Advertisement

सर्राफा-कपड़ा व्यापारियों पर मेहरबानी, कहीं GST का ये गुजराती रंग तो नहीं?

जीएसटी काउंसिल की 22वीं बैठक के बाद टैक्स दरों में बदलाव, सर्राफा कारोबारियों को छूट और कपड़ा व्यवसाय को राहत से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि अरुण जेटली के अंतःमस्तिष्क में कहीं न कहीं गुजरात चुनाव का भान था.

प्रधानमंत्री मोदी के साथ वित्तमंत्री अरुण जेटली (फाइल) प्रधानमंत्री मोदी के साथ वित्तमंत्री अरुण जेटली (फाइल)
नंदलाल शर्मा
  • नई दिल्ली ,
  • 07 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 7:50 AM IST

सर्दियां आने वाली हैं और गुजरात चुनाव से पहले अर्थव्यवस्था में आई सुस्ती को दूर करना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके वित्तमंत्री अरुण जेटली के लिए सबसे जरूरी टास्क है. इस साल के अंत में गुजरात चुनाव है और अर्थव्यवस्था में आई सुस्ती को लेकर विपक्ष हमलावर है, तो बीजेपी के भीतर से भी मोदी एंड कंपनी पर हमले हो रहे हैं. कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के लिए यह गुजरात सम्हालने का टाइम है.

Advertisement

प्रधानमंत्री लगातार गुजरात के दौरे कर रहे हैं और अर्थव्यवस्था की हकीकत का उन्हें अंदाजा हो गया था. मोदी ने भरी सभा में यह बात स्वीकारी थी कि अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी हुई है. दो दिन पहले उन्होंने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा था कि जीएसटी में जरूरी बदलाव किए जाएंगे और जीएसटी काउंसिल ने इस बदलाव पर मुहर लगाई है.

जीएसटी काउंसिल की 22वीं बैठक के बाद टैक्स दरों में बदलाव, सर्राफा कारोबारियों को छूट और कपड़ा व्यवसाय को राहत से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि अरुण जेटली के अंतःमस्तिष्क में कहीं न कहीं गुजरात चुनाव का भान था.

ज्ञात रहे कि जीएसटी लागू होने के बाद प्रधानमंत्री मोदी के गृह राज्य गुजरात में सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन उठा था. टेक्सटाइल इंडस्ट्री के गढ़ सूरत में कपड़ा व्यापारी सड़कों पर आ गए थे और मोदी सरकार के खिलाफ अपनी नाराजगी का प्रदर्शन किया था. जीएसटी काउंसिल ने टैक्स दरों में बदलाव के समय इस बात का खास ध्यान रखा है.

Advertisement

केंद्र की मोदी सरकार ने सर्राफा कारोबारियों का भी खास ध्यान रखा है. गुजरात सर्राफा कारोबार का गढ़ है. हीरा और ज्वैलरी के बड़े कारखाने और व्यापारी गुजरात से हैं. ऐसे में सर्राफा कारोबार को मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट से बाहर करना उन्हें बेखौफ बिजनेस करने का मौका देगा. नए बदलावों के बाद 2 लाख रुपये तक के गहने खरीदने पर अब पैन कार्ड की जरूरत नहीं होगी. पहले 50 हजार रुपये से ज्यादा की खरीददारी पर पैन देना अनिवार्य था.

इसके साथ ही केंद्र सरकार ने छोटे और मध्यम वर्ग (एसएमई) की कंपनियों का भी ध्यान रखा है. जीएसटी में समायोजना की सीमा 75 लाख रुपये से बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये कर दी है. इससे भी छोटे कारोबारियों को बड़ा फायदा मिलने की उम्मीद है. साथ ही जीएसटी परिषद 1.5 करोड़ रुपये कारोबार वाले एसएमई को मासिक रिटर्न भरने के बदले तिमाही रिटर्न भरने की अनुमति देने पर सहमत हो गई है.

गुजरात एक व्यावसायिक प्रदेश है और जीएसटी में बदलाव का सबसे ज्यादा लाभ वहां के कारोबारियों को मिलने जा रहा है. लेकिन, देखना ये होगा कि नोटबंदी और जीएसटी की मार से हलकान गुजरात के कारोबारियों के घाव कितने भर पाते हैं.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement