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राजगीर विधानसभा सीट: बीजेपी के किले में क्या सेंध लगा पाएगा महागठबंधन?

राजगीर में विधानसभा का पहला चुनाव 1957 में हुआ. ये सीट अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित है. यहां पर हुए पहले चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली. 1967 से 1969 तक यहां जनसंघ का कब्जा रहा.

पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार (फोटो- PTI) पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार (फोटो- PTI)
देवांग दुबे गौतम
  • नई दिल्ली,
  • 25 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 12:10 PM IST
  • राजगीर में विधानसभा का पहला चुनाव 1957 में हुआ
  • अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित है सीट
  • बीजेपी को 6 चुनावों में मिल चुकी है जीत

बिहार की राजगीर विधानसभा सीट नालंदा जिले में आती है. राजगीर को बीजेपी का गढ़ कहा जाता है. लेकिन 2015 के चुनाव में उसे जेडीयू के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. लेकिन इस बार हालात अलग हैं. 2015 के चुनाव में बीजेपी और जेडीयू जहां अलग-अलग चुनाव लड़े थे तो इस बार दोनों साथ हैं. ऐसे में इस सीट पर मुकाबला NDA और महागठबंधन के बीच होगा. यहां के चुनावी इतिहास को देखें तो NDA की जीत तय मानी जा रही है. 

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सामाजिक ताना-बाना

राजगीर विधानसभा सीट नालंदा जिले में आती है. 2011 की जनगणना के अनुसार, राजगीर की जनसंख्या 412522 है. यहां की 83.7 फीसदी आबादी ग्रामीण और 16.3 फीसदी आबादी शहरी क्षेत्र में रहती है. अनुसूचित जातियों (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) का अनुपात कुल आबादी से क्रमशः 25.15 और 0.07 है.

राजगीर कृषि प्रधान होने के साथ- साथ राज्य के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है. यह क्षेत्र ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी काफी महत्वपूर्ण स्थान रखता है. प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय, भगवान बुद्ध एवं भगवान महावीर की जन्मस्थली कुंडलपुर एवं पावापुरी के लिए यह विश्व में प्रसिद्ध है.

राजनीतिक पृष्ठभूमि

राजगीर में विधानसभा का पहला चुनाव 1957 में हुआ. ये सीट अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित है. यहां पर हुए पहले चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली. 1967 से 1969 तक यहां जनसंघ का कब्जा रहा. लेकिन 1972 में यहां से सीपीआई के चंद्रदेव प्रसाद हिमांशु चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे. 1980 में बीजेपी ने यहां अपना झंडा गाड़ दिया. बीजेपी के सत्यदेव नारायण आर्य 1980 से 1985 तक यहां के विधायक रहे. 

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1990 में सीपीआई के चंद्रदेव प्रसाद हिमांशु ने बीजेपी की झोली से यह सीट छीन ली. लेकिन पांच साल बाद 1995 के चुनाव में पुनः सत्यदेव नारायण आर्य ने बीजेपी का परचम लहराने में कामयाबी हासिल की. 2010 तक यह सीट सत्यदेव नारायण आर्य के नेतृत्व में बीजेपी के खाते में रहा. 2015 के चुनाव उन्हें जेडीयू के रवि ज्योति के हाथों हार का सामना करना पड़ा. यहां पर हुए 16 चुनावों में कांग्रेस को 2, सीपीआई को 2, बीजेपी को 6 और जेडीयू को 1 बार जीत मिली है. 

2015 का जनादेश

2015 के विधानसभा चुनाव में राजगीर में 274435 मतदाता थे. इसमें से 52.35 फीसदी पुरुष और 47.65 फीसदी महिला वोटर्स थीं. 148565 लोगों ने वोटिंग की थी. यहां पर 54 फीसदी मतदान हुआ था. इस चुनाव में जेडीयू के रवि ज्योति ने 5 हजार से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की थी. रवि ज्योति को 62009 (41.75 फीसदी) वोट और सत्यदेव नारायण को 56619 (38.12 फीसदी) वोट मिले थे. तीसरे स्थान पर सीपीआई के अमित कुमार थे. 

विधायक के बारे में

राजगीर के विधायक रवि ज्योति कुमार का जन्म 7 मई 1969 को हुआ. बिहार के दरभंगा में जन्मे रवि ज्योति की शैक्षणिक योग्यता बीए.एलएलबी है. उनकी पत्नी का नाम सुनीता भारती है. रवि ज्योति कुमार ने 2015 में ही राजनीति में प्रवेश किया. इसी साल उन्होंने विधानसभा का चुनाव का लड़ा और पहले ही चुनाव में जीत हासिल की. रवि ज्योति कुमार विधायक बनने से पहले बिहार पुलिस में इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत रहे हैं. 

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ये प्रत्याशी हैं मैदान में

राजगीर विधानसभा सीट पर 22 उम्मीदवार मैदान में हैं. यहां से कांग्रेस के रवि ज्योति कुमार और जेडीयू के कौशल किशोर प्रत्याशी हैं.

कितनी हुई वोटिंग

राजगीर में दूसरे चरण के तहत मतदान हुआ. यहां पर 3 नवंबर को वोटिंग हुई. राजगीर में 53.48 फीसदी मतदान हुआ. मतगणना 10 नवंबर को की जाएगी.


 


 

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