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रक्सौल विधानसभा सीट पर 57.25 फीसदी मतदान, बीजेपी-कांग्रेस के बीच टक्कर

बिहार के रक्सौल विधानसभा सीट पर इस बार कुल 21 लोगों ने नामांकन दाखिल किया था और 16 आवेदन सही पाए गए. जबकि 5 की उम्मीदवारी खारिज हो गई. इस तरह से इस सीट पर 13 उम्मीदवारों के बीच मुकाबला है.

रक्सौल से जीत का छक्का लगाने उतरेगी बीजेपी (फाइल-पीटीआई) रक्सौल से जीत का छक्का लगाने उतरेगी बीजेपी (फाइल-पीटीआई)
सुरेंद्र कुमार वर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 18 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 6:16 PM IST
  • 1985 तक कांग्रेस का गढ़ रहा
  • 2000 से लगातार जीत रही बीजेपी
  • पिछला चुनाव कांटे का रहा था

बिहार की रक्सौल सीट पर 57.25 फीसदी मतदान हुआ. पुरुषों की तुलना में महिलाओं ने ज्यादा वोट डाले. रक्सौल विधानसभा सीट पर कुल 13 उम्मीदवार मैदान में है जिसमें मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के प्रमोद कुमार सिन्हा और कांग्रेस के रामबाबू प्रसाद यादव के बीच है.

रक्सौल विधानसभा सीट पर इस बार कुल 21 लोगों ने नामांकन दाखिल किया था और 16 आवेदन सही पाए गए. जबकि 5 की उम्मीदवारी खारिज हो गई. इस तरह से इस सीट पर 13 उम्मीदवारों के बीच मुकाबला है. रक्सौल सीट पर तीसरे चरण में 7 नवंबर को मतदान कराए गए. बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 28 अक्टूबर को 16 जिलों की 71 सीटों पर मतदान हुआ तो दूसरे चरण में 3 नवंबर को 17 जिलों की 94 विधानसभा सीटों पर वोटिंग हुई जबकि तीसरे चरण में 7 नवंबर को 78 सीटों पर मतदान हुआ. वोटों की गिनती 10 नवंबर को होगी.

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रक्सौल विधानसभा सीट बिहार विधानसभा में सीट क्रम संख्या 10 है. यह विधानसभा क्षेत्र पूर्वी चंपारण जिले में पड़ता है और यह पश्चिम चंपारण संसदीय (लोकसभा) निर्वाचन क्षेत्र का एक हिस्सा भी है. 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिश के बाद इस विधानसभा सीट में बदलाव किया गया और इसके तहत रक्सौल और अदापुर सामुदायिक विकास ब्लॉक को शामिल कर लिया गया.

रक्सौल विधानसभा सीट पहले बेतिया लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा हुआ करता था, लेकिन बाद में यह पश्चिम चंपारण संसदीय क्षेत्र का हिस्सा बन गया. इस विधानसभा सीट की बात की जाए तो यह भारतीय जनता पार्टी की पकड़ वाली सीट है. हालांकि आजादी के बाद से विधानसभा चुनाव पर नजर डालें तो 1985 तक कांग्रेस का यह गढ़ रहा है. कांग्रेस इस सीट से 8 बार चुनाव जीत चुकी है. राधा पांडे इस सीट से पहले विधायक बने.

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कांग्रेस भी 5 बार लगातार जीती

हालांकि 1967 के चुनाव में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी ने कांग्रेस से यह सीट छीन ली थी. लेकिन 1969 में फिर से जीत हासिल करने के बाद कांग्रेस ने 1985 तक लगातार 5 बार चुनाव जीता. 1990 और 1995 में जनता दल के राज नंदन राय ने लगातार 2 बार चुनाव जीता था.

भारतीय जनता पार्टी ने 2000 में इस सीट पर जीत का जो सिलसिला शुरू किया वो अब तक कायम है. अजय कुमार सिंह लगातार 5 बार चुनाव जीत चुके हैं. बीजेपी के लिए यह एक गढ़ जैसा है क्योंकि पिछले 20 सालों में उसे यहां से हार नहीं मिली है. जबकि कांग्रेस को 1985 के बाद से यहां पर अपनी पहली जीत का इंतजार है.

2015 में हुए विधानसभा चुनाव में रक्सौल विधानसभा सीट की बात की जाए तो इस सीट पर कुल 2,57,669 मतदाता थे जिसमें 1,39,618 पुरुष और 1,18,039 महिला मतदाता शामिल थे. 2,57,669 में 1,62,582 मतदाताओं ने वोट डाले जिसमें 1,59,272 वोट वैध माने गए. छनपटिया विधानसभा सीट पर 63.1% मतदान हुआ. जिसमें नोटा के पक्ष में 3,310 वोट पड़े थे.

4 हजार से कम रहा जीत का अंतर

2015 के चुनाव में रक्सौल विधानसभा सीट उन चंद सीटों में शामिल है जहां पर मुकाबला कांटेदार रहा और यहां पर हार-जीत का अंतर 4 हजार से भी कम का रहा. भारतीय जनता पार्टी के अजय कुमार सिंह इस सीट से चुनाव जीतने में कामयाब रहे और उन्होंने महज 3,169 मतों के अंतर से चुनाव में जीत हासिल की थी. अजय कुमार सिंह ने राष्ट्रीय जनता दल के सुरेश कुमार को हराया था. अजय कुमार सिंह को 39.8% मत मिले तो सुरेश को 37.9% वोट मिले. इस सीट पर 10 उम्मीदवार मैदान में थे जिसमें 4 निर्दलीय उम्मीदवार थे.

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विधायक अजय कुमार सिंह की शिक्षा के बारे में बात करें तो वह ग्रेजुएट हैं और 2015 में दाखिल हलफनामे के अनुसार उन पर एक भी आपराधिक केस दर्ज नहीं है. उनके पास 3,16,15,162 रुपये की संपत्ति है, जबकि उन पर 1,93,559 रुपये की लायबिलिटीज है.

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