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बिहार के दंगल में कांग्रेस के स्टार प्रचारक होंगे इमरान प्रतापगढ़ी, ओवैसी के लिए अलर्ट!

यूपी के प्रतापगढ़ जिले के रहने वाले इमरान हिंदी सहित्य से MA हैं और मुशायरों में प्रतिरोध की कविताएं पढ़ने की वजह से खासे लोकप्रिय भी हैं. सोशल मीडिया के हर प्लेटफॉर्म पर इमरान प्रतापगढ़ी की अच्छी फैन फॉलोइंग है. अपनी शायरी में राजनीतिक मुद्दे उठाने की वजह से एक तबका इमरान के लिए खड़ा दिखाई देता है.

कांग्रेस नेता इमरान प्रतापगढ़ी कांग्रेस नेता इमरान प्रतापगढ़ी
टीके श्रीवास्तव
  • नई दिल्ली,
  • 11 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 11:23 AM IST
  • कांग्रेस पार्टी ने 30 स्टार प्रचारकों की लिस्ट जारी की
  • स्टार प्रचारकों में इमरान प्रतापगढ़ी को भी मिली जगह
  • पहले चरण में 71 सीटों के लिए 28 अक्टूबर को वोटिंग

बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में प्रचार के लिए कांग्रेस पार्टी ने 30 स्टार प्रचारकों की लिस्ट जारी कर दी है. इस लिस्ट में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह, राहुल गांधी, प्रियंका वाड्रा के बीच युवा शायर इमरान प्रतापगढ़ी को भी जगह दी गई है. इमरान प्रतापगढ़ी 2019 में ही कांग्रेस पार्टी से जुड़े हैं और लोकसभा चुनाव में यूपी के मुरादाबाद से चुनाव लड़ा था. हालांकि वो चुनाव हार गए थे, लेकिन उनका कैंपेनिंग का तजुर्बा अब तक अच्छा रहा है.

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भले ही इमरान पार्टी में किसी पद पर नहीं हैं लेकिन चुनाव प्रचार के लिए कांग्रेस उन्हें फुल फ्लैश तरीके से उतारती रही है. बिहार के दंगल में इमरान की एंट्री का सीधा असर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी (AIMIM) के लिए अलर्ट माना जा रहा है. हाल ही में इमरान प्रतापगढ़ी की सोशल मीडिया पर भी खूब चर्चा चली थी. यूपी में पार्टी के मुस्लिम फेस को लेकर उन्हें सबसे ज्यादा पसंद किया गया था.

यूपी के प्रतापगढ़ जिले के रहने वाले इमरान हिंदी सहित्य से MA हैं और मुशायरों में प्रतिरोध की कविताएं पढ़ने की वजह से खासे लोकप्रिय भी हैं. सोशल मीडिया के हर प्लेटफॉर्म पर इमरान प्रतापगढ़ी की अच्छी फैन फॉलोइंग है. अपनी शायरी में राजनीतिक मुद्दे उठाने की वजह से एक तबका इमरान के लिए खड़ा दिखाई देता है. इसी का असर था कि अखिलेश सरकार ने 2016 में इमरान प्रतापगढ़ी को प्रदेश के सर्वोच्च सम्मान यश भारती से नवाजा. खास बात ये है कि यश भारती सम्मान प्राप्त करने वाले इमरान सबसे युवा शायर हैं.  

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कहा ये जाता है कि अखिलेश के भाई पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव इमरान के अच्छे मित्र हैं और दोनों ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से साथ पढ़ाई की है. हालांकि, 2018 में राहुल गांधी से मुलाकात के बाद इमरान प्रतापगढ़ी ने कांग्रेस में न होते हुए भी कांग्रेस का प्रचार करना शुरू कर दिया था.

नांदेड़ में AIMIM का खाता ही नहीं खुला

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण अपने गृह जनपद नांदेड़ में असदुद्दीन ओवैसी से खासे परेशान थे. कॉर्पोरेशन चुनाव में ओवैसी के 13 कॉरपोरेटर जीते थे, जो एक बड़ा आंकड़ा है. इमरान के चुनावी कैंपेन का नांदेड़ में ये असर हुआ था कि छोटे और बड़े दोनों ओवैसी की सभाओं के बावजूद यहां AIMIM का खाता भी नहीं खुला. इसके अलावा महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में ओवैसी के प्रभाव वाली सीटों नांदेड़, धारावी, सोलापुर, मुम्ब्रा में भी इमरान AIMIM का तिलिस्म तोड़ने में कांग्रेस के लिए मददगार साबित हुए. 

हालांकि बिहार में इस बार ओवैसी ने उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP), मायावती की बहुजन समाज पार्टी (BSP), सामाजिक जनता दल (डेमोक्रेटिक), सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और जनतांत्रिक पार्टी (समाजवादी) के साथ 'महागठबंधन धर्मनिरपेक्ष मोर्चा' बनाया है. ऐसे में कांग्रेस इमरान प्रतापगढ़ी को ओवैसी के प्रभाव वाले क्षेत्र में कैंपेनिंग का जिम्मा फिर दे सकती है. 

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कर्नाटक, मध्य प्रदेश, हरियाणा में दिखा प्रचार का असर 

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में इमरान ने गुलबर्गा, बासवा कल्याण, शिवाजी नगर, मैसूर, चित्तापुर, बिदर सहित कुल 6 विधानसभाओं में चुनाव प्रचार किया और इन सीटों पर कांग्रेस की जीत में हाथ बंटाया, जबकी ओवैसी देवगौड़ा की जेडीएस के लिए लगातार सभाएं कर रहे थे. तेलंगाना विधानसभा चुनाव में इमरान के प्रचार का असर ये था कि तान्डूर और संगारेड्डी विधानसभा के मुस्लिम वोटरों ने कांग्रेस पर भरोसा जताया. इसी तरह मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भोपाल और जबलपुर की सीट पर भी इमरान प्रतापगढ़ी अपने प्रचार से मुस्लिम वोट बैंक को कांग्रेस के हाथों से खिसकने नहीं दिया और पार्टी को जीत मिली. वहीं, हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी इमरान ने मुस्लिम बहुल मेवात में रैली करके मामन खान और चौधरी आफताब के जीतने में बड़ा रोल अदा किया था.

राहुल के हस्तक्षेप के बाद राजबब्बर को शिफ्ट किया गया

लोकसभा चुनाव-2019 में मुरादाबाद से राजबब्बर का टिकट तय माना जा रहा था, लेकिन राहुल गांधी के हस्तक्षेप के बाद राजबब्बर को फतेहपुर शिफ्ट किया गया और इमरान को मैदान में उतारा गया. इस सीट पर मुस्लिम वोटरों की संख्या करीब 47 फीसदी है. हालांकि इस सीट पर इमरान खुद के लिए मैजिक नहीं कर पाए और चुनाव हार गए थे. यहां से समाजवादी पार्टी से डॉ.एसटी हसन ने बाजी मारी थी. उन्होंने बीजेपी के कुंवर सर्वेश कुमार को हराया था, जबकि इमरान प्रतापगढ़ी को तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा था. 2014 में भी मुरादाबाद लोकसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा था. 

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सीएए विरोधी प्रदर्शन पर एक करोड़ का नोटिस 

सीएए विरोधी प्रदर्शन में शामिल होने पर योगी सरकार ने इमरान प्रतापगढ़ी को करीब 1.04 करोड़ रुपये का नोटिस जारी किया था. इमरान पर धारा 144 का उल्लंघन का आरोप लगाते हुए शासन ने मुरादाबाद के ईदगाह में चल रहे प्रदर्शन को लेकर 13 लाख 42 हजार प्रति दिन के हिसाब से नोटिस थमाया था. नोटिस में इस विरोध प्रदर्शन को सामाजिक सौहार्द के लिए खतरा बताया गया था. इस पर सियासत भी जमकर हुई थी. 

कांग्रेस कोटे से MLC सीट का ऑफर था

कांग्रेस पार्टी के युवा चेहरों में इमरान को राहुल गांधी की पसंद माना जाता है. बताया जाता है कि बिहार चुनाव से पहले इमरान प्रतापगढ़ी को कांग्रेस कोटे की एक MLC सीट भी ऑफर की गई थी, लेकिन वोटर लिस्ट में नाम ना होने की वजह से बात अंजाम तक नहीं पहुंची, लेकिन अब पार्टी एक बार फिर इमरान प्रतापगढ़ी को बिहार के रण में उतार रही है.

कांग्रेस 70 सीटों पर लड़ रही है चुनाव

बता दें कि बिहार में कुल 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव होना है, जिसमें महागठबंधन से आरजेडी 144, कांग्रेस 70, सीपीएम 4 और सीपीआई 6 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. पहले चरण में 71 सीटों के लिए 28 अक्टूबर को मतदान होना है. ऐसे में बिहार के रण में इमरान का मैजिक कांग्रेस के लिए कितना कारगर साबित होगा, ये 10 नवंबर को नतीजे के बाद साफ हो जाएगा.

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