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बिहार में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया पूरी हो गई है, तीन चरणों में हुए चुनावों में इस बार कुल 59.94 फीसदी वोटिंग हुई है. अब 10 नवंबर को नतीजों का इंतजार है. बिहार की परसा विधानसभा सीट पर इस बार 3 नवंबर को वोट डाले गए, यहां कुल 57.79% मतदान हुआ. परसा विधानसभा सीट बिहार में एक वीआईपी सीट मानी जाती है. इस सीट पर एक ही परिवार का कब्जा रहा है. 1951 से लेकर अभी तक हुए 17 विधानसभा चुनावों में 14 बार एक ही परिवार के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है. वर्तमान में इस सीट से उसी सियासी परिवार के सदस्य और लालू प्रसाद यादव के समधी चंद्रिका राय विधायक हैं.
दरअसल, लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव की शादी चंद्रिका राय की बेटी ऐश्वर्या से मई 2018 में हुई थी. हालांकि, कुछ ही महीने बाद यह रिश्ता ताड़-ताड़ हो गया. तेज प्रताप ने तलाक की अर्जी लगाई, उधर ऐश्वर्या ने यादव परिवार के खिलाफ प्रताड़ना का केस दर्ज करा दिया. परिवार के बीच मचे घमासान की वजह से चंद्रिका राय की आरजेडी से भी दूरी बढ़ गई.
हाल के दिनों में उन्हें आरजेडी के पक्ष में बात करते नहीं देखा गया है. वहीं 2015 में चंद्रिका राय से हार चुके उनके धुर विरोधी छोटेलाल राय ने जदयू छोड़ आरजेडी का दामन थाम लिया है. बताया जा रहा है कि इस बार के चुनाव में छोटेलाल राय इस सीट से विधानसभा चुनाव में ताल ठोक सकते हैं. ऐसे में देखना होगा कि चंद्रिका राय आगे किस ओर अपने कदम बढ़ाते हैं. हालांकि, इन बदलावों ने इस सीट के चुनाव को काफी दिलचस्प बना दिया है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
1951 में गठित परसा विधानसभा सीट पर 17 बार विधानसभा चुनाव हुए हैं और इन चुनावों में एक ही परिवार का दबदबा रहा है. यह सीट दरोगा प्रसाद राय के नाम से जानी जाती है. वही दरोगा प्रसाद राय जो लगातार 7 बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े और जीते. दरोगा प्रसाद बिहार के मुख्यमंत्री भी रहे. हालांकि, जेपी आंदोलन के लहर वाले 1977 के विधानसभा चुनावों में उन्हें रमानंद प्रसाद यादव के हाथों हार का सामना करना पड़ा. हालांकि, 1980 के विधानसभा चुनावों में फिर दरोगा प्रसाद ने जीत हासिल की. तभी उनका निधन हो गया.
उनकी मौत के बाद 1981 में इस सीट पर उपचुनाव हुए और लोगों ने उनकी पत्नी प्रभावती देवी को विधायक चुना. उनके बाद दरोगा प्रसाद के बेटे चंद्रिका राय ने सियासी विरासत को आगे बढ़ाया और 1985 के विधानसभा चुनाव में पिता वाली कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़ा, जीत भी हासिल की. लेकिन आगे की सियासी पारी के लिए उन्होंने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया. इस दौरान सियासी गलियारे में बातें कही गईं कि चंद्रिका राय की जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ना तय है. लेकिन 1990 का उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ा और इसमें भी उन्हें जीत मिली.
इसके बाद उन्होंने जनता दल का साथ पकड़ा और आगला विधानसभा चुनाव जनता दल के टिकट पर चुनाव जीता. हालांकि 2000 और 2005 का विधानसभा चुनाव उन्होंने आरजेडी के टिकट पर लड़ा. लेकिन इसके बाद लगातार 5 विधानसभा चुनाव जीतने वाले को अगले दो चुनावों में जेडीयू के छोटेलाल राय के हाथों लगातार दो हार का सामना करना पड़ा. हालांकि, 2015 में उन्होंने फिर जीत हासिल की.
दूसरे चरण में 3 नवंबर 2020 को इस सीट पर वोट डाले जाएंगे. चुनाव के नतीजे 10 नवंबर को आएंगे.
इस बार के मुख्य उम्मीदवार
2015 का जनादेश
2015 के विधानसभा चुनावों में चंद्रिका राय ने छोटेलाल राय को 37 हजार से ज्यादा के मार्जिन से हरा दिया था. चंद्रिका राय को यहां से 77211 वोट मिले थे वहीं, लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले छोटेलाल राय को 34876 वोट प्राप्त हुए थे. इस बार देखना होगा कि चंद्रिका राय चुनाव में उतरने के लिए आरजेडी छोड़ निर्दलीय चुनाव लड़ते हैं या फिर जेडीयू का दामन थामते हैं.