
बिहार विधानसभा चुनाव का मुकाबला काफी दिलचस्प होता नजर आ रहा है. नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए और तेजस्वी यादव की अगुवाई वाले महागठबंधन के बीच कांटे का मुकाबला माना जा रहा है, लेकिन इन दोनों दलों के गठबंधन के अलावा भी कई छोटे दल मिलकर चुनावी मैदान में उतरे हैं. सर्वे के मुताबिक इस बार के चुनाव में छोटे दलों के प्रति जिस तरह से लोगों का झुकाव दिख रहा है, वो प्रमुख राजनीतिक दलों के लिए चिंता बढ़ा सकते हैं.
नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए में चार दल शामिल हैं. इनमें जेडीयू, बीजेपी, हिंदुस्तान आवाम मोर्चा (हम) और वीआइपी पार्टी है. वहीं, तेजस्वी यादव की अगुवाई वाले महागठबंधन में आरजेडी और कांग्रेस के अलावा सीपीआई, सीपीएम और सीपीआई माले शामिल है. लोकनीति-सीएसडीएस के ओपिनियन पोल के आंकड़े के मुताबिक एनडीए को बिहार में 38 प्रतिशत लोगों का वोट मिलता दिख रहा है जबकि महागठबंधन के प्रति 32 फीसदी लोगों ने अपना भरोसा जताया है. इस तरह से एनडीए और महागठबंधन के बीच कांटे का मुकाबला नजर आ रहा है.
ओपिनियन पोल में छोटे दल की भूमिका अहम
वहीं, एनडीए से अलग होकर अकेले चुनावी मैदान में उतरी एलजेपी को 6 फीसदी वोट मिलने की संभावना है. इसके अलावा ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट (जीडीएसएफ) राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी), बहुजन समाज पार्टी (बसपा), असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम, समाजवादी जनता दल, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, जनतांत्रिक पार्टी सोशलिस्ट शामिल है. इस गठबंधन का चेहरा उपेंद्र कुशवाहा हैं, जिन्हें बिहार में 7 फीसदी वोट मिल रहा है.
इसके अलावा निर्दलीय और छोटे दलों में पप्पू यादव की जाप, दलित नेता चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी, सीडीपीआई और नवगठित प्लूरल जैसी पार्टियां हैं, जिन्हें 17 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है. इस तरह से इन छोटे दलों के हिस्से में एलजेपी और उपेंद्र कुशवाहा के गठबंधन को मिलन वाला वोट करीब 30 फीसदी होता है, जो बिहार की सियासत में किसी भी राजनीतिक दल का खेल बनाने और बिगाड़ने की सियासी ताकत रखते हैं.
अन्य दलों को 30 फीसदी वोट का अनुमान
विशेष रूप से बिहार की जिन विधानसभा सीटों पर क्लोज फाइट की गुंजाइश बनी हुई है, वहां पर छोटे दल परेशानी का सबब बन सकते हैं. हालांकि, लोकनीति-सीएसडीएस के सर्वे में एनडीए के पूर्ण बहुमत मिलने का अनुमान है, लेकिन छोटे दलों को मिलने वाले वोट फीसदी जरूर चुनौती बन सकता है. इस बार बिहार की लड़ाई काफी कांटे की नजर आ रही है. ऐसे में यह देखना होगा कि छोटे दल किस राजनीतिक दल का खेल बनाते हैं और किसका बिगाड़ते हैं.
लोकनीति-सीएसडीएस का ओपिनियन पोल
लोकनीति-सीएसडीएस के ओपिनियन पोल में 37 विधानसभा सीटों के 148 बूथों को कवर किया गया जिनमें से 3731 लोगों से बात की गई. ये ओपिनियन पोल 10 से 17 अक्टूबर के बीच किया गया इनमें 60 फीसदी पुरुष और 40 फीसदी महिला मतदाताओं से बात की गई.
पृष्ठभूमि की बात करें तो 90 फीसदी सैंपल ग्रामीण इलाकों से और 10 फीसदी शहरी इलाकों के लोगों से बात की गई. इनमें हर आयुवर्ग के लोग शामिल थे. 18 से 25 साल तक के 14 फीसदी, 26 से 35 साल के 29 फीसदी, 36 से 45 साल के 15 फीसदी, 46 से 55 साल के 15 फीसदी और 56 साल के अधिक के 17 फीसदी लोग शामिल थे. इस सैंपल में 16 फीसदी सवर्ण, 51 फीसदी ओबीसी, 18 फीसदी एससी और 14 फीसदी मुस्लिम शामिल रहे.