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चुनावी मौसम में कब कौन पाला बदल ले और कौन बगावत पर उतर आए, कुछ नहीं कहा जा सकता. अक्सर ही ऐसा होता है जब एक पार्टी से टिकट न मिलने से नाराज नेता बागी बन जाते हैं और बिना पार्टी की रजामंदी और सिम्बल के चुनाव लड़ने मैदान में उतर जाते हैं. लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव में दरभंगा जिले की गौड़ाबौराम सीट पर एक ही पार्टी से दो प्रत्याशी मैदान में उतर गए हैं. दोनों में कोई बागी नहीं, दोनों के पास ही पार्टी का सिम्बल भी है. हर कोई ये समझने में लगा है कि आखिर ये माजरा क्या है...
जाप के हैं दोनों प्रत्याशी
गौड़ाबौराम सीट पर एक ही पार्टी से नामांकन ने वाले ये दोनों प्रत्याशी राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव की पार्टी से हैं. पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी का सिम्बल इनके पास है. एक का नाम है विशम्भर यादव तो दूसरे का डॉ. इजहार अहमद. इसमें डॉ. इजहार पहले विधायक रह चुके हैं.
दोनों ने ही जाप के सिम्बल के साथ नामांकन दाखिल किया. यहां तक तो ठीक था. माना जा रहा था कि किसी एक का सिम्बल अधिकृत माना जाएगा. लेकिन लोग ये जान कर हैरान है कि चुनाव आयोग की वेबसाइट पर दोनों को ही जाप का अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया गया है.
पार्टी ने बदला था प्रत्याशी
जाप से जुड़े लोगों की माने तो गौड़ाबौराम सीट के लिए पहले जाप सुप्रीमो ने पार्टी कार्यकर्ता विशम्भर यादव को प्रत्याशी चुना था. लेकिन बाद में डॉ. इजहार अहमद ने सम्पर्क किया तो पार्टी ने उनके पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए प्रत्याशी बदलने का निर्णय लिया. इसके बाद डॉ. इजहार को सिम्बल दे दिया गया. उधर, विशम्भर पहले ही नामांकन दाखिल कर चुके थे. बाद में डॉ. इजहार ने भी पर्चा दाखिल किया. अब दोनों के ही नामांकन जाप के सिम्बल पर ही स्वीकृत दिख रहे हैं.
स्क्रूटनी में स्पष्ट होगी स्थिति
निर्वाचन कार्यालय के अनुसार अभी नामांकन पत्रों की स्क्रूटनी बाकी है. उसी वक्त ये तय होता है कि किसका सिम्बल वैध है और किसका अवैध. अंतिम दावेदार को ही वैध माना जाता है. ऐसे में स्क्रूटनी के बाद वैध नामांकन की लिस्ट में स्थिति स्पष्ट हो जाएगी. अभी नामांकन स्वीकार किए गये हैं. उनके वैध और अवैध पर निर्णय होना बाकी है. यदि दोनों के नामांकन वैध भी मिले तो सिम्बल किसी एक को आवंटित होगा और इसमें चुनाव आयोग की गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया जाएगा.
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