
मुख्य चुनाव आयोग ने 12 अक्टूबर को जब हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव तारीखों का ऐलान किया तो गुजरात चुनाव को लेकर कोई घोषणा नहीं की. ये काम 25 अक्टूबर को किया गया. यानी गुजरात चुनाव के ऐलान में आयोग ने 13 दिन का वक्त लगाया और इसी दौरान गुजरात और केंद्र सरकार ने मिलकर सूबे के लिए करीब 11 हजार करोड़ के राहत देने वाले प्रोजेक्ट्स की घोषणा कर डाली.
13 दिन में लिए ये बड़े फैसले...
-आशा कार्यकर्ताओं के वेतन में 50 % की बढ़ोतरी
-मां वात्सल्य स्कीम का दायरा बढ़ा
-सिंचाई उपकरणों की खरीद पर जीएसटी से राहत
-8.20 लाख सरकारी कर्मचारियों का दैनिक भत्ता 1% बढ़ा
-एससी/एसटी छात्रों की स्कॉलरशिप का दायरा बढ़ा
-किसानों को 3 लाख रुपए तक 0 फीसदी ब्याज पर कर्ज
-शिक्षकों का वेतन बढ़ाने का एलान
-गुजरात परिवहन के लिए 575 नई बसों की घोषणा
-10 साल से ज्यादा वक्त से काम कर रहे शिक्षकों का वेतन नियमित
-पाटीदारों के खिलाफ दर्ज 326 केस वापस
-सफाई कर्मचारियों को स्थायी नौकरी
-सहायक इलेक्ट्रिशियन के वेतन में बढ़ोतरी
-चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को दिवाली बोनस
-फिक्स-पे स्टाफ के ओवरटाइम भत्ते में बढ़ोतरी
-कांट्रैक्ट पर काम करने वाली महिला कर्मचारियों को मैटरनिटी लीव
-कांट्रैक्ट के दौरान मौत पर परिजनों को दो लाख का मुआवजा
चुनाव आचार संहिता से पहले ही खुला खजाना
यानी जब तक गुजरात में चुनावों की तारीखों का ऐलान नहीं हुआ, लोकलुभावन घोषणाओं का पिटारा खुलता रहा. चुनाव आयोग द्वारा इलेक्शन तारीख के ऐलान में देरी पर कांग्रेस ने भी कुछ ऐसे ही सवाल उठाए थे. कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि मोदी सरकार जानबूझकर चुनाव तारीखों के ऐलान में देरी कर रही है ताकि लोक-लुभावन घोषणाओं के लिए मौका मिल सके. हालांकि, चुनाव आयोग ने तारीखों के ऐलान में देरी के पीछे बाढ़ के बाद राहत कार्यों में लगे सरकारी अमले को बताया था.
25 अक्टूबर को हुआ चुनाव तारीखों का ऐलान
चुनाव आयोग ने 25 अक्टूबर को गुजरात में दो चरणों में चुनाव कराने की घोषणा की है. पहले चरण का चुनाव 9 दिसंबर और दूसरे चरण का चुनाव 14 दिसंबर को होगी. जबकि चुनाव नतीजे 18 दिसंबर को आएंगे.