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फतुहा विधानसभा सीट: राजद और बीजेपी में मुकाबला, कौन मारेगा बाजी?

फतुहा विधानसभा सीट आजादी के बाद ही बन गई थी और 1951 के बाद शुरुआती वक्त में कांग्रेस के खाते में ही गई थी. हालांकि, उसके बाद कभी जनसंघ, लोकदल फिर कांग्रेस के खाते में ये सीट जाती रही.

क्या RJD लगा पाएगी जीत की हैट्रिक? क्या RJD लगा पाएगी जीत की हैट्रिक?
मोहित ग्रोवर
  • नई दिल्ली,
  • 22 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 2:22 PM IST
  • बिहार में विधानसभा चुनाव की हलचल तेज
  • फतुहा सीट पर RJD की नजर

बिहार में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया पूरी हो गई है, अब दस नवंबर को नतीजों का इंतजार है. बिहार की फतुहा विधानसभा सीट पर इस बार 3 नवंबर को वोट डाले गए, यहां कुल 62.19 फीसदी मतदान हुआ.

राज्य की फतुहा विधानसभा सीट ऐसा क्षेत्र है जहां पर मतदाताओं की संख्या काफी कम है. लेकिन इस सीट का राजनीतिक महत्व काफी अधिक है. पटना शहर से कुछ ही दूरी पर स्थित फतुहा में राष्ट्रीय जनता दल का दबदबा है और पिछले कुछ चुनावों में पार्टी ने लगातार जीत दर्ज की है. RJD के रामानंद यादव इस बार यहां पर जीत की हैट्रिक लगाने की कोशिश करेंगे. 

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कौन-कौन है मैदान में?
राजद – रामानंद यादव
बीजेपी – सत्येंद्र कुमार सिंह
बसपा – सुनील कुमार
प्लूरल्स पार्टी – अजीत कुमार सिंह

कब होना है चुनाव? 
दूसरा चरण – 3 नवंबर
नतीजा – दस नवंबर

फतुहा विधानसभा सीट का इतिहास 
फतुहा विधानसभा सीट आजादी के बाद ही बन गई थी और 1951 के बाद शुरुआती वक्त में कांग्रेस के खाते में ही गई थी. हालांकि, उसके बाद कभी जनसंघ, लोकदल फिर कांग्रेस के खाते में ये सीट जाती रही. अगर पिछले बीस साल की बात करें तो ये सीट राजद और जदयू के खाते में ही गई है. पिछले चुनाव में इस सीट पर एनडीए की ओर से लोजपा चुनाव लड़ी थी, उससे पहले जदयू भी यहां से चुनाव लड़ चुकी है. ऐसे में इस बार ये सीट किसके खाते में जाती है, इसपर भी नज़र हैं. 

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क्या कहता है सियासी समीकरण?
यूं तो फतुहा को पटना के पास का इंडस्ट्रियल इलाका है लेकिन हर बार चुनावों में जातिगत फैक्टर सामने आता है. इस सीट पर कुर्मी जाति के लोगों की संख्या काफी अधिक है, ऐसे में उनपर राजनीतिक लोगों की नजर भी रहती है. पिछले चुनाव में लोजपा ने दावा किया था कि राजद के यादव वोटबैंक में गहरी सेंध लगी है, लेकिन नतीजे कुछ अलग ही थे. इस विधानसभा सीट में करीब सवा दो लाख के करीब वोटर हैं.

2015 में क्या रहे थे नतीजे?
पिछले विधानसभा चुनाव में जदयू और राजद एक साथ थे लेकिन सीट राजद के खाते में गई थी. ऐसे में एनडीए की ओर से लोजपा ने चुनाव लड़ा था. राजद के रामानंद यादव को 2015 विधानसभा चुनाव में कुल 77 हजार वोट मिले थे, जबकि लोजपा के सत्येंद्र कुमार सिंह को 46 हजार वोट मिल पाए थे. ऐसे में दोनों के बीच अंतर काफी ज्यादा रहा था. लेकिन इस बार फिर निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि सीट किसके खाते में जाती है. क्योंकि चुनाव से पहले एनडीए में जदयू और लोजपा कई मुद्दों पर आमने-सामने हैं. 

विधायक का रिपोर्ट कार्ड 
स्थानीय विधायक रामानंद यादव यहां से दो बार चुनाव जीत चुके हैं. विधायक का आरोप है कि नीतीश सरकार के कारण इंडस्ट्री एरिया डेवलेप नहीं हो पाया है जिसके कारण रोजगार की समस्या है. लेकिन अगर पुराना रिकॉर्ड देखें तो दोनों ही पार्टियां पिछले चुनाव में साथ ही लड़ी और जीती थीं. पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में रामानंद यादव काफी चर्चा में थे, क्योंकि जब वो अपने समर्थकों के साथ वोट डालने जा रहे थे तो उन्हें नजरबंद किया गया था. उनपर वोटरों को प्रभावित करने की बात कही गई थी. 

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