
गोवा कांग्रेस ने पिछले घटनाक्रमों से सबक लेते हुए विधानसभा चुनाव के उम्मीदवारों को शनिवार को मंदिर, दरगाह और चर्च ले गई. यहां प्रत्याशियों को शपथ दिलाई गई कि चुनाव जीतने के बाद वे पार्टी नहीं छोड़ेंगे. बता दें कि 2017 से अब तक 17 में से 15 विधायक कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए हैं. कांग्रेस इस अतीत को दोहराना नहीं चाहती है, इसलिए वे अपने 36 उम्मीदवारों को महालक्ष्मी मंदिर, बम्बोलिम क्रॉस और बेटिन मस्जिद में ले गई थी.
सीनियर नेता और कांग्रेस विधायक दिगंबर कामत ने कहा कि हमने कुल मिलाकर जनता के मन में जो भी शंकाएं हैं उन्हें दूर करने की कोशिश की है कि कांग्रेस इस धारणा को लेकर बहुत गंभीर है. कुछ राजनेता कह रहे हैं कि कांग्रेस के विधायकों को चुनने का कोई फायदा नहीं है, वे दूसरी पार्टियों में जाएंगे. ये वही नेता हैं जो हमारे विधायकों को लूट रहे हैं. यदि कोई बेटा माता-पिता को छोड़ देता है, तो बेटा और माता-पिता दोनों जिम्मेदार होते हैं. हमारे विधायकों को शामिल करने वाली पार्टियां भी इसके लिए जिम्मेदार हैं.
कांग्रेस ने कहा कि उसके सभी उम्मीदवारों को शपथ दिलाई गई, क्योंकि यह धारणा बनाई जा रही थी कि कांग्रेस को वोट भाजपा को वोट है. हाल के दिनों में दिल्ली के सीएम और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल और एआईटीसी (ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस) के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने इसी तरह की टिप्पणी करते हुए कहा कि कांग्रेस को वोट देना बीजेपी को वोट देने जैसा है.
कामत ने कहा कि हमें उन राजनेताओं पर और अधिक आक्रामक होना होगा जो हमारे लोगों को रुपए का लालच दे रहे हैं, उन्हें खरीद रहे हैं. कामत ने कहा कि गोवा बिक्री के लिए नहीं है. इसलिए हमने तय किया कि हम भगवान की उपस्थिति में शपथ लेंगे और शपथ दिलाएंगे. कम से कम गोवा के लोग भगवान से डरने वाले हैं. हमें किसी भी धर्म के बिना ईश्वर में पूर्ण विश्वास है. गोवा के लोगों में सांप्रदायिक सौहार्द है और शुरू से ही समान नागरिक संहिता का पालन करते हैं.
प्रत्याशियों ने कुछ इस तरह लिया शपथ
हम कांग्रेस उम्मीदवार प्रतिज्ञा करते हैं कि एक बार निर्वाचित होने के बाद अगले पांच साल हम कांग्रेस के साथ रहेंगे और लोगों की भलाई के लिए काम करेंगे. विपक्ष ने जो भी ऑफर दिया है. हम कांग्रेस को किसी कीमत पर नहीं छोड़ेंगे. बता दें कि महाराष्ट्र में जब 2019 में शिवसेना, कांग्रेस और राकांपा के बीच महा विकास अघाड़ी का गठन हुआ, तो तीनों दलों के विधायकों ने इसी तर्ज पर समर्थन का संकल्प लिया था.