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बिहार में पिछले चुनाव से इस बार क्या नया? किस दल और गठबंधन में हुए बड़े फेरबदल

बिहार में विधानसभा चुनाव का ऐलान आज संभव है. कोरोना और बाढ़ की चुनौती से जूझ रहे बिहार में इस बार काफी नए बदलाव देखने को मिलेंगे.

टिकट लेने के लिए जदयू दफ्तर के बाहर लगी कतार (PTI) टिकट लेने के लिए जदयू दफ्तर के बाहर लगी कतार (PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 25 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 9:48 AM IST
  • बिहार में विधानसभा चुनाव का ऐलान संभव
  • कोरोना काल में होने वाला पहला बड़ा चुनाव
  • बदल गया एनडीेए और महागठबंधन का समीकरण

बिहार में चुनावी महासंग्राम का आज औपचारिक ऐलान होगा. कोरोना संकट काल के बीच देश में ये पहले विधानसभा चुनाव होंगे, जिसपर हर किसी की नज़र है. पिछले विधानसभा चुनाव से अलग इस बार सिर्फ मतदान ही नहीं बल्कि राजनीतिक दलों और गठबंधनों में भी काफी कुछ बदला-बदला सा नज़र आएगा. जो पिछले चुनाव में साथ लड़े थे, इस बार आमने-सामने हैं. 

इस साल के विधानसभा चुनाव में बिहार में क्या नया है?
•    कोरोना संकट काल में होने वाला देश का पहला विधानसभा चुनाव. प्रचार और प्रसार पूरी तरह से डिजिटल प्लेटफॉर्म पर निर्भर.  

•    राजनीतिक दलों को सिर्फ छोटे कार्यक्रम करने की इजाजत, जिसमें सौ लोग तक शामिल हो सकें. इसके अलावा जनसंपर्क में सोशल डिस्टेंसिंग और अन्य नियमों का पालन जरूरी. 

•    2015 में हुए विधानसभा चुनाव में जनता दल (यू) और राष्ट्रीय जनता दल एक साथ थे. लालू-नीतीश की जोड़ी ने भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाले एनडीए को हरा दिया था.

•    दो साल में ही नीतीश का साथ राजद से छूट गया और उन्होंने भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना ली. 2020 में अब मुकाबला भाजपा-जदयू बनाम राजद-कांग्रेस के बीच है. 

•    2015 में महागठबंधन के साथ रहने वाले जीतेंद्र मांझी ने भी इस बार एनडीए का दामन थाम लिया है. RLSP के उपेंद्र कुशवाहा पिछले चुनाव में एनडीए के साथ थे, लेकिन इस बार महागठबंधन का हिस्सा हैं.

•    महागठबंधन में इस बार राजद, कांग्रेस, लेफ्ट, RLSP समेत कुछ अन्य छोटी पार्टियां हैं. राजद ने तेजस्वी यादव को सीएम पद का उम्मीदवार बनाया है. 2015 का चुनाव जीतकर तेजस्वी राज्य के डिप्टी सीएम बने थे. 

•    2015 का बिहार चुनाव पांच चरणों में हुआ था, लेकिन इस बार कोरोना संकट के कारण चुनाव कम चरणों में हो सकता है. ऐसे में मतदान के प्रतिशत पर इसका असर देखने को मिल सकता है.

•    राजनीतिक तौर पर देखें तो इस बार बिहार चुनाव में लालू प्रसाद यादव नहीं दिखेंगे. वो बीमार हैं, जेल में हैं और ऐसे में चुनाव के दौरान उनकी झलक मुश्किल ही देखने को मिलेगी. राजद के पोस्टरों से भी वो पूरी तरह गायब हैं. ऐसे में लंबे वक्त के बाद बिहार में कोई विधानसभा चुनाव हो रहा है जहां लालू की छाप नहीं है.

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