
बिहार में कोई भी चुनाव रहा हो, एक नेता हमेशा सुर्खियों में आते रहे हैं. ग्राम पंचायत से लेकर लोकसभा, विधानसभा, विधान परिषद और यहां तक की राष्ट्रपति चुनाव तक में वो अपनी दावेदारी पेश कर चुके हैं. बिहार के धरती पकड़ नेता के नाम से मशहूर वयोवृद्ध नागरमल बाजोरिया इस बार के विधानसभा चुनाव में कहीं नजर नहीं आ रहे. अपने गृह जनपद भागलपुर में भी उनके बारे में कोई चर्चा नहीं है. जबकि चुनाव के पूर्व माना जा रहा था कि वह इस बार भी अपनी किस्मत आजमाने के लिए मैदान में उतरेंगे. कहां हैं बिहार के धरती पकड़, आजतक टीम ने इसकी पड़ताल की.
पटना में कर रहे हैं स्वास्थ्य लाभ
भागलपुर की प्रत्याशियों की लिस्ट में करीब 94 वर्षीय नागरमल बाजोरिया का नाम नदारद देख आजतक ने उनके बारे में पड़ताल शुरू की. स्थानीय लोगों ने बताया कि वह पिछले कुछ वर्षों से काफी ज्यादा अस्वस्थ चल रहे हैं. इसलिए भागलपुर में कम और पटना में ज्यादा रहते हैं.
इन दिनों वह पटना में ही स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं. उनकी इच्छा इस बार भी चुनाव लड़ने की थी. कुछ पत्रकारों को उन्होंने इस बारे में संकेत भी दिए थे. लेकिन नामांकन के दौरान स्वास्थ्य संबंधी समस्या बढ़ने की वजह से परिवार ने उन्हें नामांकन न करने का सुझाव दिया.
अब तक लड़ चुके हैं 281 चुनाव
नागरमल बाजोरिया उर्फ धरती पकड़ अब तक 281 बार चुनाव लड़ चुके हैं. इसमें से बहुत सारे चुनाव उन्होंने बिहार से बाहर जाकर देश के विभिन्न राज्यों में भी लड़े हैं. कह सकते हैं कि चुनाव लड़ने की उनकी आदत उन्हें कश्मीर से कन्या कुमारी तक की सैर करा चुकी है. इससे भी खास बात ये रही है कि वह अपने 281 चुनावों में से एक में भी नहीं जीते. चुनाव चाहे वार्ड स्तर का रहा हो या फिर राष्ट्रपति का. हर जगह उन्होंने पराजय का सामना किया, फिर भी उनकी चुनाव लड़ने की जिद न छूटी.
इसलिए नाम पड़ा धरती पकड़
बिहार का धरती पकड़ नाम पाने के पीछे भी एक कहानी है. नागरमल ने 2015 के विधानसभा चुनाव में मीडिया को इसके बारे में बताया था. आजादी के पूर्व देश विभाजन के समय नागरमल का परिवार पाकिस्तान से भारत आया. यहां कई जगह भटकते हुए अंत में भागलपुर में परिवार ने खुद को स्थापित करने की कोशिश की. उस समय भागलपुर के जिस मोहल्ले में नागरमल रहते थे, वहां पेयजल की किल्लत थी. नागरमल ने अपने पास से 250 रुपये खर्च कर नलकूप लगावाया. धरती फाड़ कर पानी निकला तो लोगों ने उन्हें धरती फाड़ कहा जो उनकी चुनावी यात्रा के साथ धरती पकड़ में तब्दील हो गया.
284 बार करा चुके हैं नामांकन
चुनाव लड़ने का आंकड़ा भले ही 281 हो मगर नागरमल के नामांकन दाखिल करने का आंकड़ा 284 है. तीन बार उनका नामांकन निरस्त भी हो चुका है. इसमें 2012 के राष्ट्रपति चुनाव में प्रणव मुखर्जी के खिलाफ भरा गया नामांकन भी शामिल है जो रद्द हो गया था.
वह पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के खिलाफ भी रायबरेली और अमेठी में चुनाव लड़ चुके हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में भी वह स्वास्थ्य कारणों से चुनाव नहीं लड़ सके. जबकि इस बार भी वह चुनावी दौड़ से बाहर हैं. वह कभी जीत की कामना से चुनाव लड़े भी नहीं. उनका चुनाव लड़ने का एक ही उद्देश्य रहता था कि लोकतंत्र में सभी की भागीदारी को चरितार्थ करना.
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