आज भारतीय राजनीति में कूटनीतिक जोड़-तोड़, दावपेचों की जो शतरंजी चालें दिखती हैं, उसके जनक चाणक्य ही हैं. चाणक्य के सूत्र और उपदेश सदाबहार हैं. जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा है वो और अधिक प्रासंगिक और सार्थक होते जा रहे हैं. चाणक्य के ग्रंथ अर्थशास्त्र में अर्थतंत्र का वर्णन है. इसमें राजशाही के संविधान की रूप-रेखा है. यानी विधि-विधान से लिखा गया राज्य का पहला संविधान पाटलिपुत्र की भूमि की उपज है. देखें वीडियो.