
बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए भले ही जीत दर्ज करने में सफल रहा हो, लेकिन नीतीश कुमार की भूमिका अब छोटे भाई की हो गई है. दो दशक में पहली बार नीतीश कुमार की सीटें बीजेपी के कम आई है. ऐसे में नीतीश कुमार के सिर भले ही मुख्यमंत्री का ताज सज रहा है, लेकिन मंत्रिमंडल में जेडीयू का प्रतिनिधित्व पिछली बार की तुलना में कम रह सकती है. नीतीश कैबिनेट में इस बार बीजेपी और जेडीयू ही नहीं बल्कि जीतनराम मांझी की HAM और मुकेश सहनी की वीआईपी पार्टी की भी भागेदारी होगी. ऐसे में जेडीयू के मंत्रियों की संख्या घटना तय है.
बिहार चुनाव के इस बार नीतीश कुमार का नेतृत्व वाले एनडीए को 243 सीटों में से 125 सीटों पर जीत मिली है, जिनमें 74 सीटें बीजेपी , 43 सीटें जेडीयू, 4 सीट हिंदुस्तान आवाम मोर्चा और चार सीटें वीआईपी को मिली हैं. इस तरह से एनडीए बीजेपी सबसे बड़े दल के रूप में है और जेडीयू दूसरे नंबर की पार्टी है. इसके अलावा मांझी और सहनी की पार्टी ऐसे स्थिति में है, जिनके सहारे ही एनडीए बहुमत का आंकड़ा क्रॉस कर पा रहा है. ऐसे में नीतीश कुमार को अपनी कैबिनेट में उन्हें जगह देना मजबूरी है. इससे पहले तक नीतीश सरकार में सिर्फ बीजेपी और जेडीयू के मंत्री बनते रहे हैं.
विधानसभा में कुल सदस्यों के 15 फीसदी सदस्य मंत्री बने सकते हैं. बिहार में कुल 243 विधानसभा सदस्य हैं, जिसके आधार पर 36 मंत्री बने सकते हैं. नीतीश की पिछली सरकार में कुल 31 मंत्री थे, जिनमें मुख्यमंत्री को मिलाकर जेडीयू कोटे से 17 मंत्री थे जबकि बीजेपी कोटे से 13 मंत्री बने थे. इसके अलावा जेडीयू कोटे से ही विजय चौधरी विधानसभा अध्यक्ष थे. हालांकि, उस समय बीजेपी की पास 53 और जेडीयू के पास 71 विधायक थे. इसी आधार पर कैबिनेट में मंत्रियों की संख्या फॉर्मूला तय हुआ था. विधानसभा में जिसकी जितनी हिस्सेदारी, उसकी कैबिनेट में उतनी भागेदारी.
बिहार के मौजूदा विधानसभा के आंकड़े के लिहाज से देखें तो एनडीए में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है, जिसके लिहाज से उसके सबसे ज्यादा मंत्री बनना तय हैं. वहीं, जेडीयू दूसरे नंबर पर है. इस तरह से आंकड़ा 2015 के चुनाव के हिसाब से पूरी तरह से उलटा है, जितनी सीटें जेडीयू के पास थीं उससे ज्यादा बीजेपी की हो गई हैं और बीजेपी की जितनी थी उससे कम जेडीयू की हो गई हैं. अब इसी आधार पर मंत्री बनाए जाएंगे. इसके अलावा मांझी और मुकेश सहनी की पार्टी को भी कैबिनेट में हिस्सेदारी देनी होगी.
हालांकि, इस बार के विधानसभा चुनाव में एनडीए के 24 मंत्री चुनाव लड़े थे. इनमें जेडीयू कोटे से 14 मंत्रियों ने किस्मत आजमाया था, जिनमें 8 को हार का मुंह देखना पड़ा है. वहीं, बीजेपी कोटे से 10 मंत्री चुनाव लड़े थे और 2 हारे हैं. इसके अलावा जेडीयू के एक मंत्री का निधन हो गया था, जिसके चलते उनकी बहू ने चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. ऐसे ही बीजेपी के भी एक मंत्री का निधन हो गया था, जितनी पत्नी चुनाव लड़ी थी और जीत दर्ज की है. वहीं, विधानसभा अध्यक्ष विजय चौधरी भी जेडीयू प्रत्याशी के तौर पर जीत दर्ज करने में सफल रहे हैं.