
बिहार के अरवल जिले में आने वाली कुर्था विधानसभा सीट कई मायनों में अहम है. इस सीट पर यादव, कोइरी और भूमिहार जाति के मतदाता निर्णायक होते हैं. बिहार में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया पूरी हो गई है, अब 10 नवंबर को नतीजों का इंतजार है. बिहार की कुर्था विधानसभा सीट पर इस बार 28 अक्टूबर को वोट डाले गए, यहां कुल 55.58% मतदान हुआ.
कब हुई वोटिंग?
कुर्था विधानसभा सीट पर पहले चरण में 28 अक्टूबर को मतदान हुआ. बता दें कि इस साल बिहार विधानसभा चुनाव 3 चरणों में संपन्न हुए. पहले चरण के लिए 28 अक्टूबर, दूसरे चरण के लिए 3 नवंबर को वोट डाले गए. जबकि तीसरे यानी आखिरी चरण का चुनाव 7 नवंबर को हुआ. बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे 10 नवंबर को आएंगे.
इस बार के मुख्य उम्मीदवार
कुर्था विधानसभा सीट पहले जहानाबाद जिले में थी. 20 अगस्त 2001 को अरवल जिले की स्थापना हुई जिसके बाद कुर्था विधानसभा क्षेत्र अस्तित्व में आया. बहरहाल, जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाली इस सीट पर जदयू का कब्जा है. 2015 के विधानसभा चुनावों में पार्टी के सत्यदेव सिंह ने 43,676 (37.8%) मतों के साथ जीत हासिल की थी. उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी के अशोक कुमार वर्मा को शिकस्त दी थी. अशोक कुमार वर्मा को 29,557 (25.6%) मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहना पड़ा था. वहीं तीसरे स्थान पर रहे बहुजन समाज पार्टी के राजेंद्र यादव को 8,896 (7.7%) वोट मिले थे.
2010 के चुनावों में भी सत्यदेव सिंह ने जीत हासिल की थी. जदयू के टिकट पर मैदान में उतरे सत्यदेव सिंह को 37,633 (41.0%) वोट मिले थे जबकि दूसरे स्थान पर रहे राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के शिव बचन यादव को 28,140 (30.6%) मतों से संतोष करना पड़ा था. कांग्रेस के उम्मीदवार अशोक कुमार तीसरे स्थान पर और उन्हें 5,461 (5.9%) वोट मिले थे.
चुनावी इतिहास
कुर्था सीट पर बीजेपी को कभी जीत नहीं मिली. यहां हमेशा कांग्रेस, समाजवादी रुख वाले दलों के बीच ही चुनावी जंग रही है. 1951 के विधानसभा चुनावों में रामचरन सिंह यादव (प्रजा सोशलिस्ट पार्टी), 1957 में कामेश्वर शर्मा (कांग्रेस), 1962 में रामचरन सिंह यादव, (प्रजा सोशलिस्ट पार्टी), 1967, 1969 में जगदेव प्रसाद (संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी और शोषित समजा दल), 1972 में रामाश्रय प्रसाद सिंह (कांग्रेस), 1977 में नागमणि (शोषित समाज दल), 1980 में सहदेव प्रसाद (जेएनपी), 1985 में नागमणि (निर्दलीय), 1990 में मुद्रिका सिंह यादव (जनता दल), 1995 में सहदेव प्रसाद यादव (जनता दल), 2000 में शिव बचन यादव (आरजेडी), 2005 में सुचरिता सिन्हा (एलजेपी) ने जीत दर्ज की थी.
बिहार के लेनिन की धरती
1969 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतने वाले जगदेव प्रसाद को 'बिहार का लेनिन' का कहा जाता है. 2 फरवरी 1922 को कुर्था प्रखंड के कुरहारी गांव में कोइरी परिवार में जन्मे जगदेव प्रसाद अपने राजनीतिक अभियानों में कमजोर वर्गों में शिक्षा पर जोर देते थे. निम्न मध्यमवर्गीय परिवार में पैदा होने के कारण जगदेव प्रसाद का तेवर शुरू से ही संघर्षशील और जुझारू रहा और बचपन से ही विद्रोही स्वाभाव के थे. जगदेव प्रसाद महान राजनीतिक दूरदर्शी थे. उन्होंने हमेशा शोषित समाज की भलाई के बारे में सोचा और इसके लिए उन्होंने पार्टी तथा विचारधारा किसी को महत्व नहीं दिया. बाद में उन्होंने शोषित समाज दल का गठन किया. उनका एक कथन 'सौ में नब्बे शोषित हैं, नब्बे भाग हमारा है' बहुत प्रसिद्ध रहा.
सामाजिक ताना-बाना
जनगणना 2011 के मुताबिक कुर्था विधानसभा क्षेत्र की कुल आबादी 349668. इसमें अनुसूचित जाति और जनजाति का अनुपात क्रमशः 19.04 और 0.08 फीसदी है. 2015 के विधानसभा चुनावों में इस सीट पर 49.92% मतदान हुए थे. 2019 की मतगणना सूची के मुताबिक यहां 243041 मतदाता हैं.