Advertisement

सहरसा विधानसभा सीटः कांग्रेस के गढ़ में कब्जा बरकरार रख पाएगा महागठबंधन?

2005 से 2015 तक भारतीय जनता पार्टी के कब्जे में रही इस सीट पर पिछले चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल ने जीत हासिल की थी.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
aajtak.in
  • सहरसा ,
  • 02 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 7:41 PM IST
  • 2005 और 2010 में जीती थी भाजपा
  • आरजेडी के अरुण यादव हैं विधायक
  • अंतिम चरण में 7 नवंबर को होगी वोटिंग

सहरसा जिले की सहरसा विधानसभा सीट वैसे तो कभी किसी एक दल का मजबूत किला नहीं बन सकी, लेकिन यह कांग्रेस का गढ़ रही है. 2005 से 2015 तक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कब्जे में रही इस सीट पर पिछले चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल ने जीत हासिल की थी.

महागठबंधन इस सीट पर कब्जा बरकरार रखने को जोर लगा रहा है, वहीं भाजपा भी अपनी खोई सीट पाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती. पिछले चुनाव में आरजेडी के अरुण कुमार यादव विजयी रहे थे. इस बार यह सीट सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और विपक्षी महागठबंधन, दोनों ही खेमों के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई है.

Advertisement

आरजेडी ने इस बार लवली आनंद को टिकट दिया है. भारतीय जनता पार्टी ने आलोक रंजन को चुनाव मैदान में उतारा है. जन अधिकार पार्टी ने रंजन प्रियदर्शी को उम्मीदवार बनाया है. इस सीट से 24 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. इस बार समीकरण भी पिछले चुनाव से उलट हैं. पिछले चुनाव के दौरान महागठबंधन में आरजेडी की गठबंधन सहयोगी रही जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) इस बार एनडीए में है. दूसरे, यादव बाहुल्य इस सीट पर जातीय समीकरण और शहरी क्षेत्र का प्रभाव भी वोटों के गणित को प्रभावित करता है. ऐसे में इस सीट पर मुकाबला दिलचस्प रहने का अनुमान जताया जा रहा है.

कांग्रेस ने लगाया था जीत का छक्का

सहरसा विधानसभा सीट के चुनावी अतीत की बात करें तो यह सीट भी कभी कांग्रेस का गढ़ रही है. 1957 के विधानसभा चुनाव में विजय पताका फहराने वाली कांग्रेस ने इस सीट पर जीत का छक्का लगाया था. कांग्रेस के रमेश झा ने सबसे अधिक पांच बार विधानसभा में इस सीट का प्रतिनिधित्व किया. हालांकि, 1957 के चुनाव में रमेश झा को कांग्रेस उम्मीदवार विश्वेसरी देवी से मात खानी पड़ी थी. चार बार वे कांग्रेस, जबकि एक बार वे दूसरे दल से विधायक रहे थे.

Advertisement

साल 1995 में जनता दल के शंकर प्रसाद टेकरीवाल विधायक निर्वाचित हुए थे. साल 2000 में भी शंकर प्रसाद टेकरीवाल ही विधायक निर्वाचित हुए थे. टेकरीवाल इस बार आरजेडी के टिकट पर चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. हालांकि, 2005 के चुनाव में भाजपा के संजीव कुमार झा ने टेकरीवाल का विजय रथ रोक दिया था.

पुरुष मतदाताओं की संख्या अधिक

सहरसा विधानसभा सीट पर पुरुष मतदाताओं की संख्या अधिक है. 3 लाख 60 हजार से अधिक मतदाताओं वाले इस विधानसभा क्षेत्र के कुल मतदाताओं में पुरुषों की तादाद अधिक है. कुल वोटरों में 52.6 फीसदी है. पिछले चुनाव में 1 लाख 93 लाख 991 वोट पड़े थे. इस सीट के लिए तीसरे और अंतिम चरण में 7 नवंबर को 61.10 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया. मतगणना 10 नवंबर को होगी.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement