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बिहार चुनाव: बेटे-बहू-बेटियां भी मैदान में, टिकट बंटवारे में खूब चला परिवारवाद

जेडीयू के नेतृत्व वाला सत्ताधारी एनडीए हो या कांग्रेस और आरजेडी का महागठबंधन, दोनों ही खेमे के टिकट वितरण पर भाई-भतीजावाद की झलक साफ दिख रही है.

तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार
रोहित कुमार सिंह
  • पटना,
  • 11 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 7:56 PM IST
  • जेडीयू ने कपिलदेव कामत की वधु, जनार्दन मांझी के बेटे को टिकट
  • बीजेपी ने जमुई से पूर्व सांसद दिग्विजय सिंह की बेटी श्रेयसी को उतारा
  • आरजेडी से जगदानंद का बेटा, जयप्रकाश नारायण की बेटी मैदान में 

राजनीति में परिवारवाद हमेशा से ही चर्चा का विषय रहा है. बिहार के विधानसभा चुनाव में भी परिवारवाद खूब दिख रहा है. जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के नेतृत्व वाला सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) हो या कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) का महागठबंधन, दोनों ही खेमे के टिकट वितरण पर भाई-भतीजावाद की झलक साफ दिख रही है.

एक तरफ जहां कुछ राजनेताओं ने ढलती उम्र का तकाजा देख चुनाव लड़ने से मना कर दिया, साथ ही अपने बेटे-बेटियों, भतीजे-भतीजियों को टिकट दिलवा कर उन्हें राजनीति में सेट करने का जुगाड़ कर लिया. वहीं दूसरी तरफ, कुछ राजनेताओं ने खराब स्वास्थ्य का हवाला देकर अपने बेटे-बहुओं को राजनीति में उतार दिया. जेडीयू की बात करें तो पंचायती राज मंत्री कपिलदेव कामत की बहू मीना कामत को मधुबनी के बाबूबरही विधानसभा क्षेत्र से टिकट मिला है.

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इस सीट से कपिलदेव कामत विधायक हैं, लेकिन पिछले कुछ दिन से वे अस्वस्थ चल रहे हैं. वे उपचार के लिए पटना एम्स में भर्ती हैं. जेडीयू ने कामत जगह उनकी पुत्रवधु मीना को चुनाव मैदान में उतारा है. कुछ ऐसा ही है बांका जिले की अमरपुर विधानसभा सीट पर भी, जहां से जेडीयू ने मौजूदा विधायक जनार्दन मांझी की जगह उनके बेटे जयंत मांझी को उम्मीदवार बनाया है. पूर्वी चंपारण की केसरिया विधानसभा सीट से भी जेडीयू ने शालिनी मिश्रा को उम्मीदवार बनाया है. शालिनी मिश्रा पूर्व सीपीआई नेता और सांसद कमला मिश्रा मधुकर की बेटी हैं. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने भी पूर्व सांसद दिग्विजय सिंह की बेटी और राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता श्रेयसी सिंह को जमुई से चुनाव मैदान में उतारा है.

आरजेडी ने जगदानंद के बेटे को दिया टिकट

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महागठबंधन की बात करें तो आरजेडी ने प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे सुधाकर सिंह को रामगढ़ सीट से उम्मीदवार बनाया है. जगदानंद इस सीट से छह बार विधायक रहे हैं. पार्टी ने पूर्व सांसद जयप्रकाश नारायण यादव की बेटी दिव्या प्रकाश को भी मुंगेर जिले के तारापुर विधानसभा सीट से टिकट दिया है. पूर्व सांसद कांति सिंह के बेटे ऋषि कुमार को भी आरजेडी ने मौजूदा विधायक वीरेंद्र प्रसाद यादव का टिकट काटकर औरंगाबाद के ओबरा विधानसभा क्षेत्र से अपना उम्मीदवार बनाया है.

कांग्रेस भी बहुत पीछे नहीं

महागठबंधन की घटक कांग्रेस भी परिवारवाद की होड़ में पीछे नहीं. कांग्रेस ने कहलगांव विधानसभा क्षेत्र से नौ बार विधायक रहे सदानंद सिंह के बेटे शुभानंद मुकेश को टिकट दिया है. वहीं, वजीरगंज से कांग्रेस ने अपने मौजूदा विधायक अवधेश कुमार सिंह के बेटे शशि शेखर सिंह को उम्मीदवार बनाया है. अवधेश कुमार सिंह ने इस बार चुनाव नहीं लड़ने की बात कही थी.

परिवारवाद पर आरोप-प्रत्यारोप

आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने जेडीयू और बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि पहले विरोधी हम पर परिवारवाद का आरोप लगाते थे. टिकट बंटवारे में सब दिख रहा है. बीजेपी हो या जेडीयू, कोई भी दल इससे अछूता नहीं है. जो हम पर आरोप लगा रहे थे, उन्हें अब जवाब देना चाहिए. उन्होंने साथ ही यह सवाल भी किया कि जब डॉक्टर का बेटा डॉक्टर और इंजीनियर का बेटा इंजीनियर बन सकता है, तो फिर राजनेता का बेटा राजनेता क्यों नहीं बन सकता?

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आरजेडी के आरोप पर जेडीयू ने भी पलटवार किया. जेडीयू प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा कि राजनीति में जब कभी परिवारवाद की चर्चा होती है तो सबसे पहला नाम जो जहन में आता है, वह है आरजेडी. उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद ने सबसे पहले अपने साले को राजनीति में एंट्री दिलवाई और अब अपने बेटे-बेटियों की भी एंट्री करवा दी है. कांग्रेस की भी राजनीति केवल गांधी परिवार के इर्द-गिर्द सिमट कर रह गई है. जेडीयू प्रवक्ता ने साथ ही यह भी कहा कि राजनीति में परिवारवाद को जनता पसंद नहीं करती है.

 

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