
बिहार विधानसभा चुनाव की दुंदुभी बज चुकी है. निर्वाचन आयोग ने तीन चरणों में विधानसभा चुनाव कराने का ऐलान कर दिया है. पहले चरण में 28 अक्टूबर, दूसरे चरण में 3 नवंबर, तीसरे और अंतिम चरण में 7 नवंबर को मतदान होगा. जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सत्ता बचाने की जुगत में जुटा है, तो वहीं विपक्षी महागठबंधन भी फिर से सत्ता पाने की.
सियासी समीकरण साधने की कोशिशें की जा रही हैं, तो वहीं चुनावी अतीत भी खंगाले जाने लगे हैं. एक-एक सीट के लिए सियासी आजमाइश के बीच दरभंगा जिले की हाया विधानसभा सीट पर भी सियासी बिसात बिछने लगी है. इस सीट से अमरनाथ गामी विधायक थे, लेकिन इस बार यह सीट जेडीयू की गठबंधन सहयोगी बीजेपी के खाते में चली गई है. बीजेपी ने यहां से रामचंद्र प्रसाद को टिकट दिया है. आरजेडी ने भोला यादव पर दांव लगाया है तो वहीं, जन अधिकार पार्टी ने अब्दुसलाम खान को उम्मीदवार बनाया है.
हायाघाट विधानसभा क्षेत्र के चुनावी अतीत की बात करें तो 2015 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू के टिकट पर मैदान में उतरे अमरनाथ गामी ने निकटतम प्रतिद्वंदी रमेश चौधरी को शिकस्त दी थी. रमेश चौधरी लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे थे. गामी को 65 हजार 677, जबकि चौधरी को 32 हजार 446 वोट मिले थे. शिवसेना उम्मीदवार राम शंकर चौधरी तीसरे स्थान पर रहे थे. खास बात यह है कि तब चुनाव मैदान में कुल 14 उम्मीदवार ताल ठोक रहे थे. हाया विधानसभा सीट के चुनावी अतीत की बात करें तो साल 2010 के विधानसभा चुनाव में भी गामी ही विजयी रहे थे.
हालांकि, तब वह जेडीयू नहीं बल्कि भाजपा के टिकट पर मैदान में उतरे थे. 2010 के चुनाव में गामी ने अपने प्रतिद्वंदी एलजेपी के उम्मीदवार शाहनवाज अहमद कैफी को मात दी थी. तब भी मैदान में 14 उम्मीदवार ही थे. तब कांग्रेस उम्मीदवार अरविंद कुमार चौधरी तीसरे स्थान पर रहे थे. इससे पहले के चुनावों की बात करें तो यह सीट जनता दल, राष्ट्रीय जनता दल के कब्जे में भी रही है.
2005 में जीती थी आरजेडी
साल 1990 के विधानसभा चुनाव में हाया विधानसभा सीट से जनता दल के कफील अहमद ने विजयश्री हासिल की थी. साल 1995 में भी इस सीट पर जनता दल का ही कब्जा रहा. हालांकि, तब विधायक बदल गए. 1990 में जहां कफील अहमद विधायक थे, वहीं 1995 में हरिनंदन यादव विधायक निर्वाचित हुए. साल 2000 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से आईएनडी के उपाधर प्रसाद सिंह जीते थे.
हाया विधानसभा सीट से साल 2005 में हरिनंदन यादव ने विजयश्री हासिल की. हालांकि, हरिनंदन इस सीट पर कब्जा बरकरार नहीं रख सके और 2005 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के अमरनाथ गामी ने यह सीट एनडीए की झोली में डाल दी थी. इस सीट के लिए तीसरे और अंतिम चरण में 7 नवंबर को वोट डाले जाएंगे और नतीजे 10 नवंबर को आएंगे.