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बिहार: दूसरे चरण की वोटिंग से पहले नीतीश ने चला आबादी के हिसाब से आरक्षण का दांव

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि जनगणना हम लोगों के हाथ में नहीं है, लेकिन हम चाहेंगे कि जितनी लोगों की आबादी है, उस हिसाब से लोगों को आरक्षण मिले. इसमें हमारी कोई दो राय नहीं है.

सीएम नीतीश कुमार (फाइल फोटो-PTI) सीएम नीतीश कुमार (फाइल फोटो-PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 30 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 11:32 AM IST
  • वाल्मीकिनगर में नीतीश ने उठाया आरक्षण का मसला
  • थारू समाज ने की थी जनजाति में शुमार करने की मांग

बिहार के सियासी रण में अब आरक्षण का दांव भी आ गया है. दूसरे चरण की वोटिंग से पहले सीएम नीतीश कुमार ने आबादी के हिसाब से आरक्षण की हिमायत की है. उनका कहना है कि उनकी हमेशा से यही राय रही है और वो इस पर कायम है कि जातियों को उनकी आबादी के हिसाब से ही आरक्षण मिलना चाहिए.

गौरतलब है कि बिहार के रण में पार्टियां वोटों के लिए जी-तोड़ कोशिश कर रही हैं. 3 नवंबर को बिहार में दूसरे चरण की वोटिंग होने वाली है. रोजगार और कानून व्यवस्था से लेकर घोटालों की जमकर चर्चा हो रही है, लेकिन अब बारी आ गई हैं नए सियासी औजारों को आजमाने की और इन सब के बीच नीतीश कुमार ने खेला है आरक्षण का दांव. 

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वाल्मीकिनगर में नीतीश कुमार ने कहा कि जातियों को आबादी के हिसाब से आरक्षण मिलना चाहिए. असल में वाल्मीकि नगर में थारू जाति के काफी वोट हैं और ये जाति जनजाति में शुमार करने की मांग उठा रही है. इसी का समर्थन करते हुए नीतीश ने कहा कि जनगणना हम लोगों के हाथ में नहीं है, लेकिन हम चाहेंगे कि जितनी लोगों की आबादी है, उस हिसाब से लोगों को आरक्षण मिले. इसमें हमारी कोई दो राय नहीं है.

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सीएम नीतीश कुमार ने ये भी कहा कि थारू को आरक्षण का फायदा दिलाने के लिए वो सालों से कोशिश कर रहे हैं. तब से जब से वो अटल सरकार में रेल मंत्री थे. असल में यहां प्रचार करने के लिए पहुंचे नीतीश के सामने थारू जाति  ने पुरजोर तरीके से आरक्षण का मसला रखा था. 

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सीएम नीतीश कुमार ने चुनावी रैली में कहा कि हमने हर घर में बिजली पहुंचाई है. अगर हमें फिर से मौका दिया जाता है, तो हम हर गाँव में सोलर स्ट्रीट लाइट लगाएंगे. आप अपने बल्बों को बंद कर सकते हैं लेकिन पूरा गांव रात भर रोशन रहेगा. यह राज्य सरकार द्वारा किया जाएगा.

आरजेडी पर निशाना साधते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि वे 15 वर्षों से सत्ता में थे. 10 साल तक बिहार और झारखंड एक में था. 1990 से 2005 के बीच केवल 95,000 लोगों को नौकरी दी गई थी. हमारे कार्यकाल में 6 लाख से अधिक नौकरियां दी गई. इसके अलावा कई अन्य लोगों को अन्य सेवाओं में नामांकित किया गया.

 

 

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