
बिहार के पिछले तीन विधानसभा चुनाव वोट शेयरिंग के मामले में खास रहे. खास ये था कि जिस पार्टी का वोट शेयर सबसे ज्यादा रहा, वो सरकार बनाने में सफल नहीं हुई. 2015 का चुनाव परिणाम भी ऐसा ही था लेकिन बाद में यहां सर्वाधिक वोट शेयर वाली पार्टी ने बदले हुए राजनीतिक समीकरण में सत्ता तक पहुंच बनाने में सफलता हासिल की. लेकिन चुनाव परिणाम की घोषणा के वक्त उसे सत्ता हासिल नहीं हुई थी.
विधासभा चुनाव 2005:
इस चुनाव में एनडीए के नेतृत्व वाली बीजेपी ने बिहार में जेडीयू साथ मिलकर चुनाव लड़ा. दूसरी तरफ कांग्रेस, आरजेडी, एनसीपी और माकपा ने गठबंधन के तौर पर साथ में चुनाव लड़ा था. एक तीसरा गठबंधन भी था जिसमें एलजेपी ने भाकपा और एआईएएफबी के साथ एलजेपी लेफ्ट नामक मोर्चा बना कर चुनाव लड़ा. इस चुनाव में सबसे ज्यादा वोट शेयरिंग आरजेडी के पक्ष में 23.4 प्रतिशत थी. लेकिन उसे सरकार बनाने लायक संख्याबल नहीं मिला. दूसरे नंबर पर 20.4 फीसदी वोट के साथ जेडीयू थी. जेडीयू ने सर्वाधिक सीटें जीतते हुए बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी.
विधानसभा चुनाव 2010:
इस चुनाव में बीजेपी और जेडीयू ने फिर मिलकर चुनाव लड़ा. इस बार आरजेडी और एलजेपी साथ आए थे वहीं, कांग्रेस ने पिछले गठबंधन से अलग हटकर चुनाव लड़ा था. इस बार फिर जेडीयू की सीटों में भारी इजाफा हुआ और उसने 115 सीटों पर जीत हासिल की. इस बार बीजेपी की सीटें भी बढ़ीं और उसने 91 सीटों पर अपना झंडा लहराया. आरजेडी और कांग्रेस का भारी नुकसान हुआ. इस बार वोट शेयर के मामले में अन्य (छोटे दल एवं निर्दल) ने 27 फीसदी वोटों को अपने पक्ष में करने में सफलता हासिल की. लेकिन वो वोट शेयरिंग में ज्यादा होते हुए भी सरकार नहीं बना सके. इस चुनाव में बीजेपी और जेडीयू का वोट शेयर बढ़ा तो आरजेडी का घट गया.
विधानसभा चुनाव 2015:
इस चुनाव की खास बात थी वर्षों से साथ रहे बीजेपी और जेडीयू में दूरी. इतना ही नहीं, एक दूसरे के विरोधी नीतीश और लालू इस चुनाव में एक साथ हो गए. इस नई जोड़ी के साथ कांग्रेस भी थी. बीजेपी खेमे में एलजेपी और आरएलएसपी ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा. इस चुनाव में सबसे ज्यादा वोट शेयर बीजेपी का 25 फीसदी रहा. लेकिन बीजेपी चुनाव परिणाम के बाद विपक्ष की भूमिका में थी. नीतीश लालू की जोड़ी ने सर्वाधिक सीटें हासिल कर सरकार बनाने में सफलता हासिल की. ये बात अलग थी कि दो साल बीतने के साथ ही ये जोड़ी टूट गई और नीतीश ने बीजेपी के समर्थन में सरकार बनाई.
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