
बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले संसद में राजनीतिक गर्मी बढ़ गई है. कृषि बिल को मोदी सरकार ने पास करा लिया है लेकिन विपक्ष आगबबूला है. इसी दौरान रविवार को सदन की कार्यवाही के दौरान विपक्षी सांसदों ने हंगामा किया और उपसभापति हरिवंश के साथ बदसलूकी की. अब कृषि बिल से हटकर ये पूरा बवाल हरिवंश के अपमान पर शिफ्ट होता दिख रहा है.
एक और विपक्ष लोकतंत्र की दुहाई दे रहा है तो दूसरी ओर एनडीए ने बिहारी अस्मिता को अपना हथियार बना लिया है. इस राजनीतिक उठापटक के बीच मंगलवार की सुबह इस विवाद में चाय की एंट्री हो गई, जिसने कहानी में नया मोड़ ला दिया.
चाय की प्याली से चुनावी तूफान तक...
राज्यसभा से निलंबित हो चुके आठ सांसद कल रात से ही धरने पर बैठे हैं. संजय सिंह, डेरेक ओ ब्रायन समेत अन्य आठ सांसदों के लिए उपसभापति हरिवंश अपने घर से चाय बनाकर पहुंचे. हरिवंश ने सभी सांसदों के लिए चाय परोसी, लेकिन धरना देने वालों ने चाय पीने से इनकार कर दिया. हरिवंश ने भरोसा दिलाया कि वो यहां उनके दोस्त हैं, उपसभापति सिर्फ सदन के अंदर हैं.
इसी के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ट्वीट आ गया, जहां उन्होंने उपसभापति हरिवंश के व्यवहार की जमकर तारीफ की. पीएम मोदी ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘हर किसी ने देखा कि दो दिन पहले लोकतंत्र के मंदिर में उनको किस प्रकार अपमानित किया गया, उन पर हमला किया गया और फिर वही लोग उनके खिलाफ धरने पर भी बैठ गए. लेकिन आपको आनंद होगा कि आज हरिवंश जी ने उन्हीं लोगों को सवेरे-सवेरे अपने घर से चाय ले जाकर पिलाई.’
इसके अलावा राज्यसभा में खुद के साथ हुए अपमान के मसले पर अब हरिवंश खुद भी 24 घंटे का उपवास रख रहे हैं, जिसके लिए उन्होंने राज्यसभा चेयरमैन को खत भी लिख दिया है.
सांसदों की लड़ाई में बिहार चुनाव!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब उपसभापति हरिवंश की तारीफ की, तो उन्होंने बिहार का भी जिक्र किया. हरिवंश बिहार से ही राज्यसभा सांसद हैं और जदयू का हिस्सा हैं. ऐसे में पीएम ने अपने ट्वीट में लिखा कि बिहार की धरती ने सदियों पहले पूरे विश्व को लोकतंत्र की शिक्षा दी थी, आज उसी बिहार की धरती से प्रजातंत्र के प्रतिनिधि बने श्री हरिवंश जी ने जो किया, वह प्रत्येक लोकतंत्र प्रेमी को प्रेरित और आनंदित करने वाला है’. साफ है कि विपक्ष पर वार करते हुए पीएम मोदी ने बिहार को भी साधने की कोशिश की.
पीएम मोदी से पहले भाजपा और जदयू बिहार के स्तर पर इस मसले को उठा चुकी हैं. पार्टियों का कहना है कि संसद में बिहार के बेटे का अपमान किया गया है, ऐसे में विपक्ष को बिहार चुनाव के वक्त इसका जवाब देना होगा. क्योंकि बिहार की जनता उनसे सवाल पूछेगी. साफ है कि विपक्ष की ओर से कृषि बिल के मसले पर सरकार को घेरने की कोशिश की जा रही है, लेकिन अब भाजपा की ओर से उल्टा विपक्ष पर हल्ला बोल कर दिया गया है.
चुनाव और चाय...
जब से नरेंद्र मोदी देश की राजनीति के केंद्र में आए हैं, तभी से चुनाव और चाय का रिश्ता दिखता रहा है. 2014 के चुनाव में कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर के वार के बाद भाजपा ने चाय को ही चुनावी एजेंडा बना दिया था. पीएम मोदी ने खुद को चायवाले के तौर पर प्रोजेक्ट किया और चाय पर चर्चा भी शुरू हुई. उसके बाद 2019 के चुनाव में चौकीदार मुद्दा बन गया और अब जब बिहार चुनाव की घड़ी बिल्कुल नज़दीक है तो फिर चाय चर्चा में है. अब देखना होगा कि इस चाय को कबतक उबाला जाता है और बिहार चुनाव में कैसे इसे पकाया जाता है.