
गोवा का सियासत में कांग्रेस दस साल से सत्ता का वनवास झेल रही है, जिसे तोड़ने के लिए पार्टी दिगंबर कामत के अगुवाई में चुनावी मैदान में उतरी है. पेशे से व्यापारी और रियल एस्टेट कारोबार के जरिए कामत ने सियासत में कदम रखा. कांग्रेस से अपनी राजनीतिक पारी का आगाज किया और फिर बीजेपी का दामन थाम लिया. 11 साल बीजेपी में रहने के बाद कांग्रेस में वापसी की और उनके सिर मुख्यमंत्री का ताज सजा. 2022 के चुनाव में फिर से कांग्रेस की सियासी नैया पार लगाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं.
दिगंबर कामत का राजनैतिक सफर
8 मार्च 1954 को गोवा के मडगांव में जन्में दिगंबर कामत कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टी से चुनावी किस्मत आजमा चुके हैं. विज्ञान में स्नातक काम गोवा के बेहद कुशल राजनीतिज्ञ माने जाते हैं. हालांकि, वो सियासत में आने से पहले रियल एस्टेट डेवलपर थे. 90 के दशक में कामत ने राजनीतिक पारी का आगाज किया और 1994 में कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो पार्टी छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया. दिगंबर कामत 1994 में पहली बार विधायक बने.
2007 में गोवा के सीएम बने कामत
दिगंबर कामत राजनीति में रहते हुए कई अहम पदों पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं. राज्य सरकार में कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों का जिम्मा संभाल चुके. पूर्व मुख्यमंत्री प्रताप सिंह राणे के सरकार के दौरान वह ऊर्जा और खान मंत्री के साथ कला और संस्कृति मंत्री भी रहे. कामत 12 सालों तक बीजेपी में रहने के बाद उनका पार्टी से मोहभंग हुआ और 2005 में कांग्रेस में शामिल हो गए.
कांग्रेस में घर वापसी के बाद दिगंबर कामत ने राजनीतिक बुलंदी हासिल की. 2007 के विधासभा चुनाव में जब कांग्रेस को जीत हासिल हुई, तब तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रताप राणे और राज्य के कांग्रेस मुखिया रवि नाइक के बीच हुए समझौते के बाद दिगंबर कामत को मुख्यमंत्री बने. पांच साल तक कामत ने गोवा की सत्ता की कमान को अपने हाथों में रखा, लेकिन 2012 में बीजेपी के हाथों सत्ता गंवानी पड़ी.
कामत का नाम विवादों में रहा
कांग्रेस पिछले दस सालों से सत्ता से बाहर है. कामत तीन सालों से प्रतिपक्ष के नेता हैं और गोवा में कांग्रेस का चेहरा माने जाते हैं. राज्य में कांग्रेस के तमाम नेताओं के बीजेपी में चले जाने के बाद दिगंबर कामत ही पार्टी की चुनावी कमान संभाल रहे हैं. लेकिन, 2007 से 2012 तक तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे कामत पर जस्टिस एमबी शाह आयोग ने कथित तौर पर 35,000 करोड़ रुपये के खनन घोटाले में आरोप लगाया है. 2014 में अवैध खनन के मामले में विशेष जांच दल ने उनसे पूछताछ की थी.
भ्रष्टाचार के आरोपों से उनकी छवि धूमिल हुई, लेकिन मडगांव विधानसभा क्षेत्र में उनकी लोकप्रियता पर कोई असर नहीं पड़ा. इस सीट से 2017 में वो छठी बार विधायक चुने गए. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में दिगंबर कामत ने बीजेपी के उम्मीदवार शर्माद रायतुकर को 4,176 मतों हराया था. 2019 में जब बीजेपी सरकार बनाने में कामयाब रही तो दिगंबर कामत गोवा विधानसभा में विपक्ष के नेता बने.
राजनीति में रुचि रखने के अलावा दिगंबर कामत को पढ़ने और बैडमिंटन खेलने का भी बहुत शौक है. लेकिन, सियासत में कांग्रेस के जीत के लिए इन दिनों वो पूरी ताकत झोंके हुए हैं. कांग्रेस ने गोवा में भले ही किसी को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया है, लेकिन दिगंबर कामत को प्रबल दावेदार माना जा रहा है. ऐसे में देखना है कि कामत क्या सियासी करिश्मा दिखा पाते हैं?