रत्याशी उतारे हैं जबकि छह हम और एक वीआईपी के प्रत्याशी को चुनौती दे रहे हैं.

 

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