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बिहार में सात निश्चय योजना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्राथमिकताओं में रही है. इस योजना का लक्ष्य पूरे राज्यों के गांवों का कल्याण था.
योजना थी कि चयनित गांवों में बिजली, पानी की उपलब्धता के साथ सड़क, नाली, शौचालय, स्कूल-कॉलेज निर्माण कराया जाएगा. इसके अलावा स्थानीय महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया जाएगा. हालांकि इस योजना में चयनित एक गांव के रियलिटी चेक में हैरान करने वाली चीजें सामने आई.
गांव का बुरा हाल
नवादा जिले के पूर्णामाट एरिया का सुपौल गांव सात निश्चय योजना में चयनित गांव है. 2017 में इसका चयन हुआ.
योजना का शुभारंभ करने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद इस गांव में आए थे. बीते तीन वर्षों में क्या कुछ हुआ, इस रियलिटी चेक के लिए बिहार तक की टीम गांव पहुंची. पाया कि पेयजल के लिए हैंडपम्प लगे थे. कुछ सड़कें भी बनी थीं. लेकिन घरों के गंदे पानी की निकासी के लिए कहीं भी पक्की नाली का इंतजाम नहीं था.
खुद से बनवाई नालियां
गांव के निवासी अजय सिंह ने बताया कि सात निश्चय योजना में बिजली, सड़क और शौचालय का काम तो हुआ लेकिन नाली नहीं बनी. गंदे पानी की निकासी यहां बड़ी समस्या है. कुछ लोगों ने अपने खर्च पर अपने घर के गंदे पानी के लिए नाली बनवाई है लेकिन उसे आस-पास की खाली जमीन में गिराते हैं.
मच्छरों की बढ़ गई समस्या
सुपौल के निवासी रमाकांत सिंह ने भी बताया कि अधिकांश लोग अपने खर्च से बनाई गई कच्ची नालियों से काम चला रहे हैं. सभी घरों का गंदा पानी गांव की खाली जमीनों तक पहुंचता है और इससे मच्छरों की समस्या बढ़ गई है. एक स्थानीय महिला ने कहा कि शौचालय बने तो हैं लेकिन लोग इसका पूरी तरह से इस्तेमाल नहीं करते.
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