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7 बार रहे विधायक, संसद में फाड़ दी थी बिल की कॉपी, ऐसी है दबंग सुरेंद्र यादव की कहानी

सुरेंद्र प्रसाद यादव आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और उनके बेटे तेजस्वी यादव के काफी करीबी माने जाते हैं. तीन दर्जन से ज्यादा आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं, जिसमें हत्या से प्रयास, आपराधिक साजिश से लेकर दंगे तक शामिल हैं.

बाहुबली नेता सुरेंद्र प्रसाद यादव बाहुबली नेता सुरेंद्र प्रसाद यादव
रचित कुमार
  • नई दिल्ली,
  • 26 सितंबर 2020,
  • अपडेटेड 12:49 AM IST
  • लालू-तेजस्वी के करीबी माने जाते हैं सुरेंद्र यादव
  • गया के एक किसान परिवार में हुआ था जन्म
  • तीन दर्जन से ज्यादा आपराधिक मुकदमे हैं दर्ज

गया-पटना रोड पर गया से करीब 22 किलोमीटर की दूरी पर पटना की दिशा में बसा है बेलागंज. यह इलाका गया लोकसभा सीट के तहत आता है. पड़ोसी जहानाबाद जिले से सटा गया जिले का यह सीमावर्ती इलाका मुख्य रूप से कृषि प्रधान है लेकिन स्थानीय रोजगार के अवसर कम होने के चलते यहां के लगभग तमाम गांवों के लोग दूसरे प्रदेशों में भी रोजी-रोटी के लिए जाते रहते हैं. इलाके के महत्व को देखते हुए पीजी लाइन की अधिकतर एक्सप्रेस ट्रेनें भी बेलागंज स्टेशन पर रुकती हैं.

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लेकिन बेलागंज की पहचान सिर्फ इतनी ही नहीं है. बेलागंज एक ऐसे दबंग विधायक का क्षेत्र है, जिसका इस विधानसभा सीट पर 30 साल से कब्जा है. वह दो बार जनता दल और 4 बार राष्ट्रीय जनता दल (RJD) से विधायक रहे हैं. इलाके में रसूख इतना कि लोगों ने कभी किसी और की तरफ देखा ही नहीं. उनके सामने चाहे जिस पार्टी का प्रतिद्वंदी रहा हो, जीत उनके ही खाते में गई.

बात हो रही है 7 बार बेलागंज विधानसभा सीट के विधायक और लोकसभा सांसद रहे सुरेंद्र प्रसाद यादव की. सुरेंद्र प्रसाद यादव आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और उनके बेटे तेजस्वी यादव के काफी करीबी माने जाते हैं. तीन दर्जन से ज्यादा आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं, जिसमें हत्या से प्रयास, आपराधिक साजिश से लेकर दंगे तक शामिल हैं.

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शुरुआत से राजनीति तक

सुरेंद्र प्रसाद यादव का जन्म 2 जनवरी 1959 को गया के एक किसान परिवार में हुआ था. यादव की शुरुआती शिक्षा गया से हुई. चुनावी हलफनामे के मुताबिक साल 1992 में उन्होंने मगध यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन की है. साल 1981 में जब सुरेंद्र प्रसाद यादव 22 साल के थे तो वे लालू प्रसाद यादव के संपर्क में आए.

उस वक्त लालू यादव लोक दल पार्टी के सदस्य थे. साल 1985 में महज 26 साल की उम्र में उन्हें लोक दल के टिकट पर जहानाबाद लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का मौका मिला. लेकिन वे जीत नहीं पाए.

इसके बाद साल 1990 में उन्हें पार्टी ने बेलागंज विधानसभा सीट से उतारा. इस बार उन्होंने जीत हासिल की. उन्हें 55799 वोट मिले. इसके बाद सुरेंद्र यादव ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. हर चुनाव में उन्हें जीत मिली. उन्होंने लोगों के बीच ऐसा दबदबा कायम किया कि उनकी कुर्सी आज तक कोई नेता हिला नहीं पाया. 2015 चुनाव की बात करें तो सुरेंद्र प्रसाद यादव को 53079 वोट मिले थे जिसमें एनडीए में रहे हम पार्टी के उपविजेता मो. शरीम अली को 48441 वोट मिले. विजेता रहे सुरेंद्र यादव ने मो. शरीम अली को 4638 वोट से हरा दिया था.

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दबंगई भी कम नहीं

- सुरेंद्र प्रसाद सिंह के बारे में उस दौर के लोग काफी हद तक वाकिफ हैं. सबसे पहले सुरेंद्र यादव ने सुर्खियां उस वक्त बटोरीं, जब गया कलेक्ट्रेट के पास उस पर 1991 के संसदीय चुनावों के दौरान एक पूर्व विधायक जय कुमार पलित को कथित तौर पर पीटने के आरोप उन पर लगे. जय कुमार पलित को पिलग्रिम अस्पताल में बर्ती कराया गया था. संयोग से, सीएम जीतन राम मांझी तब कांग्रेस के उम्मीदवार थे, जिनके लिए पलित को चोटें आईं.

- साल 1998 में सुरेंद्र यादव जहानाबाद लोकसभा सीट से 13 महीने तक सांसद भी रहे. लेकिन उस वक्त उन्होंने वो किया, जिसे भारतीय संसद के इतिहास में बदनुमा दाग माना जाता है. उन्होंने सदन में तत्कालीन उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के हाथों से महिला आरक्षण बिल की कॉपी लेकर फाड़ दी. जब भी संसद के अशोभनीय दृश्यों की होती है, तब वो वीडियो क्लिप जरूर चलाई जाती है. इसके बाद उन्होंने सांसद बनने के लिए कई बार कोशिशें कीं लेकिन दोबारा लोकसभा नहीं पहुंच पाए.

- सुरेंद्र यादव के करियर पर दाग यहीं नहीं रुके. साल 2002 में अतुल प्रकाश कस्टोडियल किडनैपिंग मामले में कथित तौर पर उन पर आरोप लगे. यह अपनी तरह का पहला मामला था, जब किसी शख्स को पुलिस कस्टडी से किडनैप कर लिया गया था.

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- साल 2005 के विधानसभा चुनाव को बिहार में सबसे साफ-सुथरा चुनाव माना जाता है. बूथ लुटेरे उस चुनाव में भीगी बिल्ली बन गए थे. तब चुनाव पर्यवेक्षक के जे राव थे, जिन्हें 2005 में बिहार में फ्री एंड फेयर इलेक्शन कराने का श्रेय दिया जाता है. उस वक्त भी एक मामले में सुरेंद्र यादव का नाम आया था. दरअसल चुनाव से एक दिन पहले टेकारी थाने को खबर मिली कि गया जिले में आरजेडी के कद्दावर नेता सुरेंद्र यादव गरीब लोगों के बीच वोटिंग कराने के लिए फर्जी लाल कार्ड बांट रहे हैं.

के जे राव को इस बात का अंदेशा था कि शायद उनके रसूख के चलते स्थानीय पुलिस के हाथ कांप जाएं. इसलिए उन्होंने संवेदनशील इलाकों में पैरामिलिट्री फोर्स की तैनाती करा दी. आदेश मिलते ही पैरामिलिट्री फोर्स की टीम मौके पर पहुंची और सुरेंद्र यादव को थाने ले आई. बताया जाता है कि पहले सुरेंद्र यादव ने खूब रुबाब दिखाया लेकिन जब सख्ती की गई तो उनका कोई जोर नहीं चला.

इस बार क्या हैं समीकरण

बेलागंज सीट से इस बार फिर राजद सुरेंद्र यादव को ही मैदान में उतारने का मन बना रही है. लेकिन मुकाबला इस बार कांटे का होने का उम्मीद है. जेडीयू के संभावित प्रत्याशी अभय कुशवाहा क्षेत्र में खूब प्रचार-प्रसार कर रहे हैं. वहीं जेडीयू के ही नगर निकाय के प्रदेश प्रवक्ता चंदन कुमार यादव भी बेलागंज से ही दम दिखा रहे हैं.

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