
दिल्ली विधानसभा चुनाव का औपचारिक ऐलान हो गया है. आम आदमी पार्टी से लेकर बीजेपी और कांग्रेस तीनों दल सत्ता पर काबिज होने के लिए जोर आजमाइश कर रहे हैं. दिल्ली की करीब डेढ़ दर्जन विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां हरियाणा मूल के लोगों का बोलबाला है और ये दिल्ली चुनावों को सीधे तौर पर प्रभावित कर सकते हैं. ऐसे में आम आदमी पार्टी से लेकर कांग्रेस और बीजेपी तीनों प्रमुख दल हरियाणा के अपने-अपने नेताओं को इन सीटों पर जीत का परचम फहराने के लिए तैनात कर सकते हैं.
बीजेपी दिल्ली चुनावों में, हरियाणा के अपने सहयोगी दुष्यंत चौटाला को केजरीवाल के खिलाफ एक मजबूत हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर सकती है तो कांग्रेस भूपेंद्र सिंह हुड्डा से लेकर कुमारी सैलजा और कुलदीप बिश्नोई सहित हरियाणा के तमाम अपने नेताओं को इन इलाकों की जिम्मेदारी दे सकती है. वहीं, आम आदमी पार्टी के संयोजक और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आप के हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष नवीन जयहिंद को बाहरी दिल्ली की सीटों के प्रचार का एजेंडा सौंपा है.
हरियाणा के लोगों का दिल्ली में दखल
बता दें कि दिल्ली में 20 से 25 फीसद लोग ऐसे हैं जिनका सीधा हरियाणा कनेक्शन है. हरियाणा से हर रोज आठ से 10 लाख लोग दिल्ली में नौकरी के लिए आते हैं और वापस फरीदाबाद, गुरुग्राम, सोनीपत, पलवल, नूंह और पानीपत जिलों में लौटते हैं. इतना ही नहीं, हरियाणा और दिल्ली के लोगों की आपस में काफी रिश्तेदारियां भी हैं.
दिल्ली की इन सीटों पर हरियाणा का प्रभाव
दिल्ली के बाहरी इलाके में आने वाली करीब डेढ़ दर्जन सीटों पर हरियाणा नेता और लोग सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं. इनमें बवाना, मुंडका, नजफगढ़, बिजवासन, पालम, छतरपुर, बदरपुर, नागलोई, मटियाला, बादली, नरेला, बुराड़ी, रिठाला, देवली, किराड़ी और उत्तमनगर सीटें ऐसी हैं, जिन पर हरियाणा की अहम भूमिका समझी जाती है. ये विधानसभा सीटें दिल्ली की रिंग रोड के बाहर इलाके में आती हैं, यहां पार्टियां सीधे तौर पर हरियाणा के लोगों की वजह से जीतती-हारती रही हैं.
AAP ने हरियाणा की प्रदेश टीम को दी जिम्मेदारी
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली में सत्ता की वापसी के लिए अपनी हरियाणा की टीम के सहयोग से बाहरी दिल्ली के मतदाताओं को साधने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने दे रहे हैं. आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता इससे पहले ही दो बार दिल्ली विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल के लिए माहौल तैयार करने में अहम भूमिका अदा कर चुके हैं. अन्ना हजारे के आंदोलन में भी हरियाणा के कार्यकर्ताओं की अहम भूमिका रही है. इसीलिए अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा की अपनी प्रदेश ईकाई और वहां के प्रदेश अध्यक्ष नवीन जयहिंद को बाहरी दिल्ली दिल्ली के रणक्षेत्र में लगा दिया है.
केजरीवाल के खिलाफ दुष्यंत चौटाला का करेगी इस्तेमाल
हालांकि, बीजेपी और कांग्रेस भी इस रणनीति पर हैं. हरियाणा में बीजेपी दुष्यंत चौटाला की पार्टी जेजेपी के सहयोग से सरकार चला रही है. ऐसे में बीजेपी दिल्ली की सियासी जंग में हरियाणा की अपनी टीम जाट और पंजाबी नेताओं को लगा सकती है. इसके अलावा बीजेपी अपने सहयोगी दुष्यंत चौटाला से भी केजरीवाल के खिलाफ बाहरी दिल्ली की सीटों पर चुनाव प्रचार करा सकती है. सूत्रों की मानें तो बीजेपी दिल्ली में जेजेपी के साथ गठबंधन कर कुछ सीटें उसे दे सकती है.
हरियाणा चुनाव के बाद दुष्यंत चौटाला का जाट समुदाय के बीच अच्छा खासा ग्राफ बढ़ा है. बाहरी दिल्ली की आधा दर्जन सीटों पर जेजेपी का खासा प्रभाव है. जाट बाहुल्ट चार सीटों पर जेजेपी किसी भी दल का सियासी गणित बिगाड़ने की स्थिति में है. इनेलो 2008 में नजफगढ़ सीट पर जीत दर्ज कर चुकी है. दिल्ली में 1998 के चुनाव में बीजेपी इनेलो के साथ मिलकर चुनाव लड़ चुकी है. बीजेपी ने उस समय इनेलो को नजफगढ़, महीपालपुर और बवाना तीन सीटें दी थी.
जेजेपी को कुछ सीटें दे सकती है बीजेपी
हरियाणा विधानसभा चुनाव के बाद इनेलो का जनाधार काफी कम हुआ है तो जेजेपी का ग्राफ बढ़ा है. जेजेपी बाहरी दिल्ली में बीजेपी के लिए लाभदायक साबित हो सकती है. बीजेपी और जेजेपी के बीच गठबंधन को लेकर शीर्ष नेतृत्व से बातचीत चल रही है. दुष्यंत चौटाला आधा दर्जन सीटें मांग रहे हैं, लेकिन बीजेपी उन्हें जाट बाहुल्य कुछ सीटें दे सकती है. ऐसे में बीजेपी दुष्यंत को केजरीवाल के खिलाफ एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर सकती है.
कांग्रेस दिल्ली में इन हरियाणा नेताओं को लगा सकती है
कांग्रेस भी अपनी हरियाणा टीम को दिल्ली के रणभूमि में लगा सकती है. दिल्ली दरबार के बेहद करीब आने और खुद को साबित करने के लिए हरियाणा के कांग्रेसियों के लिए दिल्ली चुनाव एक बेहतर मौका है. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा सांसद रहते हुए अक्सर दिल्ली की ही राजनीति करते थे और उनके बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा की सक्रियता भी दिल्ली में रही है.
किरण चौधरी दिल्ली विधानसभा में उपाध्यक्ष रह चुकी हैं. रणदीप सिंह सुरजेवाला राष्ट्रीय स्तर पर दिल्ली में सक्रिय हैं तो कुलदीप बिश्नोई कभी दिल्ली तो कभी गुरुग्राम में रहते हैं. कांग्रेस इन्हें दिल्ली के बाहरी इलाके की सीटों पर लगाकर सियासी फायदा उठा सकती है. कांग्रेस की योजना उन विधायकों, पूर्व विधायकों और पूर्व मंत्रियों व पूर्व सांसदों की भी दिल्ली चुनाव में ड्यूटी लगाने की है, जो जातीय समीकरणों के आधार पर चुनाव का गणित बदलने-बिगाड़ने का माद्दा रखते हैं.