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दीघा विधानसभा सीट: इस बार भाजपा-जदयू साथ, किसकी बनेगी बात?

पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी का दबदबा दिखता रहा है. इसकी खास वजह शहरी वोटरों का होना है, इसी का असर यहां भी दिखता आया है. हालांकि, जाति फैक्टर भी काम करता है.

स्थानीय विधायक संजीव चौरसिया स्थानीय विधायक संजीव चौरसिया
मोहित ग्रोवर
  • नई दिल्ली,
  • 17 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 2:29 PM IST
  • बिहार में शुरू हुई चुनावी हलचल
  • दीघा विधानसभा में भाजपा का कब्जा

बिहार में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया पूरी हो गई है, अब दस नवंबर को नतीजों का इंतजार है. बिहार की दीघा विधानसभा सीट पर इस बार 3 नवंबर को वोट डाले गए, यहां कुल 36.86 फीसदी मतदान हुआ.

पटना लोकसभा क्षेत्र के सबसे बड़े विधानसभा क्षेत्र दीघा में अभी भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है. ये विधानसभा सीट ज्यादा पुरानी नहीं है, ऐसे में नई समीकरणों के साथ हर किसी की नजर यहां पर टिकी रहती है. पिछली बार भारतीय जनता पार्टी ने इस सीट को जदयू से छीन लिया था, लेकिन इस बार दोनों पार्टियां एक साथ ही हैं, ऐसे में देखना होगा कि सीट किसके खाते में जाती है.

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कौन-कौन है मैदान में?
एनसीपी – जय प्रकाश रे
आरएलएसपी – संजय कुमार सिन्हा
बीजेपी – संजीव चौरसिया
सीपीआई (एम) – शशि यादव

चुनाव की तारीख?
दूसरा चरण – 3 नवंबर
नतीजा – दस नवंबर
 

दीघा विधानसभा सीट का इतिहास
2008 के बाद बिहार में परिसीमन हुआ, उसके बाद ही दीघा विधानसभा क्षेत्र बना. ऐसे में अबतक यहां पर दो ही बार चुनाव हो पाया है. पहले चुनाव में जदयू ने बाजी मारी थी, लेकिन पिछले चुनाव में बीजेपी की जीत हुई थी. ऐसे में अब यहां तीसरी बार विधानसभा चुनाव होना है. ये जगह बार-बार सुर्खियों में किसी और वजह से भी आती है, यहां ही फिल्म स्टार सलमान खान की मुंहबोली बहन सबा-फराह रहती हैं, जिनके सिर जुड़े हुए हैं.

क्या कहता है सामाजिक तानाबाना?
पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी का दबदबा दिखता रहा है. इसकी खास वजह शहरी वोटरों का होना है, इसी का असर यहां भी दिखता आया है. हालांकि, जाति फैक्टर भी काम करता है. दीघा विधानसभा में महिला वोटरों की संख्या भी अधिक है. यहां कुल वोटरों की संख्या चार लाख के पार है, जिसमें से करीब 2.35 लाख पुरुष और दो लाख से अधिक महिलाएं वोटर हैं.

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2015 में क्या रहे थे चुनावी नतीजे?
2010 में इस सीट पर पहली बार चुनाव हुआ तो जदयू की पूनम देवी ने बाजी मारी थी. लेकिन पिछले चुनाव में जदयू ने अपने प्रवक्त राजीव रंजन को मौका दिया, जिन्हें भारतीय जनता पार्टी के संजीव चौरसिया ने मात दे दी. संजीव चौरसिया को 92 हजार तो जदयू नेता को सिर्फ 62 हजार के करीब वोट मिल पाए थे. अब इस चुनाव में जदयू-भाजपा साथ हैं, तो राजद के सामने यहां की राह आसान नहीं होगी.

विधायक का रिपोर्ट कार्ड
स्थानीय विधायक संजीव चौरसिया सिक्किम के राज्यपाल गंगा प्रसाद चौरसिया के बेटे हैं. संजीव ने पिछली बार पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीत गए, वो बिहार भाजपा के महासचिव भी हैं. कोरोना काल में संजीव चौरसिया काफी चर्चा में रहे हैं. दरअसल, मार्च के महीने में उन्होंने एक हवन करवाया था और दावा किया था कि हवन से कोरोना जैसी दुष्ट चीजें दूर होती हैं. 

 

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