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Goa Elections 2022: 34 उम्मीदवारों की लिस्ट में BJP ने गोवा में किस तरह साधे सियासी समीकरण, समझें

Goa Assembly Elections 2022: विधानसभा चुनाव के लिए गोवा के चुनाव प्रभारी और महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने उम्मीदवारों की घोषणा की. लिस्ट के मुताबिक वर्तमान सीएम प्रमोद सावंत (Pramod Sawant) सांखली से चुनाव लड़ेंगे. 

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
कमलेश सुतार
  • पणजी,
  • 20 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 7:15 PM IST
  • मनोहर पर्रिकर के बेटे उत्‍पल पर्रिकर को नहीं मिला टिकट
  • पणजी से लड़ेंगे वर्तमान विधायक अतनासियो मोंटेसेरेट

आखिरकार बीजेपी ने कई बैठकों के बाद गोवा विधानसभा चुनाव (Goa Assembly Elections 2022) के लिए 34 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है. विधानसभा चुनाव के लिए गोवा के चुनाव प्रभारी और महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने उम्मीदवारों की घोषणा की. लिस्ट के मुताबिक वर्तमान सीएम प्रमोद सावंत (Pramod Sawant) सांखली से चुनाव लड़ेंगे. 

वहीं, पार्टी ने पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के बेटे उत्‍पल पर्रिकर को पणजी से टिकट देने से इनकार कर दिया है. पणजी विधानसभा सीट से वर्तमान विधायक अतनासियो मोंटेसेरेट ही बीजेपी की तरफ से ताल ठोकेंगे. गोवा चुनाव के उम्मीदवारों की लिस्ट में बीजेपी ने परिवारवाद, जातिगत समीकरण को साधने की कोशिश है. आइए जानते हैं इसके बारे में...

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1.  उत्‍पल पर्रिकर को पणजी से टिकट नहीं
गोवा के पूर्व मुख्‍यमंत्री और भारत के रक्षा मंत्री रहे मनोहर पर्रिकर (Manohar Parrikar) के बेटे उत्‍पल पर्रिकर (Utpal Parrikar) को पणजी सीट का उत्तराधिकारी माना जा रहा था. राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा तेज थी कि उत्पल पर्रिकर उस सीट से क्षेत्र से राजनीति में कदम रखेंगे, जहां का प्रतिनिधित्व उनके पिता ने किया था. उत्पल ने पहले तो पणजी से चुनाव लड़ने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई थी, लेकिन 2021 में वह अचानक यहां की राजनीति में सक्रिए हुए. इसके बावजूद उत्पल का पार्टी ने टिकट देने से इनकार कर दिया. इससे पहले देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि नेता का बेटा होना योग्यता नहीं है. हालांकि पार्टी ने पणजी के बजाय उत्पल को बिचोलिम सीट की पेशकश की है. 

2. इन नेताओं पर बड़ा दांव
34 उम्मीदवारों की लिस्ट में उन नेताओं की तवज्जो दी गई है, जो 2017 के चुनाव के बाद बीजेपी में शामिल हुए हैं. वहीं, कुछ वरिष्ठ नेताओं के टिकट काट दिए गए हैं. मंड्रेम सीट पर पूर्व सीएम लक्ष्मीकांत पारसेकर की उम्मीदवारी को हटाकर दयानंद सोपटे पर पार्टी ने भरोसा जताया है. सोपटे 2018 में भाजपा में शामिल हुए थे और इस सीट से मौजूदा विधायक हैं. इसी तरह, नीलकंठ हरलंकर, अतांसियो मोनसेरेट, जेनिफर मोनसेराटे, फ्रांसिस्को सिल्वीरा, विश्वजीत राणे, दिव्या राणे, रवि नाइक, चंद्रकांत कावलेकर, सुभाष शिरोडकर, क्लाफसियो डायस, जो कांग्रेस से भाजपा में आए थे उन्हें टिकट दिया गया है. वहीं, गोवा फॉरवर्ड से जयेश सालगांवकर, महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी से मनोहर 'बाबू' अजगांवकर और निर्दलीय गोविंद गौडे, रोहन खुंटे, जो सूची में शामिल चुनावों से पहले बीजेपी का दामन थामा है. कहा जा रहा है कि आने वाले दौर में इन्हें भी बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है. 

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3. परिवारवाद की दिखी झलक
उत्पल पर्रिकर को भले ही परिवार या वंशवाद का हवाला देकर टिकट नहीं दिया गया हो, लेकिन इस मामले में कुछ नेता भाग्यशाली रहे हैं जो इस नियम से बच गए. अतानासियो मोनसेराटे उर्फ बाबुश और उनकी पत्नी दोनों उम्मीदवारों की सूची में शामिल हैं. जहां बाबुश पणजी सीट से चुनाव लड़ेंगे, वहीं जेनिफर जो प्रमोद सावंत कैबिनेट में राजस्व मंत्री थीं, तलेगांव से चुनाव लड़ेंगी. स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत और उनकी पत्नी दिव्या को भी क्रमश: वालपोई और पोरिम सीट से टिकट मिला है. पोरिम सीट पर लगातार 11 बार विश्वजीत के पिता का कब्जा है. दिलचस्प बात यह है कि पार्टी के एक अन्य वरिष्ठ नेता माइकल लोबो ने अपनी पत्नी को टिकट नहीं दिए जाने के कारण पार्टी छोड़ दी थी. इसके अलावा डिप्टी सीएम चंद्रकांत कावलेकर ने भी अपनी पत्नी सावित्री के लिए सांगुम सीट से टिकट की मांग की थी, जिसे अस्वीकार कर दिया गया है.

4. भंडारी और ओबीसी को ज्यादातर सीटें
पहली बार गोवा की 40 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही बीजेपी ने अन्य पिछड़ी जाति वर्ग और भंडारी जाति के उम्मीदवारों पर भरोसा जताया है. ऐसा इसलिए है क्योंकि गोवा की आबादी का लगभग 30-35% भंडारी हैं.

 

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