
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 का आगाज हो चुका है. एक बार फिर दल बदलने का क्रम जारी है. कहीं विद्रोह के स्वर हैं, तो कहीं नई दोस्ती देखी जा रही है. चुनाव आते हैं ओर चले जाते हैं, लेकिन इन सियासी खेलों में खटास कब पड़ जाए पता ही नहीं चलता. ऐसा ही कुछ किस्सा है लोक जनशक्ति पार्टी और जनता दल यूनाइटेड का. 2005 में लोजपा और नीतीश कुमार के बीच दरार पड़ी, इसके बाद दोनों की राहें अलग हो गईं.
बिहार की राजनीति के दो प्रमुख चेहरे नीतीश कुमार और रामविलास पासवान के बीच दूरियां वैसे तो वर्ष 2000 से बढ़ना शुरू हो गई थीं, जब रामविलास पासवान ने लोक जनशक्ति पार्टी का गठन किया. इसके बाद 2005 के चुनाव में जो हुआ, उसके बाद दोनों के बीच बड़ी लकीर खिंच गई.
पासवान की लोजपा, नीतीश कुमार के खिलाफ इस चुनाव में खड़ी हो गई थी. सीएम पद को लेकर नीतीश को समर्थन न देने के चलते, उस समय बिहार में किसी की सरकार नहीं बन पाई, जिसके बाद मध्यावधि चुनाव कराने पड़े थे.
29 सीटों पर लोजपा को मिली थी जीत
2005 के चुनाव में रामविलास पासवान ने लोक जनशक्ति पार्टी को बिहार में लालू, नीतीश के खिलाफ खड़ा कर दिया. उस समय नीतीश चाहते थे कि रामविलास उनके साथ रहकर लालू परिवार के खिलाफ छिड़ी मुहिम में शामिल हों, लेकिन रामविलास अकेले ही मैदान में उतर गए.
फरवरी 2005 में हुए विधानसभा के चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा. 29 सीटों पर पार्टी ने जीत हासिल की. चुनाव में किसी राजनीतिक दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला. सरकार बनाने की जद्दोजहद शुरू हुई, तो नीतीश कुमार ने एक बार फिर रामविलास पासवान को जोड़ने की कोशिश की, लेकिन वह इसके लिए तैयार नहीं हुए.
रामविलास पासवान ने किसी मुस्लिम को मुख्यमंत्री बनाने की मांग रखकर पूरे सियासी समीकरण को बदल दिया. कोई इसके लिए तैयार नहीं हुआ.
हुआ मध्यावधि चुनाव
बिहार में चुनाव खत्म हो चुका था, लेकिन सियासी उठा पटक जारी थी. लोक जनशक्ति पार्टी के विधायकों को तोड़ने की खबरें आई, जिनका नीतीश कुमार ने पुरजोर ढंग से खंडन किया था. बिहार में सरकार बनाने को लेकर लंबे समय तक चली जद्दोजहर के बाद नतीजा कुछ भी नहीं निकला.
इस बीच लोक जनशक्ति पार्टी और नीतीश कुमार के बीच दूरियां बढ़ती चली गईं. रामविलास पासवान के अपनी जिद पर अड़े रहने की वजह से तब कोई दल सरकार नहीं बना सका और मजबूरन अक्टूबर-नवम्बर में मध्यावधि चुनाव हुए. लेकिन मध्यावधि चुनाव में लोजपा को बड़ा नुकसान हुआ. पार्टी के खाते में इस चुनाव में महज 10 सीटें ही रह गईं. वहीं, जेडीयू-भाजपा गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिला और नीतीश कुमार राज्य के मुख्यमंत्री बने.
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