Advertisement

एग्जिट पोल: तेजस्वी का बिहार में चमका तेज, नीतीश राज का सूरज डूबा

एग्जिट पोल में आरजेडी 94 से 106 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरती नजर आ रही है. वहीं गठबंधन में उसकी सहयोगी पार्टियों में कांग्रेस को 29 से 35, सीपीआई (एमएल) को 12-16 और सीपीआई और सीपीएम को दो-दो सीटें मिलने का अनुमान है.

एग्जिट पोल में महागठबंधन को बहुमत का अनुमान एग्जिट पोल में महागठबंधन को बहुमत का अनुमान
हरमीत शाह सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 07 नवंबर 2020,
  • अपडेटेड 6:35 PM IST
  • बिहार चुनाव के एग्जिट पोल के नतीजे आए सामने
  • बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने का अनुमान
  • महागठबंधन को मिल सकती हैं 139-161 सीटें

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य में कैम्पेन के बीच ही ऐलान किया कि 2020 विधानसभा चुनाव उनके राजनीतिक करियर का आखिरी चुनाव है. इंडिया-टुडे-एक्सिस माय इंडिया एग्जिट पोल के अनुमानों से लगातार तीन कार्यकाल के बाद नीतीश कुमार सत्ता से बाहर होते दिख रहे हैं. युवा तेजस्वी यादव बेरोजगार नौजवानों के भरपूर समर्थन के दम पर बिहार चुनाव में स्वीप करते दिख रहे हैं. बेरोजगारी की समस्या के साथ लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों ने जो झेला और नीतीश सरकार ने उस पर जो रुख दिखाया, उसने भी तेजस्वी का सत्ता में आने का रास्ता तैयार किया.

Advertisement

एग्जिट पोल के मुताबिक तेजस्वी के नेतृत्व वाले गठबंधन को 243 सदस्यीय विधानसभा में 139 से 161 सीटें मिलती दिख रही हैं. वहीं सत्तारूढ़ एनडीए को महज 69 से 91 सीटों पर ही संतोष करना पड़ सकता है. वोट शेयर की बात की जाए तो महागठबंधन को 44 फीसदी और एनडीए को 39 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है.

अगर पार्टियों के हिसाब से बात की जाए तो आरजेडी 94 से 106 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरती नजर आ रही है. वहीं गठबंधन में उसकी सहयोगी पार्टियों में कांग्रेस को 29 से 35, सीपीआई (एमएल) को 12-16 और सीपीआई और सीपीएम को दो-दो सीटें मिलने का अनुमान है. वहीं एनडीए में जेडीयू को 26 से 34 सीटें मिलने का अनुमान है. एनडीए में बीजेपी को जेडीयू से ज्यादा यानि 38-50 सीटें मिल सकती हैं.  

Advertisement

केंद्र में एनडीए की पार्टनर और बिहार में अकेले बूते चुनाव लड़ने वाली एलजेपी को एग्जिट पोल के मुताबिक 3 से 5 सीटों पर जीत मिलने का अनुमान है. एलजेपी अध्यक्ष चिराग पासवान इस विधानसभा चुनाव के पूरे कैम्पेन के दौरान नीतीश कुमार पर निशाना साधते रहे.  

बता दें कि नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने 2015 का विधानसभा चुनाव आरजेडी और कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ा था और महागठबंधन ने 178 सीटों पर जीत हासिल की. उस वक्त एनडीए में बीजेपी के साथ एलजेपी, आरएलएसपी और एचएएम थी जिन्हें कुल 58 सीटों पर जीत हासिल हुई. तब नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने और तेजस्वी यादव डिप्टी सीएम. लेकिन 2017 में नीतीश महागठबंधन से बाहर आ गए और फिर एनडीए से हाथ मिला कर मुख्यमंत्री बने. अब डिप्टी सीएम के तौर पर बीजेपी के सुशील कुमार मोदी का नीतीश को साथ मिला.  

विधानसभा चुनाव 2020 में एलजेपी के अलग जाने से जेडीयू की संभावनाओं को कई सीटों पर नुकसान हुआ. पासवान उपजाति वोट मिसाल के तौर पर एनडीए (31%) और एलजेपी (30%) में बंट गए. पासवान की पार्टी ने महादलितों और आर्थिक रूप से पिछड़े वोटों में भी सेंध लगाई. इन दोनों वर्गों से एलजेपी को आठ-आठ फीसदी वोट मिले.

Advertisement

आर्थिक मुद्दों पर तेजस्वी का उदय 

सोमवार को ही 31 साल के हुए तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री के तौर पर 44 फीसदी प्रतिभागियों ने पसंद किया. वहीं नीतीश को 35 फीसदी वोटरों ने ही एक और कार्यकाल देना पसंद किया. एलजेपी नेता चिराग पासवान को 7 फीसदी वोटरों ने मुख्यमंत्री के तौर पर अपनी पसंद बताया.

अगर तेजस्वी मुख्यमंत्री बनते हैं तो पिछले 53 साल के देश के सबसे युवा मुख्यमंत्री होंगे. इससे पहले 1967 में पुड्डुचेरी में एम ओ हसन फारूक 29 साल की उम्र में सीएम बने थे. तेजस्वी सीएम बने तो एक रिकार्ड और लालू परिवार के नाम जुड़ेगा. वो ये एक परिवार की दो पीढ़ियों से ही तीन मुख्यमंत्री बनना. लालू यादव और राबड़ी देवी पहले मुख्यमंत्री रह चुके हैं. अभी तक इससे पहले जम्मू और कश्मीर में अब्दुल्ला परिवार से तीन मुख्यमंत्री बने लेकिन वो तीन पीढ़ियों से संबंधित थे. 

न सिर्फ तेजस्वी की युवा अपील ने उनके लिए जीत का आधार तैयार किया, बल्कि आर्थिक मोर्चे पर नीतीश सरकार की नाकामियों ने भी उनका रास्ता आसान किया लगता है. एग्जिट पोल के 25 फीसदी प्रतिभागियों ने नीतीश कुमार सरकार को विकास की अनदेखी का आरोप लगाया. वहीं 21 फीसदी ने बदलाव के हक में राय व्यक्त की. सिर्फ 12 फीसदी ने तेजस्वी का युवा चेहरा होने की वजह से उन्हें वोट देना पसंद किया.

Advertisement

कौन से मुद्दे अहम? 

बिहार में 42% वोटरों के मुताबिक सबसे ज्यादा विकास के मुद्दे ने उनके वोट देने के फैसले को प्रभावित किया. बेरोजगारी, दूसरा फैक्टर रहा. जिसने 30% वोटरों के वोट देने के फैसले पर असर डाला. एग्जिट पोल के मुताबिक 11%  वोटरों ने महंगाई को वोटिंग के लिए सबसे अहम मुद्दा बताया और एनडीए समर्थक जो एनडीए को सत्ता में बनाए रखना चाहते हैं.

हैरानी की बात है कि एग्जिट पोल में लोगों ने नीतीश कुमार के पिछले 15 साल के शासन में सड़क, पानी और बिजली की परियोजनाओं को मुद्दा नहीं माना. एग्जिट पोल के मुताबिक एनडीए के समर्थकों में से 43 फीसदी प्रतिभागी नीतीश कुमार की वजह से नहीं बल्कि एनडीए को सत्ता में केंद्र सरकार के प्रदर्शन की वजह से देखना चाहते हैं. 

सुशांत सिंह राजपूत की मौत नहीं बना मुद्दा 

बिहार में जन्मे बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत का कथित राजनीतिकरण करने की कोशिश सफल नहीं हुई, क्योंकि 77 प्रतिशत मतदाताओं ने इसे राज्य के लिए मुद्दा नहीं माना. 

जाति, उम्र और जेंडर के पैटर्न 

अनुसूचित जातियों (एससी) में से 41 फीसदी वोट एनडीए को मिलने का अनुमान है. वहीं इस वर्ग से 35 फीसदी प्रतिभागियों ने महागठबंधन पर भरोसा किया. एनडीए को ओबीसी और ईबीसी से 57 फीसदी वोटरों का समर्थन मिलने का अनुमान है. ये महागठबंधन को इन वर्गों से मिले समर्थन से दोगुना है.  

Advertisement

लेकिन मुस्लिम-यादव-युवा फैक्टर महागठबंधन की जीत के लिए निर्णायक साबित हुआ लगता है. तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार के खिलाफ एंटी इंकम्बेंसी फैक्टर को अच्छी तरह भुनाया. साथ ही आम आदमी से जुड़े मुद्दों को उठा कर खुद को बेहतर विकल्प के तौर पर पेश किया. उन्होंने अधिकतर चुनावी सभाओं में- कमाई, दवाई, पढ़ाई, सिंचाई और महंगाई का जिक्र किया. एग्जिट पोल के मुताबिक इस चुनाव में यादवों में से 83 फीसदी और मुस्लिमों में 79 फीसदी मतदाताओं का समर्थन महागठबंधन के पक्ष में रहा.

Exit Poll: खुद को सीएम कैंडिडेट बताने वाली पुष्पम प्रिया को कितने वोटर चाहते हैं CM?

पेशे के हिसाब से वोटरों की बात की जाए तो सभी स्पेक्ट्रम में महागठबंधन को एनडीए पर बढ़त हासिल रही. 47 फीसदी बेरोजगार, 49 फीसदी छात्र, 44 फीसदी प्रवासी कामगार और 48 फीसदी मतदाताओं का समर्थन तेजस्वी के नेतृत्व वाले गठबंधन के पक्ष में रहा.आधिकारिक डेटा के मुताबिक बिहार के मतदाताओं में 1.67 करोड़ 18-29 आयुवर्ग से हैं जो कि कुल मतदाताओं का 23.6 फीसदी या एक चौथाई बैठता है. इसके मायने है कि 243 सीटों में से हर सीट पर औसतन 29 साल से नीचे के 69,000 औसतन वोटर हैं.

Exit poll: तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री पद के लिए बिहार की पहली पसंद, नीतीश 9% से पीछे

Advertisement

इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया के एग्जिट पोल के आंकड़ों में 18 से 35 साल के आयुवर्ग में 47 प्रतिशत प्रतिभागी महागठबंधन को पसंद करते दिख रहे हैं. जबकि 18-35 आयुवर्ग में 34 फीसदी और 26 से 35 आयुवर्ग में 36 फीसदी ने एनडीए को वोट देना पसद किया. अगर अधिक आयु वर्ग की बात की जाए तो 36 से 50 साल के मतदाताओं में से 42 फीसदी ने एनडीए और 41 फीसदी ने महागठबंधन को वोट देना पसंद किया. 51-60 आयु वर्ग में 45 फीसदी ने एनडीए और 40 फीसदी ने महागठबंधन के हक में राय व्यक्त की.

Bihar Exit Poll: एनडीए को मिले 72 फीसदी वोट सिर्फ मोदी के नाम और काम पर, नापसंद रहे नीतीश

इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया एग्जिट पोल के अनुमान के मुताबिक बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार भी पुरुष वोटरों की तुलना में महिला वोटरों ने एनडीए को अधिक पसंद किया. जहां एनडीए को सिर्फ 37 फीसदी पुरुषों के वोट मिलने का अनुमान है वहीं 42 फीसदी महिला वोटरों ने पसंद किया. एग्जिट पोल के मुताबिक इस बार महागठबंधन को 44 फीसदी पुरुष वोटरों और 43% फीसदी महिला वोटरों के वोट मिलते दिख रहे हैं.

देखें: आजतक LIVE TV

यानि महिला वोटरों ने भी एनडीए की तुलना में एक प्रतिशत अधिक महागठबंधन को पसंद किया है. तेजस्वी ने सत्ता में आते ही दस लाख नौकरियां देने के वादे का अपनी हर चुनावी सभा में जिक्र किया. इसने युवाओं को खासा प्रभावित किया. वहीं एनडीए ने सत्ता में लौटने पर 19 लाख रोजगार देने का वादा किया.

Advertisement

एग्जिट पोल की अन्य अहम बातें

-तेजस्वी यादव ने आरजेडी के साथ जुड़े कथित ‘जंगल राज’ के ठप्पे से नुकसान को कम से कम करने के लिए लालू यादव-राबड़ी देवी और को चुनाव प्रचार से दूर रखने का साहसिक कदम उठाया.

-तेजस्वी ने खुद को सभी जातियों, समूहों के नेता के तौर पर पेश किया और खुद को एमवाई (मुस्लिमों/यादवों) नेता तक ही सीमित नहीं रखा.

-बड़े एंटी इंक्मबेंसी फैक्टर, लॉकडाउन में लौटे 30 लाख प्रवासी कामगारों की व्यथा और औद्योगिक विकास में खराब प्रदर्शन ने नीतीश कुमार सरकार के खिलाफ काम किया.

मेथेडोलॉडी 

इंडिया टुडे–एक्सिस माय इंडिया एग्जिट पोल बिहार की 243 विधानसभा सीटों के लिए 63,081 प्रतिभागियों से किए गए साक्षात्कार पर आधारित है. सर्वे में 89 फीसदी ग्रामीण और 11 फीसदी शहरी इलाकों को कवर किया गया.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement