
बिहार में आज पहले चरण का मतदान हो रहा है. प्रचार खत्म होते ही नेताओं की लोकप्रियता के कयास लगाए जाने लगे थे. क्योंकि यह चुनाव दूसरे चुनावों से अलग है, फिलहाल कोरोना भी है और शहर छोड़ गांव आए मजदूरों का रोना भी. रैलियां भले हो रही हों लेकिन कोरोना ने प्रचार के पैमाने बदल दिए. जब बात सोशल डिस्टेंसिंग की हो तो सोशल मीडिया पर नेताओं का प्रभाव लोकप्रियता मापने का एक बड़ा फैक्टर माना जाना स्वाभाविक है.
एनडीए की तरफ से नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री के उम्मीदवार हैं. दूसरी ओर महागठबंधन की ओर से राजद के तेजस्वी ताल ठोक रहे हैं. नीतीश 15 साल से सत्ता में हैं जबकि तेजस्वी पहली बार विधायक बने हैं और 18 महीने तक डिप्टी सीएम की कुर्सी संभाली है. ऐसे में कयास लगाए जा रहे थे कि नीतीश को तेजस्वी के मुकाबले सोशल मीडिया पर ज्यादा लोकप्रियता हासिल होगी, लेकिन आंकड़े कुछ और ही कहानी बयां करते हैं.
बिहार चुनाव की घोषणा होने के बाद इंडिया टुडे की डेटा इंटेलिजेंस यूनिट ने 25 सितंबर से 25 अक्टूबर तक, नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के फेसबुक आंकड़ों का आकलन किया. यूं तो नीतीश और तेजस्वी दोनों के फेसबुक पेज को लगभग 15 लाख लोग लाइक करते हैं, लेकिन इस सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर मिलने वाली शोहरत में, दोनों नेताओं के बीच बड़ा अंतर दिखाई देता है.
यह उस पॉपुलर परसेप्शन के विपरीत है जिसमें नीतीश को ज्यादा फायदा होता दिख रहा था. क्योंकि फेसबुक पर लाइक्स की बौछार तो तेजस्वी पर हो रही है.
तेजस्वी का तेजस
25 सितंबर से 25 अक्टूबर तक, वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 67 बार फेसबुक पर पोस्ट डाले जिनसे उनको मात्र 3.7 लाख लाइक्स ही मिले. वहीं उनके प्रतिद्वंद्वी तेजस्वी यादव ने इसी दौरान 94 फेसबुक पोस्ट्स डाले. उन्हें 47 लाख से भी ज्यादा लाइक्स मिले जो नीतीश कुमार से लगभग 12 गुना ज्यादा हैं.
फेसबुक लोकप्रियता को राजनीति तक सीमित करने के लिए DIU ने इन नेताओं की राजनीतिक पोस्ट्स ही अपने एनालिसिस में इस्तेमाल कीं. दोनों नेताओं की टाइमलाइन से जन्मदिन, श्रद्धांजलि, पुण्यतिथि जैसी पोस्ट्स को शामिल नहीं किया. अब अगर हम हर पोस्ट पर मिलने वाले लाइक्स देखें, तो तेजस्वी के आगे नीतीश कुमार के आंकड़े फीके नजर आते हैं.
जहां नीतीश की प्रत्येक पोस्ट पर 5572 लाइक्स मिलते हैं, वहीं उनके प्रतिद्वंद्वी तेजस्वी को हर पोस्ट पर 51000 से ज्यादा लाइक्स प्राप्त होते हैं. यदि हफ्ते-दर-हफ्ते के आंकड़े देखें, तब भी हर बार तेजस्वी यादव, नीतीश से कई गुना ज्यादा लाइक्स बटोर कर लाए हैं.
लाइक्स से बढ़कर
फेसबुक आंकड़ों की खास बात यह है कि इसमें ऑडियंस का मूड भी पता चलता है. जब लाइक बटन के ऊपर ज्यादा देर तक प्रेस किया जाए, तब रियेक्ट करने के 6 विकल्प सामने आते हैं. लव- यानी प्यार, सैड यानि दुःख, हाहा माने हंसी, एंग्री माने क्रोध और वाओ मने अचंभित. केयर नाम का एक छठा आइकॉन भी है जो बड़े तौर पर सपोर्ट को जाहिर करता है. DIU ने इन नेताओं की पोस्ट्स पर मिले एक-एक रिएक्शन का हिसाब किया है और इसमें भी तेजस्वी को बढ़त हासिल है.
आंकड़े दर्शाते हैं की तेजस्वी यादव की पोस्ट्स पर आए लाइक्स में से सबसे ज्यादा तो लव रियेक्ट्स थे. उनको प्राप्त हुए 47 लाख लाइक्स में से 1.6 लाख (3.5 प्रतिशत) दिल के आइकॉन थे, जो उनकी ऑडियंस का प्यार उनकी पोस्ट्स पर दर्शाते हैं. नीतीश कुमार को तेजस्वी की तुलना में वैसे तो कम लाइक प्राप्त हुए लेकिन प्रतिशत के दर में वे ऊपर उठ जाते हैं.
अपने 3.7 लाख लाइक्स में से नीतीश को केवल 16000 ही लव रिएक्शन मिले, जो कुल रिएक्शन का 4.5 प्रतिशत हैं. लेकिन इसमें भी एक ट्विस्ट है. रिएक्शन में तेजस्वी को सबसे ज्यादा प्यार मिला, लेकिन लव रिएक्शन नीतीश को मिलने वाला सबसे बड़ा रिएक्शन नहीं है.
नीतीश की पोस्ट पर लोग हंसे और गुस्सा किया
चौंकाने वाली बात यह है कि नीतीश की फेसबुक पोस्ट्स पर लोग उतना प्यार नहीं बरसा रहे जितना उन पर वे हंस रहे हैं. 3.7 लाख लाइक्स में से 34 हजार रिएक्शन तो उपहास के हैं, जो कि कुल रिएक्शन का 9 प्रतिशत से ज्यादा बड़ा हिस्सा बनाते हैं. तेजस्वी को मात्र 14,000 (नीतीश से आधे) ही हाहा रियेक्ट प्राप्त हुए हैं जो उनके कुल लाइक्स का 0.3 प्रतिशत भी नहीं है.
यह नीतीश और उनके प्रशंसकों के लिए चिंता की बात हो सकती है. क्योंकि यह दर्शाता है कि उनकी पोस्ट को लोग कितना सीरियसली ले रहे हैं. नीतीश कुमार की फेसबुक पोस्ट्स पर गुस्सा भी बढ़ चढ़कर देखने को मिलता है. कुल प्राप्त लाइक्स में से नीतीश को 1.7 प्रतिशत गुस्सैल रिएक्शन प्राप्त हुए हैं. तेजस्वी को वहीं 0.04 प्रतिशत ही गुस्से वाले रिएक्शन मिले, जो नीतीश से 40 गुना कम हैं.
फेसबुक पर क्यों फिसड्डी हैं नीतीश?
तेजस्वी जितनी फॉलोइंग होने के बावजूद नीतीश को तेजस्वी से 9 गुना कम लाइक प्राप्त होते हैं. 15 साल तक मुख्यमंत्री रहे, लोकप्रियता भी है उनकी फिर यह फेसबुक पर क्यों नहीं दर्ज नहीं हो पाती? इसका सीधा जवाब है - आलस. DIU ने नीतीश और तेजस्वी, दोनों की फेसबुक टाइमलाइन को बारीकी से जांचा और पाया कि नीतीश कुमार अपने फेसबुक पेज को तेजस्वी जितनी गंभीरता से नहीं लेते.
25 सितंबर को चुनाव आयोग ने बिहार चुनावों की तारीखें घोषित कीं, लेकिन नीतीश कुमार का पहला राजनीतिक पोस्ट तो 7 अक्टूबर को आया, लगभग 12 दिन बाद. और आने के बाद भी उन्होंने कोई ऐसी धमाचौकड़ी नहीं मचाई जिससे कौतूहल बढ़े.
उनके प्रतिद्वंद्वी तेजस्वी यादव पहले दिन से ही सक्रिय हो गए थे. जिस दिन चुनाव आयोग ने चुनावों की घोषणा की उसी दिन तेजस्वी यादव ने 4 लाइव वीडियो साझा किये, किसानों के बिल के विरोध में की गई रैलियों को लेकर. तेजस्वी को 30 सितम्बर तक अपनी 16 पोस्ट्स पर 6 लाख से ज्यादा लाइक्स प्राप्त हो गए थे. नीतीश कुमार को एक महीने में इसका आधा ही मिल पाया.
वहीं किस टाइप का कंटेंट डाला गया, यह भी लाइक्स की संख्या को ऊपर नीचे करता है. नीतीश की 67 फेसबुक पोस्ट्स में से 85 प्रतिशत तो केवल लाइव वीडियो ही थे, जो उनकी चुनावी रैलियों का सीधा प्रसारण फेसबुक पर कर रहे थे. कुल 10 प्रतिशत पोस्ट्स में उन्होंने वीडियो डाले, जिसमें उनकी उस दिन की रैलियों का सार और छोटे छोटे स्निपपेट्स को जोड़ कर बनाया गया सन्देश था. नीतीश की फेसबुक पोस्ट्स पर ज्यादातर वही लाइव वीडियो देखने को मिलते हैं जो स्थानीय टीवी चैनल पहले से ही दिखा चुके होते हैं.
हालांकि तेजस्वी यादव ने वास्तव में फेसबुक का अच्छा इस्तेमाल किया. उन्होंने लाइव वीडियो, फोटो, पोस्ट्स और वीडियो के बढ़िया मिश्रण का इस्तेमाल किया. इसलिए 39 प्रतिशत से ज्यादा पोस्ट्स फोटो के साथ थी, 32 प्रतिशत वीडियो और 22 प्रतिशत ही लाइव वीडियो थे.
युवाओं के साथ जुड़ा होना भी बड़ा मायने रखता है. यूनिटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के 66 प्रतिशत फेसबुक यूज़र्स 15-29 वर्ष के हैं. जबकि युवाओं की आबादी देश की आबादी का 27 प्रतिशत ही है. ऐसे में युवाओं को आकर्षित किए बिना लोकप्रियता हासिल करना आसान नहीं है.
जहां नीतीश अपने कार्यों का गुणगान करते हैं, अपने वीडियो में वे बेहतर कल के वादे करते हैं, वहीं तेजस्वी अखबारों की रिपोर्ट साझा करके, बिहार की बदहाली के लिए नीतीश सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए पब्लिक सेंटिमेंट को लिफ्ट करते हैं. तेजस्वी खुद भी युवा हैं और वे ज्यादा से ज्यादा युवाओं को कनेक्ट करने वाली पोस्ट्स डालते हैं, जो नीतीश की फेसबुक टाइमलाइन पर देखने को नहीं मिलती.
तेजस्वी को सबसे ज्यादा लाइक्स तब प्राप्त हुए जब उन्होंने नामांकन के लिए जाने से पहले अपनी मां राबड़ी देवी के आशीर्वाद लेते हुए की फोटोज डाली. उस फोटो को 2.76 लाख से ज्यादा लाइक्स मिले.
मोदी फैक्टर
यह तो स्पष्ट है कि तेजस्वी और नीतीश की फेसबुक पर लोकप्रियता में दिन रात का अंतर है, लेकिन क्या तेजस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी ज्यादा लोकप्रिय हैं?
चुनाव घोषित होने के लगभग 4 हफ्ते बाद, पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार चुनाव को लेकर 2 लाइव वीडियो अपनी टाइम लाइन पर डाले. ये वीडियो उनकी भागलपुर और सासाराम रैली के थे. प्रधानमंत्री की भागलपुर रैली को 89,000 लाइक्स मिले और सासाराम रैली को 2.22 लाख लाइक्स मिले. ऐसे में प्रति पोस्ट लाइक की संख्या 1.5 लाख से ज्यादा चली जाती है जो कि तेजस्वी के आंकड़ों से 3 गुना ज्यादा है.
लेकिन यह भी जान लेना चाहिए कि जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक वैश्विक नेता हैं, तेजस्वी की राजनीति ज्यादातर बिहार तक ही सीमित है. बेशक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बिहार रैली पर 3 गुना ज्यादा फेसबुक लाइक्स आए हैं, पर उनके फॉलोवर्स की संख्या 4.5 करोड़ है, तेजस्वी का 30 गुना ज्यादा. 25 अक्टूबर को तेजस्वी ने एक लाइव वीडियो किया था जिसमें वे लोगों से माफी मांग रहे थे क्योंकि हेलिकॉप्टर में आई तकनीकी खराबियों की वजह से वे 9 में से 3 जगह रैली न कर पाए. उनका वह लाइव सन्देश 1.09 लाख लाइक्स बटोर गया, जो कि प्रधानमंत्री की भागलपुर रैली को मिले लाइक्स से ज्यादा है.
स्मरण यह भी रहे कि जहां तेजस्वी और नीतीश दोनों ही बिहार के प्रमुख नेता हैं, पर इनकी फैन फॉलोविंग हिंदी बेल्ट में भी काफी ज्यादा है ऐसे में यह कह पाना मुश्किल होगा कि इन दोनों नेताओं को मिले सारे के सारे लाइक्स बिहार से ही आए. यह आंकड़े तब ही मायने रखेंगे जब फेसबुक रिएक्शन और पॉपुलैरिटी वोट में भी तब्दील हो.