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Chhattisgarh Exit Poll 2023: छत्तीसगढ़ के एग्जिट पोल से मिल रहे ये 10 बड़े संदेश, पॉपुलैरिटी में फिर नंबर वन बने 'काका'

Chhattisgarh Exit Poll 2023: छत्तीसगढ़ में 16,270 लोगों को सर्वे में शामिल (सैंपल साइज) किया गया है. इनमें 77 फीसदी ग्रामीण तो 23 फीसदी शहरी क्षेत्र के लोग शामिल हैं. इस सर्वे में हिस्सा लेने वाले लोगों में कुल 56 फीसदी पुरुष तो 44 फीसदी महिलाएं शामिल हैं. इंडिया टुडे एक्सिस माय इंडिया के सर्वे के मुताबिक राज्य में एक बार फिर कांग्रेस को बढ़त मिलती दिख रही है.

छत्तीसगढ़ के एग्जिट पोल में भूपेश बघेल सीएम के लिए पहली पसंद बनकर सामने आए हैं छत्तीसगढ़ के एग्जिट पोल में भूपेश बघेल सीएम के लिए पहली पसंद बनकर सामने आए हैं
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 30 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 6:13 PM IST

Chhattisgarh Exit Poll 2023: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के नतीजे तीन दिसंबर को आने हैं. इससे पहले 30 नवंबर को चुनाव के नतीजों को लेकर एग्जिट पोल जारी हो गए हैं. India Today Axis My India के सबसे सटीक Exit Poll से राज्य में एक तस्वीर साफ हो गई है कि किसकी सरकार बनने जा रही है. 

दरअसल, छत्तीसगढ़ में 16,270 लोगों को सर्वे में शामिल (सैंपल साइज) किया गया है. इनमें 77 फीसदी ग्रामीण तो 23 फीसदी शहरी क्षेत्र के लोग शामिल हैं. इस सर्वे में हिस्सा लेने वाले लोगों में कुल 56 फीसदी पुरुष तो 44 फीसदी महिलाएं शामिल हैं. इंडिया टुडे एक्सिस माय इंडिया के सर्वे के मुताबिक राज्य में एक बार फिर कांग्रेस को बढ़त मिलती दिख रही है. कारण, सर्वे में कांग्रेस को 40 से 50 तो बीजेपी को 36 से 46 सीट मिलने का अनुमान है.

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चुनावी नतीजे आने से पहले जारी हुए एग्जिट पोल से 9 बड़े संदेश मिलते दिख रहे हैं. आइए जानते हैं क्या हैं वो-

1. कांग्रेस के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार के खिलाफ कोई सत्ता विरोधी लहर नहीं है, लेकिन ऐसा लगता है कि मतदान की तारीख से एक महीने पहले बीजेपी ने काफी बढ़त हासिल कर ली है और इस तरह बीजेपी पर कांग्रेस की बढ़त बहुत कम है.

2. बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में किए गए वादों से लोगों, खासकर किसान और महिलाओं को आकर्षित किया है. ये वादे हैं-

- विवाहित महिलाओं को 12,000 रुपये प्रति वर्ष.
- गरीबों को 500 रुपये में एलपीजी सिलेंडर.
- भूमिहीन खेतिहर मजदूरों को 10,000 रुपये.
- प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान की खरीद 3100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से.

3. महिला, शहरी, ओबीसी और सामान्य जाति और युवाओं (18-35 आयु) में बीजेपी आगे चल रही है.

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4. पुरुष, ग्रामीण, एससी, एसटी और मुस्लिमों में कांग्रेस आगे है.

5. तीन नवंबर को बीजेपी के बाद 5 नवंबर को कांग्रेस का घोषणापत्र जारी किया गया, जहां "किसान लोन माफ" ने बहुत से किसानों को आकर्षित किया, जिससे माहौल फिर से कांग्रेस के पक्ष में आ गया.

6. 2018 में बीजेपी बहुत बुरी तरह हार गई और दोनों पार्टियों के बीच 10% वोट शेयर अंतर के साथ कुल 90 सीटों में से केवल 15 सीटें ही जीत सकी. मुख्य कारण यह है कि एससी/एसटी/ओबीसी और यहां तक कि उच्च जाति ने बड़े पैमाने पर कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया, लेकिन इस बार बीजेपी ओबीसी, विशेष रूप से साहू (14% जनसंख्या) और उच्च जाति का बड़े स्तर पर वोट हासिल कर सकती है.

7. बीजेपी बस्तर क्षेत्र में आगे चल रही है, जो सबसे बड़ी हैरान करने वाली बात है. कारण, परंपरागत रूप से पिछले चुनावों में इस क्षेत्र में कांग्रेस आगे रही है. वहीं राज्य के के बाकी हिस्सों में कहानी उलट है।

8. बसपा ने इस बार जीजीपी (गोंडवाना गणतंत्र पार्टी) के साथ गठबंधन किया, लेकिन पिछली बार की तरह इस बार भी कोई खास प्रभाव नहीं डाल पाई. पिछली बार बसपा ने स्वर्गीय अजीत जोगी की पार्टी जेसीसी (जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे)) के साथ गठबंधन किया था। तभी भी ये गठबंधन कोई खास आंकड़े हासिल नहीं कर पाया.

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9. इस बार मुकाबला बहुत कांटे का है. मैदान में 4-6 उम्मीदवार छोटे दल और निर्दलीय ऐसे मैदान में हैं, जो त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में अहम रोल निभा सकते हैं. इन दलों में बसपा, जीजीपी, सीपीआई शामिल हैं.

10. मुख्यमंत्री किसे होना चाहिए? सर्वे में पूछे गए इस सवाल में 'काका' यानी भूपेश बघेल नबर वन हैं. 31 फीसदी लोगों ने बघेल के नाम पर मुहर लगाई है, जबकि रमन सिंह के नाम पर 21 फीसदी लोगों ने मुहर लगाई है. टी.एस सिंह देव को महज 2 फीसदी लोगों ने मुख्यमंत्री के रूप में देखा है. 

दो चरणों में हुआ था मतदान

बता दें कि राज्य की 90 विधानसभा सीटों पर दो चरणों में मतदान हुआ था. पहले चरण में 20 तो दूसरे चरण में 70 सीटों पर वोटिंग कराई गई. इस बार 76.31 फीसदी मतदान दर्ज किया गया, जो 2018 के विधानसभा चुनावों के मुकाबले (76.88) मामूली कम है. 

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