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महाराजगंज विधानसभा पर JDU-कांग्रेस की सीधी जंग, LJP बनेगी वोटकटवा?

इस सीट से जेडीयू ने अपने वर्तमान विधायक हेमनारायण साह पर एक बार फिर भरोसा दिखाया है. वहीं, महागठबंधन की ओर से ये सीट कांग्रेस के खाते में गई है.

महाराजगंज से व‍िधायक हैं हेमनारायण साह महाराजगंज से व‍िधायक हैं हेमनारायण साह
दीपक कुमार
  • नई द‍िल्‍ली,
  • 24 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 9:21 AM IST
  • महाराजगंज विधानसभा क्षेत्र में 3 नवंबर को वोटिंग
  • जेडीयू ने हेमनारायण साह पर फिर से भरोसा दिखाया
  • महागठबंधन की ओर से ये सीट कांग्रेस के खाते में है

अगर आप बिहार की राजनीति में दिलचस्पी रखते हैं तो आपको सिवान जिले के महाराजगंज के बारे में बखूबी जानकारी होगी. महाराजगंज वो इलाका है जहां से प्रभुनाथ सिंह जैसे बाहुबली ने लोकसभा का रास्ता तय किया. राजपूत के गढ़ के तौर पर पहचान बना चुका ये क्षेत्र विधानसभा चुनाव के लिए चर्चा में है. वोटिंग से पहले महाराजगंज विधानसभा सीट के सियासी समीकरण दिलचस्‍प हो गए हैं. इस सीट पर जेडीयू और कांग्रेस के बीच सीधी टक्‍कर है. वहीं, स्‍थानीय स्‍तर पर वोटकटवा के तौर पर एलजेपी को देखा जा रहा है.  

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कौन-कौन है उम्‍मीदवार 
इस सीट से जेडीयू ने अपने वर्तमान विधायक हेमनारायण साह पर एक बार फिर भरोसा दिखाया है. वहीं, महागठबंधन की ओर से ये सीट कांग्रेस के खाते में गई है. कांग्रेस ने इस सीट पर विजय शंकर दुबे को उतारा है. वहीं, लोजपा ने डॉक्टर देवरंजन सिंह को टिकट दिया है. आपको बता दें कि डॉक्टर देवरंजन सिंह बीजेपी से टिकट की दावेदारी ठोक रहे थे लेकिन ये सीट जेडीयू के खाते में जाने की वजह से नाराज हो गए. ऐसे में अब देवरंजन सिंह ने एलजेपी का झंडा उठा लिया है.

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देवरंजन सिंह के चुनाव मैदान में आने से एनडीए समर्थकों के बीच नाराजगी है. समर्थकों का मानना है कि देवरंजन सिंह अब सिर्फ वोटकटवा की भूमिका निभा रहे हैं. इसका नुकसान एनडीए गठबंधन को उठाना पड़ सकता है.  58 साल के देवरंजन साल 2010, 2014 और 2015 में विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं. आपको बता दें कि साल 2014 में इस सीट पर उपचुनाव हुआ था.

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अभी का क्‍या है माहौल 
बीजेपी और जेडीयू नेताओं के समर्थन की वजह से हेमनारायण साह अब भी मजबूत उम्‍मीदवार नजर आ रहे हैं. स्‍थानीय स्‍तर पर हेमनारायण साह को लोकल नेता माना जाता हैं जबकि कांग्रेस और एलजेपी के उम्‍मीदवार वहां के लिए बाहरी कहे जाते हैं. कांग्रेस के विजय शंकर दुबे सिवान के ही अन्‍य विधानसभा में भी भाग्‍य आजमा चुके हैं. अन्‍य उम्‍मीदवारों में पप्पू यादव की पार्टी जाप के विश्वनाथ यादव, निर्दलीय प्रत्‍याशी विश्‍वम्‍बर सिंह, मनोरंजन सिंह भी एनडीए और महागठबंधन के वोटबैंक में सेंध लगा सकते हैं.   

जातीय समीकरण
इस सीट पर ब्राह्मण, राजपूत और यादव वोटरों की स्थिति सबसे अच्छी है. हालांकि, महाराजगंज विधानसभा पर बनिया वोटर निर्णायक भूमिका में हैं, जो हेमनारायण साह के लिए मजबूत वोट बैंक है. अति पिछड़ा वोट बैंक भी एनडीए उम्‍मीदवार के लिए मजबूत फैक्‍टर है. बहरहाल, 10 नवंबर को ये साफ हो जाएगा कि महाराजगंज की जनता किसे अपना विधायक चुनती है. 

2015 का जनादेश
2015 के चुनाव में इस सीट पर जेडीयू और बीजेपी आमने-सामने थीं, जिसमें जेडीयू विधायक हेम नारायण साह को जीत मिली थी. उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार कुमार देव रंजन सिंह को 20 हजार से ज्यादा मतों के अंतर से पटखनी दी थी. हेम नारायण साह को 68459 वोट मिले थे. जबकि बीजेपी उम्मीदवार कुमार देवरंजन सिंह को 48167 वोट हासिल हुए थे.

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