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अहमद पटेल की नैया पार लगाने वाले वसावा से गठबंधन का फॉर्मूला तय नहीं

जेडीयू के विधायक छोटूभाई वसावा दक्षिण गुजरात की आदिवासी बहुल्य की करीब एक दर्जन सीट मांग रहे हैं, लेकिन इन्हीं सीटों पर कांग्रेस का दबदबा है. ऐसे में कांग्रेस उन्हें दो से तीन सीट देने को तैयार है. कांग्रेस के इस प्लान पर वसावा राजी नहीं हो रहे हैं.

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कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 16 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 10:45 AM IST

गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और शरद यादव की जेडीयू एक साथ सियासी रणभूमि में उतरने की तैयारी है, लेकिन दोनों दलों के बीच गठजोड़ का फार्मूला अभी तय नहीं हुआ है. गुजरात में जेडीयू के खेवनहार विधायक छोटूभाई वसावा हैं. वसावा राज्य की एक दर्जन सीटें मांग रहे हैं, लेकिन कांग्रेस दो-तीन सीट से ज्यादा देने के मूड में नहीं है. इसके चलते कांग्रेस और जेडीयू के बीच गठबंधन का रास्ता तय नहीं हो परा है. ऐसे में वसावा कांग्रेस से अलग भी अपनी राह तलास रहे हैं.

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बता दें कि गुजरात राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस दिग्गज नेता अहमद पटेल की डगमगाती नैया को पार लगाने का काम जेडीयू विधायक छोटूभाई वसावा ने ही किया था. गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपना फोकस हार्दिक पटेल और जिग्नेश मेवाणी पर लगा रखा है, इससे वसावा असहज हो गए हैं.

छोटूभाई वसावा गुजरात के आदिवासी समुदाय के दिग्गज नेता माने जाते हैं. राज्य में करीब 12 फीसदी आदिवासी मतदाता और राज्य की 27 विधानसभा सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित है. कांग्रेस ने पिछले विधानसभा चुनाव में इन 27 सीटों में से 16 पर जीत दर्ज की थी. इसके अलावा एक सीट जेडीयू और 10 सीट पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी.

वसावा दक्षिण गुजरात की आदिवासी बहुल्य की करीब एक दर्जन सीट मांग रहे हैं, लेकिन इन्हीं सीटों पर कांग्रेस का दबदबा है. ऐसे में कांग्रेस उन्हें दो से तीन सीट देने को तैयार है. कांग्रेस के इस प्लान पर वसावा राजी नहीं हो रहे हैं. इसके अलावा कांग्रेस डेडियापारा विधानसभा सीट पर अपना दावा पेश कर रही है जहां से छोटूभाई के बेटे महेश वसावा चुनाव लड़ना चाहते हैं. इसी मद्देनजर दोनों के बीच गठजोड़ का फॉर्मूला अधर में लटका हुआ है. बता दें कि जिला परिषद के चुनाव में जेडीयू ने डेडियापारा विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा सीटें जीतकर अपना दबदबा दिखाया है.

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जेडीयू का दावा है कि आदिवासी इलाकों की लगभग 20 सीटों पर कई इलाकों में वसावा का प्रभाव है. ऐसे में वो एक दर्जन सीटें मांग रहे हैं. जेडीयू का मानना है कि हार्दिक और जिग्नेश अभी तक कोई राजनीतिक प्रभाव नहीं दिखा सके हैं, जबकि जेडीयू ने पंचायत चुनाव और विधानसभा में एक सीट जीतकर असर दिखाया है. कांग्रेस से उम्मीद के मुताबिक सीट न मिलने से वसावा कांग्रेस के बागी नेता शंकर सिंह वाघेला के साथ भी जाने की संभावना तलाश रहे हैं.

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