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बिहार चुनाव: 15 अक्टूबर से 'बोल बिहारी' मुहिम की शुरुआत, उम्मीदवारों से सवाल पूछेगा 'युवा हल्ला बोल'

'युवा हल्ला बोल' के संयोजक अनुपम का आरोप है कि "शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार, कृषि से लेकर पर्यावरण के सवाल पर आज बिहार की हालत चरमराई हुई है. ऐसे में चुनाव के दौरान जनता का ध्यान भटका दिया जाए तो इससे बड़ी शर्म की बात कुछ और नहीं हो सकती.

बोल बिहारी मुहिम की होगी शुरुआत बोल बिहारी मुहिम की होगी शुरुआत
पंकज जैन
  • नई दिल्ली,
  • 10 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 10:20 PM IST
  • बिहार चुनाव में उम्मीदवारों से पूछे जाएंगे सवाल
  • बोल बिहारी मुहिम की होगी शुरुआत
  • आंकड़ों के माध्यम से पूछे जाएंगे सवाल

देशभर में रोजगार आंदोलन चला चुके 'युवा हल्ला बोल' संगठन अब बिहार चुनाव में उम्मीदवारों से जमीनी मुद्दों से जुड़े सवाल पूछने की तैयारी कर रहा है. संगठन ने दावा किया है कि बिहार के बेरोजगार युवाओं को जोड़कर 'बोल बिहारी' मुहिम की शुरुआत की जाएगी. 'युवा हल्ला बोल' के मुताबिक बिहार चुनावों का आम जनता से सीधा सरोकार हो, बिहारियों के अपने मुद्दों पर बात हो और चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी इन सवालों पर अपना रुख स्पष्ट करे. इसी के तहत 'बोल बिहारी: मुद्दा हमारा, बात हमारी!' नारे के साथ 15 अक्टूबर को मुहिम की शुरुआत की जाएगी."
 
आंकड़ों के माध्यम से उम्मीदवारों से ये सवाल पूछेगा 'युवा हल्ला बोल' संगठन

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1. क्या प्रत्येक साल आने वाली बाढ़ का समाधान नहीं निकाल सकती बिहार सरकार?

• 1954 से 2017 के बीच राज्य में तटबंध 160 किमी से बढ़कर 3731 किमी हो गए लेकिन बाढ़ प्रभावित क्षेत्र 25 लाख हेक्टेयर से 73 लाख हेक्टेयर हो गया, मतलब केवल तटबंध समाधान नहीं. 

• बाढ़ राहत के नाम पर हर साल करोड़ों का भ्रष्टाचार. 

• अवैध बालू खनन के जरिये पर्यावरण को नुकसान के साथ साथ बड़े पैमाने पर हो रहा भ्रष्टाचार. 

2. क्या एक असरदार कूड़ा प्रबंधन और जल निकासी नीति नहीं बना सकती सरकार ताकि डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियों पर भी रोकथाम लगे?

• कूड़ा प्रबंधन ना होने के कारण हर शहर कस्बे में कचरे का पहाड़ बन जाता है जिससे नदी नाले भी जाम होते हैं.

• जल निकासी न होने के कारण थोड़ी बहुत बारिश से ही शहरों में बाढ़ जैसी स्थिति बनने लगी है.

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• 'स्वच्छ सर्वेक्षण 2020' में भी राजधानी पटना सहित गया, बक्सर, भागलपुर, सहरसा, बिहार शरीफ की गिनती देश के सबसे गंदे शहरों में हुई है.


3. शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के साथ साथ रिक्त पदों पर 'मॉडल एग्जाम कोड' के तहत शिक्षकों की भर्ती क्यों नहीं हो सकती?

• बिहार में ढाई लाख से ज़्यादा शिक्षकों के पद खाली हैं, जिसे 9 महीने में भरा जाना चाहिए.

• माध्यमिक स्तर पर 45% और उच्च माध्यमिक स्तर पर 60% शिक्षक, प्रशिक्षण के अभाव में अयोग्य हैं. 

• तीसरी कक्षा के 54% छात्र सामान्य जोड़-घटाव करने में सक्षम नहीं और 46% बच्चे अंक पहचानने में भी सक्षम नहीं (ASER 2019 रिपोर्ट)


4. 4 लाख खाली पड़े सरकारी पदों को क्यों नहीं भरा जाता?

• स्वास्थ्य विभाग में 25000 से अधिक पद खाली

• नागरिक पुलिस औसत देश में सबसे बुरी होने के बावजूद बिहार में 50,000 से अधिक पद पुलिस विभाग में खाली पड़े हैं.

• देश में सबसे ज़्यादा शिक्षकों के ढाई लाख से भी ज़्यादा रिक्त पद बिहार में हैं.


5. हर जिले और हर पंचायत में समुचित स्वास्थ्य सुविधा क्यों नहीं दे सकती सरकार?

• प्रदेश में एक लाख नागरिकों पर सिर्फ 26 अस्पताल के बेड जबकि राष्ट्रीय औसत 140 का है. 

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• प्रत्येक एक लाख व्यक्ति पर एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की जरूरत है. 


'युवा हल्ला बोल' के संयोजक अनुपम का आरोप है कि "शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार, कृषि से लेकर पर्यावरण के सवाल पर आज बिहार की हालत चरमराई हुई है. ऐसे में अगर हवा हवाई मुद्दों और दोषारोपण करके चुनाव के दौरान जनता का ध्यान भटका दिया जाए तो इससे बड़ी शर्म की बात कुछ और नहीं हो सकती. अनुपम ने कहा कि 'बोल बिहारी' दस्तावेज़ बिहार की दशा दिशा पर चुनाव लड़ रहे नेताओं और पार्टियों से कुछ सवाल खड़े करेगा. इन्हीं सवालों में बिहार के नागरिकों विशेषकर युवाओं की मांग भी है.

अनुपम ने बताया कि इन सवालों से बचने वाले प्रत्याशियों को बिहार और बिहारियों से कोई सरोकार नहीं है. 'बोल बिहारी' एक दस्तावेज़ भर नहीं बल्कि बिहार के चुनावी समर के बीचोबीच एक यात्रा का रूप लेगी. 15 अक्टूबर को पटना में प्रेस वार्ता कर दस्तावेज़ जारी करके उन सवालों को सामने रखा जाएगा जो बिहार के हैं, बिहारियों के हैं. साथ ही बिहार में 20 अक्टूबर से राज्यव्यापी 'बोल बिहारी' यात्रा की शुरुआत भी होगी. 

 

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