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मोदी के खिलाफ कांग्रेस को गुजरात में सेक्युलर दलों का वॉक ओवर

गुजरात में कांग्रेस ने शरद खेमे के लिए 3 विधानसभा सीटें छोड़ी हैं, तो वहीं एनसीपी को 7 से 8 सीटें दी हैं, जबकि समाजवादी ने चंद सीटों पर लड़ने का ऐलान किया है, वहीं लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी ने कांग्रेस के समर्थन में चुनावी मैदान छोड़ दिया है. कांग्रेस के समर्थन में आरएलडी भी चुनाव नहीं लड़ रही है.

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 24 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 11:19 AM IST

2014 का लोकसभा चुनाव जीतने के बाद बीजेपी एक के बाद एक राज्यों की राजनीतिक जंग जीतकर अजेय बनती जा रही है. कांग्रेस सहित राजनीतिक क्षत्रपों के हाथों से सत्ता खिसकती जा रही है. अब लड़ाई गुजरात की है, जहां क्षत्रपों की रणनीति देखकर कहा जा सकता है कि, अब सारी जिम्मेदारी राहुल गांधी के कंधों पर नरेंद्र मोदी को हराकर दिखाने की है. ऐसा लगता है कि गुजरात की सियासी जंग में बीजेपी को मात देने के लिए सेक्युलर माने जाने वाले राजनीतिक दलों ने कांग्रेस को वॉक ओवर दे दिया है.

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2012 की चुनावी जीत का आंकड़ा

गुजरात के 2012 के विधानसभा चुनाव के नतीजों को देंखे तो राज्य की 182 सीटों में से 115 पर बीजेपी, 61 पर कांग्रेस, 2 एनसीपी, 2 गुजरात परिवर्तन पार्टी, 1 जेडीयू और 1 पर निर्दलीय ने जीत दर्ज की थी. 2017 के चुनावी संग्राम में कांग्रेस को एनसीपी और जेडीयू के शरद यादव गुट का समर्थन है.

लालू-शरद-अजीत सब कांग्रेस के साथ

गुजरात में कांग्रेस ने शरद खेमे के लिए 3 विधानसभा सीटें छोड़ी हैं, तो वहीं एनसीपी को 7 से 8 सीटें दी हैं, जबकि समाजवादी ने चंद सीटों पर लड़ने का ऐलान किया है, वहीं लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी ने कांग्रेस के समर्थन में चुनावी मैदान छोड़ दिया है. कांग्रेस के समर्थन में आरएलडी भी चुनाव नहीं लड़ रही है.

एनडीए का हिस्सा रामविलास पासवान के नेतृत्व वाली लोक जनशक्ति पार्टी भी इस बार चुनाव नहीं लड़ रही है. हालंकि लोजपा ने इस बार बीजेपी को समर्थन करने का ऐलान किया है. जबकि पिछले चुनाव में लोजपा ने 40 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे. इनमें से एक भी सीट पर लोजपा उम्मीदवार अपनी जमानत नहीं बचा बाए थे.  

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कांग्रेस का खेल बिगाड़ते रहे हैं क्षत्रप

गुजरात में बीजेपी की जीत और कांग्रेस की हार की एक बड़ी वजह क्षत्रप दलों के चुनाव में उतरने को माना जाता है. 2012 विधानसभा के चुनावी मैदान में 6 राष्ट्रीय पार्टियां और 34 क्षेत्रीय दल लड़ाई में थे. इनमें से महज पांच पार्टियों ने जीत का स्वाद चखा है, बाकी पार्टियां अपनी जमानत भी नहीं बचा पाई हैं, लेकिन ये क्षेत्रीय दल इतना वोट काटने में जरूर सफल रहते हैं, जितने वोट से कांग्रेस की हार तय हो जाती है.

सेक्युलर दलों के वॉक ओवर का गणित

इस बार गुजरात में सपा ने कांग्रेस को वॉक ओवर दिया है. अखिलेश यादव की सपा गुजरात की महज 5 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि 2012 में सपा ने 60 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे. इसी तरह कांग्रेस के साथ इस बार गठबंधन करने वाली शरद गुट की जेडीयू इस बार तीन सीटों पर है, जबकि 2012 में 62 सीटों पर उतरी थी.

इसी तरह एनसीपी जहां कांग्रेस के समर्थन से 7 सीटों पर लड़ रही है, वहीं पिछले चुनाव में 12 सीटों पर किस्मत आजमाया था. चौधरी अजीत सिंह की पार्टी राष्ट्रीय लोकदल ने भी कांग्रेस के पक्ष में चुनाव न लड़ने का ऐलान किया है.

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'यूपी के लड़के' का साथ देने गुजरात जाएंगे अखिलेश

सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा था- गुजरात चुनाव देश की लड़ाई की शुरुआत है. गुजरात के विधानसभा चुनाव में सपा पांच सीटों पर चुनाव लड़ेगी. शेष सीटों पर गठबंधन दल के उम्मीदवारों को समर्थन करेंगे. बीजेपी को हराने के लिए खुद चुनाव प्रचार में उतरेंगे.

कांग्रेस की राह में बीएसपी रोड़ा

कांग्रेस की राह में बीएसपी ने जरूर रोड़ा बनी हुई है. बीएसपी ने गुजरात की 182 सीटों पर पूरी ताकत के साथ उतरने का ऐलान कर रखा है. बीएसपी पिछले तीन चुनाव से किस्मत आजमाती आ रही है, लेकिन अभी तक उसे जीत नहीं मिल सकी है. बीएसपी के उतरने से कांग्रेस की रणनीति बिगड़ती नजर आ रही है, लेकिन कांग्रेस ने गुजरात के दलित नेता जिग्नेश मेवाणी का जरूर समर्थन हासिल कर दलित वोटों पर अपनी पकड़ मजबूत बना रखी है.

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